नारी हूँ मैं
नेहा लिम्बोदिया इंदौर(मध्यप्रदेश) ********************************************************** कई रूप हैं मेरे, कभी चंचल चाँदनी कभी गंभीर गहराई लिए हूँ। कभी शांत समुद्र-सी, लेकिन लिए हलचल बहुत हूँ। सृष्टि का आधार भी मैं हूँ, और इसको सँवारने वाली भी मैं हूँ। क्या बोलूँ ? क्या हूँ मैं…? बस एक नारी हूँ मैं…, बस एक नारी हूँ मैं…॥