तपिश

डॉ.पूजा हेमकुमार अलापुरिया ‘हेमाक्ष’मुंबई(महाराष्ट्र) ****************************************** कुछ खुशियाँ ढूंढते हैं,तो कुछ ख्वाब बुनते हैं। कुछ तन्हाईयाँ ढूंढते हैं,तो कुछ भीड़ में खो जाते हैं। कुछ वफ़ाई ढूंढते हैं,तो कुछ बेवफाई निभाते…

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धीरज

शंकरलाल जांगिड़ ‘शंकर दादाजी’रावतसर(राजस्थान) ****************************************** कर सकते हैं काम बड़े जो खुद में हिम्मत रखते हैं,लग जाता है वक्त मगर हिम्मत का फल वो चखते हैं। पर्वत की चोटी चढ़ना हो…

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सकारात्मक सोच

डॉ. आशा मिश्रा ‘आस’मुंबई (महाराष्ट्र)******************************************* हम जैसे थे पहले वैसे ही रहना चाहे हैं,सत्य कहते हैं सदा सत्य सुनना चाहे हैंमाना कि यह जग है विशाल सागर सम,हम झरना हैं…

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जरा मुस्कुरा दो

संजय वर्मा ‘दृष्टि’ मनावर(मध्यप्रदेश)***************************************** जरा मुस्कुरा दो माँ,तेरा आँचल मेरे चेहरे पर डाल जब आँचल खींच बोलती 'ता',खिलखिलाहट से गूँज उठता घर। गोदी में झूले-सा अहसास,मीठी लोरी माथे पर थपकी अपलक निहारने नींद…

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तेरी जुदाई

श्रीमती देवंती देवीधनबाद (झारखंड)******************************************* हरी-हरी डोली में बैठ जाओगी,ओ मेरी रानी,मचलती रहेगी सेजों पर,तेरी-मेरी प्रेम कहानी। जुदा हो जाएगा हमसे,सदा के लिए जुड़ा नाता,तड़पता रहूॅ॑गा तेरे लिए,मत जाओ तोड़ के…

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विनती करते भगवान यही

डॉ.एन.के. सेठीबांदीकुई (राजस्थान) ********************************************* रचनाशिल्प:दुर्मिल सवैया छंद २४ वर्णों में ८ सगणों (।।ऽ) से सुसज्जित होता है,जिसमें १२,१२ वर्णों पर यति का प्रयोग किया जाता है। अन्त सम तुकान्त ललितान्त्यानुप्रास…

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मौसम सुहाना

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरेमंडला(मध्यप्रदेश) ******************************************* प्रीति ने जब कुछ कहा,मौसम सुहाना हो गया,संत का भी दिल खिला,वह भी दिवाना हो गया।लग रहा मधुमास प्रिय,अनुगीत दिल को भा रहे-प्रेम का जल…

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हिंद देश की हिंदी भाषा

आशा आजाद`कृति`कोरबा (छत्तीसगढ़) ******************************************* हिंद देश की हिंदी भाषा,जन-जन का आधार है।मुखरित होता है जब हिय से,दे सुंदर सत्कार है॥ शोभित होती मुख से जिनके,हिंदी भाषा शान से,मान-प्रतिष्ठा मिले सदा…

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कैसा खेल कान्हा…!

डॉ. अनिल कुमार बाजपेयीजबलपुर (मध्यप्रदेश)*********************************** रोज सुबह आना,शाम ढले जाना,कैसा खेल कान्हा,ये कैसा खेल कान्हा। तेरी मधुर मुस्कान,जीना हमें सिखाये,भोली तेरी सूरत,प्रभु छवि दिखलायेंजो तुम नहीं आते,दिल डूब-डूब जाता,आँखों से…

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तृप्ति

डॉ. आशा गुप्ता ‘श्रेया’जमशेदपुर (झारखण्ड)******************************************* तृप्ति अद्भुत भाव,पंच इंद्रियों सेमस्तिष्क को संदेश,होता अनुभवतृप्ति या अतृप्ति का..! अनेक तृष्णाओं का,जनकतृप्ति के लिएहोता संघर्ष,पिपासा बुझती कहाँ..? फिर भी,जब इच्छा होती पूरीतृप्ति जगती…

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