तीन जोड़ी पायल…

मनोज कुमार सामरिया ‘मनु’ जयपुर(राजस्थान) *************************************** जबसे मैंने सुनना सीखा सुनकर गुनना सीखा, तब से मैं पहचानता हूँ पायल को और उसकी छनछन को। पहले जब मैं भूख से बिलखकर तड़प-तड़प कर रो-रो कर, आँगन को उठा लेता था सिर पर… तब कहीं से चला आता था, पायल का स्वर…। हाँ ये माँ के आने … Read more

जै जै राम जै श्री राम

बोधन राम निषाद ‘राज’  कबीरधाम (छत्तीसगढ़) ******************************************************************** जै जै राम जै श्री राम, जै जै राम जै श्री राम। मन मंदिर में राम बसा ले, तेरे बनेंगे बिगड़े काम॥ राम नाम की शक्ति भारी, तैर रहे पत्थर सागर में। दो अक्षर का राम नाम है, भर जाए दुनिया गागर में॥ सुन के रघुराई आयेंगे, हरने … Read more

भारत वंदना

प्रियांशु तिवारी ‘वात्सल्य’ लखनऊ( उत्तरप्रदेश) **************************************************************************** भाग-१ यहां चहकती सुबह होती, मतवाली हर शाम है होंठों पर यहां सबके होता, राम कृष्ण का नाम है। हर पल बहती रहती यहां पर, उत्सवों की धारा… यह भारत देश हमारा॥ चंद कदम पे मिजाज़ बदलते, कुछ दूरी पर बोली कहीं उर्स ताजिया निकलता, कहीं राम की टोली। … Read more

नारी सशक्तिकरण

सुशीला रोहिला सोनीपत(हरियाणा) *************************************************************************************** नारी ने जब-जब अपनी शक्ति को पहचाना, पहचान में ही पहचान बनी उसकी नई पहचान। शक्ति का रूप है नारी,सतीत्व की पहचान, नारी से ही जन्मे ध्रुव,प्रहृलाद और भगवान॥ नारी कमजोर नहीं,नारी के बल का तौल नहीं, त्रिदेव वात्सल्य रस में डूबे बने बाल भगवान। बनकरअपमान की ज्वाला दहक उठा गगन, … Read more

गाँव और शहर की यादें

संजय जैन  मुम्बई(महाराष्ट्र) ************************************************ कैसे भूलूँ मैं,बचपन अपना, दिल दरिया और,समुंदर जैसा। याद जब भी आये वो पुरानी, दिल खिल जाता है बस मेराl और अतीत में खो जाता हूँl कैसे भूलूँ मैं,बचपन अपनाll क्या कहूँ उस,स्वर्ण काल को, जहां सब अपने,बनकर रहते थे। दु:ख मुझे हो तो,रोते वो सब थे, मेरी पीड़ा को,वो समझते … Read more

भीतरी दुश्मन

तारा प्रजापत ‘प्रीत’ रातानाड़ा(राजस्थान)  ************************************************* देश की सुरक्षा को, केवल बाहरी आतंक से ही नहीं, भीतर छुपे दरिन्दों से भी बचाना होगा। देश को जो अमानवीय तत्वों से, बचाने का संकल्प करता है, उसे देशद्रोही खुलेआम गोली मार देता है। कैसे पनपेगा देशभक्ति का बीज ? जब अंकुरित, होने से पहले ही उसे जड़ से … Read more

अगली पीढ़ी का बोझ कौन उठाएगा

सलिल सरोज नौलागढ़ (बिहार) ******************************************************************** आग लगाने वाले आग लगा चुके, पर इल्ज़ाम हवाओं पे ही आएगा। रोशनी भी अब मकाँ देखे आती है, ये शगूफा सूरज को कौन बताएगा। बाज़ाए में कई ‘कॉस्मेटिक’ चाँद घूम रहे, अब आसमाँ के चाँद को आईना कौन दिखाएगा। नदी,नाले,पोखर,झरने सभी खुद ही प्यासे, तड़पती मछलियों की प्यास भला … Read more

आत्मजा

विजयलक्ष्मी विभा  इलाहाबाद(उत्तरप्रदेश) ********************************************************* ‘आत्मजा’ खंडकाव्य से अध्याय-६ वन मयूर को रहा न जाता, बिना बुलाये अपना दर्शक रंग-बिरंगे पंख खोल कर, किसे दिखाये नृत्य प्रदर्शक। चातक किसे सुनाये अपनी, मधुर-मधुर वह मौलिक कविता जिसके भावों से आच्छादित, नभ में स्वयं न दिखता सविता। भर-भर कूप उड़ेला करती, धो-धो घट ऊपर से चपला घट-घट यहाँ … Read more

जल है तो कल है

डॉ.धारा बल्लभ पाण्डेय’आलोक’ अल्मोड़ा(उत्तराखंड) ****************************************************************************** जल में ही है शक्ति जगत की, जल से ही है तृप्ति जगत की। जल ही कल है जीव जगत का, जल ही जीवन दान॥ जल से ही यह हरा-भरा जग, जल से ही ओजोन-हवा सब। जल से पुष्प अन्न फल संभव, जल से जग की शान॥ जल से निर्मल,स्वच्छ,मधुर-फल, … Read more

क्यों मुझे तोड़ा

संजय गुप्ता  ‘देवेश’  उदयपुर(राजस्थान) ********************************************************************* किसी चाह में,अनजान राह में पड़ा रहा मैं बनकर पत्थर, कोई कदरदान,लेगा मुझे पहचान तराश देगा मुझको थोड़ा। पर सब पाषाण,बन गये महान जब उस राह के, छूटी शरम,मिट गया भरम जिंदगी ने कहीं का ना छोड़ाl मुझ जैसों के साथ,होती है जो बात आखिर फिर वही हुई, किसी ने … Read more