नियति से हारा नहीं हूँ…

अनुपम आलोक उन्नाव(उत्तरप्रदेश) ****************************************************************** जलधि-सा उन्मुक्त मैं ! पर- चित्त से खारा नहीं हूँl चातकों-सी साधना है- नियति से हारा नहीं हूँll पीर! पर्वत बन भले ही- व्योम से कर…

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सागर

मानकदास मानिकपुरी ‘ मानक छत्तीसगढ़िया’  महासमुंद(छत्तीसगढ़)  *********************************************************************** विशालता का द्योतक है सागर,बाकी अब मैं क्या कहूं, सहनशीलता का प्रेरक है सागर,इससे ज्यादा क्या कहूं। ओ तड़पते नदियों को देता है…

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शीतला माँँ

हेमलता पालीवाल ‘हेमा’ उदयपुर (राजस्थान ) *************************************************** तन शीतल हो, मन भी शीतल हो। शीतलता हो चहुँओर, माता तुम शीतल हो। स्वच्छता का देती संदेश, यही तुमने धरा है भेष।…

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था भरोसा मगर सब धुंआ हो गया…

वकील कुशवाहा आकाश महेशपुरी कुशीनगर(उत्तर प्रदेश) ****************************************************************** था भरोसा मगर सब धुंआ हो गया। नाम जिसका वफ़ा बेवफा हो गया। सिर्फ मतदान करके जरा सोचिए, फर्ज क्या आपका है अदा हो…

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माँ की ममता

शैलश्री आलूर ‘श्लेषा’  बेंगलूरु (कर्नाटक राज्य) ************************************************** वृद्धाश्रम में मौत की राह देखती बैठी एक माँ के हाथ बेटे का खत मिला। पत्र सुंदर था खत का विषय कुछ ऐसा…

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दिल में आते-जाते रहिए

सलिल सरोज नौलागढ़ (बिहार) ******************************************************************** इश्क़ का भ्रम यूँ बनाते रहिए, इस दिल में आते-जाते रहिएl आप ही मेरी नज़्मों की जाँ थी, ये चर्चा भी सरे आम सुनते रहिएl…

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होली

बाबूलाल शर्मा सिकंदरा(राजस्थान) ************************************************* (रचना शिल्प: विधान ८,८, ८,७ वर्ण आठ,आठ,आठ,सात। वर्ण संयुक्त वर्ण एक ही माना जाता है। कुल ३१ वर्ण,१६,१५, पर यति हो,(,) पदांत गुरु(२) अनिवार्य है,चार पद…

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जवां हो प्यार नित अपना

अवधेश कुमार ‘आशुतोष’ खगड़िया (बिहार) **************************************************************************** चलो खेलो पिया होली,बना लो रंग पानी का, लगा दो रंग गालों पर,मजा ले लो जवानी काl महक फैली हुई चहुँदिस,यहाँ मधुमास का देखो,…

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तेरे प्यार के रंग में

शिवांकित तिवारी’शिवा’ जबलपुर (मध्यप्रदेश) ******************************************************************** तुम्हारे प्यार का ऐसा है छाया रंग मुझपे, कि आता है नजर रंगीन ये सारा जहाँ। तुम्हारे रंग में अब मैं रंगारंग हो गया हूँँ,…

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ग़म का विष कोई पीना नहीं चाहता

भानु शर्मा ‘रंज’ धौलपुर(राजस्थान) ***************************************************************** प्रीत की सुधा सबको चाहिए मगर, ग़म का विष कोई पीना नहीं चाहता। इश्क में डूबने की बात करते बहुत, कोई तूफां से लड़ना नहीं…

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