यदि ईश्वर एक है,तो फिर एका क्यों नहीं ?

डॉ.वेदप्रताप वैदिक गुड़गांव (दिल्ली)  ********************************************************************** भारत के कुछ हिंदू और मुस्लिम नेता दोनों संप्रदायों की राजनीति जमकर कर रहे हैं,लेकिन देश के ज्यादातर हिंदू और मुसलमानों का रवैया क्या है ? अदभुत है। उसकी मिसाल दुनिया में कहीं और मिलना मुश्किल है। वाराणसी में संस्कृत के मुसलमान प्राध्यापक के पिता गायक हैं और वे हिंदू … Read more

बैकुंठ चतुर्दशी पर हरिहर मिलन का अदभुत नजारा

संदीप सृजन उज्जैन (मध्यप्रदेश)  ****************************************************** भारतीय संस्कृति व्रतों,त्यौहारों और पर्वों की संस्कृति है। हर तिथि किसी न किसी देवी-देवता को समर्पित है और इन तिथियों के अनुसार देवी-देवताओं को श्रद्धासुमन अर्पित करने के लिए पर्वों का आयोजन किया जाता है। उनकी उपासना करते हुए हर्षोल्लास के साथ त्यौहारों को मनाया जाता है। कार्तिक मास की … Read more

हम सबके मर्यादा पुरुषोत्तम राम

हेमेन्द्र क्षीरसागर बालाघाट(मध्यप्रदेश) *************************************************************** राम सत्य है,मर्यादा है,कर्म है,आदर्श है,अनुकरणीय,हर मन में विराजते और जगत के पालनहार हम सबके मर्यादा पुरुषोत्तम राम हैं। जानें, र का अर्थ है अग्नि,प्रकाश,तेज,प्रेम,गीत। रम (भ्वा आ रमते) राम (कर्त्री धन ण) सुहावना,आनंदप्रद,हर्षदायक,प्रिय,सुंदर,मनोहर। राम शब्द इतना व्यापक है कि साहित्य में परमात्मा के लिए इसके समकक्ष एक शब्द ही आता … Read more

एक पत्र लक्ष्मी जी और गणेश जी के नाम

मनोज कुमार सामरिया ‘मनु’ जयपुर(राजस्थान) **************************************************** पूज्य माँ लक्ष्मी और प्रथम पूज्य गणेश जी और माँ सरस्वती, चरण कमल में सादर प्रणाम्l हे देवादिदेव प्रथम पूज्य,लंबोदराय,विघ्नहर्ता,गौरीसुत,हे महालक्ष्मी,सृष्टिनियामका,हे विष्णुवामांगी,हे विद्या की देवी,हे वेदवासिनी,हे वीणावादिनी आपकी कुशलता की कामना करूँ,इतना साहस मुझमें नहीं हैl हे देव और हे देवी जरा ध्यान को त्याग कर इस अभागे को … Read more

आत्मा का स्वाभाविक धर्म है क्षमा

क्षितिज जैन जयपुर(राजस्थान) ********************************************************** जैन धर्म में पर्यूषण पर्व के उपरांत ‘क्षमावाणी’ पर्व मनाया जाता है,जिसमें प्रत्येक व्यक्ति अन्य से जाने-अनजाने में किए गए किसी ऐसे काम के लिए क्षमा मांगता है,जिससे उन्हें दुख पहुंचा हो,चाहे वह मन से हो,वचन से अथवा कार्य से। साथ ही,वह अन्य को भी क्षमा करता है। क्षमावाणी ऐसा पर्व … Read more

श्री गणेश तत्व और महोत्सव

सारिका त्रिपाठी लखनऊ(उत्तरप्रदेश) ******************************************************* भगवान गणेश का प्राकट्य भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी तिथि को हुआ था- “नभस्ये मासि शुक्लायाम् चतुर्थ्याम् मम जन्मनि। दूर्वाभि: नामभिः पूजां तर्पणं विधिवत् चरेत्॥” तब से लेकर आज तक उनका महोत्सव मनाया जा रहा है। भाद्र पद मास का वैदिक नाम नभस्य है। प्राचीन काल में मिट्टी की मूर्ति बनाकर अनेक विधियों … Read more

मुसलमान और हिंदुत्व

डॉ.वेदप्रताप वैदिक गुड़गांव (दिल्ली)  ********************************************************************** राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और जमीयत उलेमा-ए-हिंद के प्रमुखों की मुलाकात को जितना महत्व खबरपालिका में मिलना चाहिए था,नहीं मिला। मोहन भागवत और मौलाना अर्शद मदनी की इस भेंट का महत्व ऐतिहासिक है। ऐसा इसलिए भी है कि,पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान इधर कई बार कह चुके हैं कि,आरएसएस और नरेंद्र … Read more

कृपामय ठाकुर सदा जागृत हैं जगत में

गोपाल चन्द्र मुखर्जी बिलासपुर (छत्तीसगढ़) ************************************************************ परमहंस ठाकुर श्रीरामकृष्ण देव जी को अर्पित सर्व धर्म का समन्वय बढ़ा कर विश्व में धर्मयुद्ध का समापन करते हुए संतान सम विश्व मानव एवं भक्तों का कल्याण करने के लिए ठाकुर जी स्वयं सूर्योदय से सूर्यास्त तक पल-पल सदा व्यस्त हैं। जगत में सभी का समूचा दु:ख हरण … Read more

आत्म जागरण एवं रिश्तों की मजबूती का महापर्व है पर्यूषण

संदीप सृजन उज्जैन (मध्यप्रदेश)  ****************************************************** सनातन धर्म में नवरात्रि,इस्लाम धर्म में रमजान का जितना महत्व है,उसी प्रकार जैन धर्म में पर्यूषण पर्व का सबसे अधिक महत्‍व है। इस पर्व को पर्वाधिराज (पर्वों का राजा) कहा जाता है। इसे आत्मशोधन का पर्व भी कहा गया है,जिसमें तप कर कर्मों की निर्जरा कर अपनी आत्मा को निर्मल … Read more

युद्धनीति में कृष्ण का मानवीय जीवन दर्शन

डॉ.सोना सिंह  इंदौर(मध्यप्रदेश) ********************************************************************* प्रबंधन,पराक्रम,पूर्णता,प्रेम और परिवर्तन के द्योतक भगवान श्री कृष्ण इसीलिए पूर्णावतार कहे जाते हैं कि ज्ञान के साथ कौशल और चिंतन के साथ चालाकी कृष्ण की नीति रही है। सुदर्शन चक्र धारण किए हुए वे एक ऐसे मानव हैं,जिनका जीवन संघर्षमय रहा। पूतना को स्तनपान के साथ माता का दर्जा देना पड़ा,वहीं … Read more