सब भाषा की हिन्दी है माई

अनिल कसेर ‘उजाला’  राजनांदगांव(छत्तीसगढ़) ************************************************************************* 'विश्व हिन्दी दिवस' की सबको है बधाई, सब भाषा की हिन्दी है माई। हिन्दी की बात है निराली, हिन्दी जो बोले उसकी बोली लगती मतवाली।…

0 Comments

काश! जिंदगी एक किताब होती

बलराम प्रजापति’एंकर’ मनासा(मध्यप्रदेश) ********************************************************************************** काश! जिंदगी एक किताब होती, पढ़ सकता कि,आगे क्या होगा। क्या पाऊंगा और क्या खो दूंगा, कब खुशी मिलेगी कब रो दूंगा। काश! जिंदगी एक किताब…

0 Comments

इक्कीसवीं सदी का बीसवां वर्ष

हीरा सिंह चाहिल ‘बिल्ले’ बिलासपुर (छत्तीसगढ़) ********************************************************************** इक्कीसवीं सदी का नया वर्ष बीसवां, सदियों बाद भी न ऐसा मेल मिलेगा। इसी सदी का वर्ष बीता उन्नीसवां, कहाँ जिन्दगी में अब…

0 Comments

फूल और शूल

हरीश बिष्ट अल्मोड़ा (उत्तराखण्ड) ******************************************************************************** फूल बन खिले रहो कांटों संग मिले रहो, खूशबू से मिल सारा जग महकाइये। काँटों का न छोड़े साथ फूलों की है अच्छी बात, अपनों…

0 Comments

हे जनता के सेवक…

वकील कुशवाहा आकाश महेशपुरी कुशीनगर(उत्तर प्रदेश) *************************************************************** हे जनता के सेवक मेरी बात सुनो, भूखे-प्यासे कट जाती है रात सुनोl रोजी-रोटी ढूँढ रहे हम शहरों में, पाते हैं लेकिन केवल आघात…

0 Comments

अविरल

बाबूलाल शर्मा सिकंदरा(राजस्थान) ************************************************* अविरल गंगा धार है,अविचल हिमगिरि शान! अविकल बहती नर्मदा,कल-कल नद पहचान! कल-कल नद पहचान,बहे अविरल सरिताएँ! चली पिया के पंथ,बनी नदियाँ बनिताएँ! `शर्मा बाबू लाल`,देख सागर…

0 Comments

सब मिट्टी हो जाता है

सोमा सिंह ‘विशेष’ गाजियाबाद(उत्तरप्रदेश) *********************************************************************** सब मिट्टी हो जाता है, और मिट्टी में मिल जाता है। मिट्टी में सोता यह बीज अहो, मिट्टी में ही उग आता है। सब मिट्टी…

0 Comments

जीना चाहता हूँ

डोमन निषाद बेमेतरा(छत्तीसगढ़) ************************************************************* हर मुश्किल राह से, लड़कर आगे जाना चाहता हूँ। चाहे कितनी भी आफत आए, दृढ़ संकल्प से मंजिल पाना चाहता हूँ। मैं मरने के बाद भी,…

0 Comments

कुमकुम

बोधन राम निषाद ‘राज’  कबीरधाम (छत्तीसगढ़) ******************************************************************** कुमकुम रोली साथ में,सुन्दर लागे भाल। नारी की है साज ये, छम्मक छल्लो चाल॥ छम्मक छल्लो चाल,देखते मन को भाती। कुमकुम लाली माथ,नाज…

1 Comment

पूछते श्री भरत-मेरे भारत का क्या हुआ ??

गोलू सिंह रोहतास(बिहार) ************************************************************** भाग-१.......... अभाव है चिंतन में,अलगाव है बंधन में! कहो कब आजाद हुआ भारत ??? गुलामी हैं जन-जन में!! आखिर सन ४७ के दौर में पुन: निर्माण…

0 Comments