पर्यावरण बचाना है

सुरेन्द्र सिंह राजपूत हमसफ़र देवास (मध्यप्रदेश) ******************************************************************************* प्रकृति और मानव स्पर्धा विशेष…….. ‘पर्यावरण बचाना है’, सुनो भाइयों नारा ये जन-जन तक पहुँचाना है। पर्यावरण बचाना हमको, पर्यावरण बचाना हैll आओ लगायें पौधे हम,ख़ूब बढ़ायें हरियाली। करें वनों की पूर्ण सुरक्षा,वन उपजों की रखवाली। स्वच्छता का ध्यान रखें हम,बात ये सबको बताना है। पर्यावरण बचाना हमको… साफ़ … Read more

मेरे-सा संसार नहीं

विजयलक्ष्मी विभा  इलाहाबाद(उत्तरप्रदेश) ********************************************************* प्रकृति और मानव स्पर्धा विशेष…….. प्रकृति परी तू रच सकती है,मेरे-सा संसार नहीं, मिले तुझे हैं विधि से अनुपम,मेरे से उपहार नहीं। मेरी आँखों के बादल जब,बूंद-बूंद बरसाते हैं, तब तेरे मानस पर खारे,सप्त सिंधु भर जाते हैं… लेकिन आ सकते हैं उनमें,इन आँखों से ज्वार नहीं। मेरे उर से निकल-निकल … Read more

नमन करो उन चरणों को

डॉ.विजय कुमार ‘पुरी’ कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश)  *********************************************************** आज़ादी के परवानों को,याद हमेशा करना। स्वर्ग में बैठे उन वीरों को ठेस लगेगी वरना॥ लड़ी लड़ाई आज़ादी की,फूले नहीं समाए हैं। ज़र्ज़र कश्ती को साहिल तक लेकर वे ही आए हैं॥ लाठी गोली बम धमाके, रूखी-सूखी फाकम-फाके। जान की बाज़ी लगा गए वो, थे वीर पूत वे … Read more

चैन,करार गया रे अपना

रश्मि लता मिश्रा बिलासपुर (छत्तीसगढ़) ****************************************************************** ऋतु आई वासन्ती देखो, मदमाती अलबेली हो। रंग भरी पिचकारी लेकर, लगती बड़ी रसीली हो॥ नैन कटार मीठे हैं बोल, छीन लिए दिल अनमोल। चैन,करार गया रे अपना, नैन निसदिन देखें सपना। आओ अंगन,हवेली हो, बनो काहे पहेली हो। रंग भरी पिचकारी लेकर, लगती बड़ी रसीली हो॥ साजों में … Read more

अपना शीश झुकाता हूँ

ओम अग्रवाल ‘बबुआ’ मुंबई(महाराष्ट्र) ****************************************************************** जिसने अपनी कोख में मेरी,काया का निर्माण किया, जिसने अपनी साँसों को ही,मेरे तन का प्राण किया। उस जननी के पदपंकज पर,इतना नेह जताता हूँ, अन्तर्मन से मनभावों के,श्रृद्धा सुमन चढ़ाता हूँ॥ और तात के उपकारों का,कितना मैं गुणगान करूँ, संस्कार के पाठ पढ़ाए,उन पर मैं अभिमान करूँ। जिन गुरुवर … Read more

ज़िन्दगी में कहाँँ किनारे

प्रदीपमणि तिवारी ध्रुव भोपाली भोपाल(मध्यप्रदेश) **************************************************************************** ज़िन्दगी में कहाँँ किनारे हैं, हम सरीख़े भी बेसहारे हैं। मिले मुक़म्मल जहाँ तलाश ये, है आरज़ू कि फिरते मारे हैं। न आब है तलाश दाने की, ये आदमी तो बेसहारा है। ज़ख्म सिले न ख़रोंच देता जो, कहें भी कैसे वो हमारा है। ज़ुनून ले कर चला है,नज़र फ़लक … Read more

होली आयी है

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’ बेंगलुरु (कर्नाटक) **************************************************************************** होली आयी है आयी है होली आयी है, सब खुशियों रंगों की थाल सजायी है। शान्ति प्रेम सौहार्द्र आपसी भेंट सजाकर लायी है, अपनापन मानवता का संदेश सुनाने आयी है। होली आयी है…॥ जाति-पाति और ऊँच-नीच का भेद मिटाने आयी है, घृणा-द्वेष,छल-कपट होलिका आग जलाने आयी है। अंधापन … Read more

आँसू बह कर क्या कर लेंगे!

विजयलक्ष्मी विभा  इलाहाबाद(उत्तरप्रदेश) ********************************************************* आँखों में जो रहे न सुख से, आँसू बह कर क्या कर लेंगे। आवारा से निकल दृगों से, मुख पर आकर मुरझाएंगेl जब न मिलेगा कहीं ठिकाना, किए कृत्य पर पछताएंगेl मन की करें शिकायत मन से, तन से कह कर क्या कर लेंगेll किसके दृग इतने विशाल हैं, जो अनचाहे … Read more

आराधना माँ भारती

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’ बेंगलुरु (कर्नाटक) **************************************************************************** आराधना नित साधना सुंदर सुभग माँ भारती, स्वप्राण दे सम्मान व रक्षण करें बन सारथी। समरथ बने चहुंओर से जयगान गुंजित यह धरा, हो श्यामला कुसमित फलित नित अन्नदा भू उर्वरा। आराधना नित साधना…॥ जीवन वतन बन शान हम अरमान हैं नित राष्ट्र के, उत्थान हो विज्ञान का … Read more

अंतस दियरा बार

रेखा बोरा लखनऊ (उत्तर प्रदेश) ************************************************************* अंतस दियरा बार रे मानुष, अंतस दियरा बार। तेरा-मेरा क्यों सोचे है, जाना है हाथ पसार। रे मानुष…॥ जग है ये काजल की कोठी, मन को कर उजियार। रे मानुष…॥ दो दिन का ये नीड़ पंछी का, उड़ना है पंख पसार। रे मानुष…॥ नदी उफनती नाव न कोई, कैसे … Read more