देवी स्तुति

डॉ.धारा बल्लभ पाण्डेय’आलोक’ अल्मोड़ा(उत्तराखंड) ****************************************************************************** न जानूं मैं माता,नमन तव पूजा सुमिरना। न जानूं मैं मुद्रा,कथन भव बाधा विधि मना। न जानूं मैं तेरा,अनुसरण माता विमलिनी। कलेशा, संकष्टा,सकल दुख हारी…

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कुछ करके दिखाना है

प्रेमशंकर ‘नूरपुरिया’ मोहाली(पंजाब) **************************************************************************** उठो!आगे बढ़ो! हमें कुछ नया करके दिखाना है, हमें ढेरों संघर्ष करके गीत प्रगति के गुनगुनाना है। अपनी-अपनी तखल्लुस भूल जाओ इस संसार में, हम सबको…

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तुलसी

बाबूलाल शर्मा सिकंदरा(राजस्थान) ************************************************* दिव्य छंद तुलसी रचे,भारत हुआ कृतज्ञ। मैं,उनके सम्मान में,दोहे लिखता अज्ञll हुलसी तुलसी गंध-सी,सेवित तुलसीदास। भाव आतमा राम से,मानस किया उजासll नरहरि जी सद्गुरु मिले,पायक हनुमत…

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तुम्हारे शहर में…

मोहित जागेटिया भीलवाड़ा(राजस्थान) ************************************************************************** तुम्हारे शहर में हर कोई बदनाम है, कत्ल भी अब रोज यूँ ही ये सरेआम है हर रोज बिक जाता ख़ुद के स्वार्थ में कोई, यहाँ…

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नीति

शशांक मिश्र ‘भारती’ शाहजहांपुर(उत्तरप्रदेश) ************************************************************************************ आज जिधर देखो उधर लोग वोट नीति पुष्ट कर रहे, नीति को गिरा-गिरा स्तर राज को तन्दुरुस्त कर रहे। जिनके लिए आये जिन्होंने है चुना…

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देख रहे पंडालों में

बिनोद कुमार महतो ‘हंसौड़ा’ दरभंगा(बिहार) ********************************************************************* हृदय के दुर्गा को न देखे, देख रहे पंडालों में। चकाचौंध का महिषासुर ही, अब मस्तिष्क के खालों में। लौह पुरुष के स्टेच्यू पर,…

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मंज़र नहीं देखा…

वकील कुशवाहा आकाश महेशपुरी कुशीनगर(उत्तर प्रदेश) *************************************************************** भीतर की हलचलों का वो मंज़र नहीं देखाl सबने मुझे देखा,मेरे अंदर नहीं देखाl सब लोग मानते रहे हैं कोयला मुझे, हीरे को जौहरी…

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फल मिलता है

संजय जैन  मुम्बई(महाराष्ट्र) ******************************************** यदि हो ईमानदार और मेहनती तो, हर लक्ष्य को प्राप्त कर सकते हो। और किया जिसके साथ तुमने कार्य, तो वो तुम्हें यादों के साथ बहुत…

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गाँवों को शहर खा गया

शंकरलाल जांगिड़ ‘शंकर दादाजी’ रावतसर(राजस्थान)  ********************************************************************************* उजड़ रहे हैं गाँव बिचारे शहर खा गया गाँवों को, ऐसा लगता अपने हाथों काट रहा खुद पाँवों को। और बहुत की चाहत में…

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अब बस

अरुण कुमार पासवान ग्रेटर नोएडा(उत्तरप्रदेश) ******************************************************************* कितनी जिज्ञासु हैं आँखें! देखना चाहती हैं कितना कुछ बहुत कुछ,सब कुछ; इसलिए चहेती हैं, मन की,दिल की,पूरे जिस्म की। ये देती हैं भूख,पूरे…

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