ज़िन्दगी में कहाँँ किनारे

प्रदीपमणि तिवारी ध्रुव भोपाली भोपाल(मध्यप्रदेश) **************************************************************************** ज़िन्दगी में कहाँँ किनारे हैं, हम सरीख़े भी बेसहारे हैं। मिले मुक़म्मल जहाँ तलाश ये, है आरज़ू कि फिरते मारे हैं। न आब है तलाश…

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होली आयी है

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’ बेंगलुरु (कर्नाटक) **************************************************************************** होली आयी है आयी है होली आयी है, सब खुशियों रंगों की थाल सजायी है। शान्ति प्रेम सौहार्द्र आपसी भेंट सजाकर लायी है,…

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आँसू बह कर क्या कर लेंगे!

विजयलक्ष्मी विभा  इलाहाबाद(उत्तरप्रदेश) ********************************************************* आँखों में जो रहे न सुख से, आँसू बह कर क्या कर लेंगे। आवारा से निकल दृगों से, मुख पर आकर मुरझाएंगेl जब न मिलेगा कहीं…

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आराधना माँ भारती

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’ बेंगलुरु (कर्नाटक) **************************************************************************** आराधना नित साधना सुंदर सुभग माँ भारती, स्वप्राण दे सम्मान व रक्षण करें बन सारथी। समरथ बने चहुंओर से जयगान गुंजित यह धरा,…

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अंतस दियरा बार

रेखा बोरा लखनऊ (उत्तर प्रदेश) ************************************************************* अंतस दियरा बार रे मानुष, अंतस दियरा बार। तेरा-मेरा क्यों सोचे है, जाना है हाथ पसार। रे मानुष...॥ जग है ये काजल की कोठी,…

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अनजानी ये रहगुजर

हीरा सिंह चाहिल ‘बिल्ले’ बिलासपुर (छत्तीसगढ़) ********************************************************************** जिन्दगी ये मिली जिस्म भी मिला है सुहाना, बन जाए कब मिट्टी,इसका न ठिकाना। बनना ही है जब मिट्टी तो फिर क्यों न,…

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अनुराग का तराना

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरे मंडला(मध्यप्रदेश) *********************************************************************** मिला कोय तो जीवन बदला,नेह-मेघ घिर आये हैं, फूलों में खुशबू फिर लौटी,नव संदेशे आये हैं। मन गाता है परभाती अब, भजन-आरती भाते हैं…

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मेरे देश की मिट्टी

हीरा सिंह चाहिल ‘बिल्ले’ बिलासपुर (छत्तीसगढ़) ********************************************************************** भारतवर्ष की मिट्टी में है सौंधी प्यारी-सी खुशबू, मेरे देश की मिट्टी... इसके वीर शहीदों के बलिदानी लहू की खुशबू, मेरे देश की…

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जीवन का संग्राम बहुत है

विजयलक्ष्मी विभा  इलाहाबाद(उत्तरप्रदेश) ********************************************************* द्वंद्व करूँ क्या अधम मृत्यु से, जीवन का संग्राम बहुत है। क्षण-क्षण आते आँधी-पानी, पल-पल उठते यहाँ बवंडर चाहें कि उपजाऊ बगिया, बनती रेगिस्तानी बंजर। कितने…

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भारत माता..

डॉ.विद्यासागर कापड़ी ‘सागर’ पिथौरागढ़(उत्तराखण्ड) ****************************************************************************** ये देश सुहाना है। जितनी ये धरती, ये देश पुराना हैll ये देश न तोड़ो रे। अब तो गद्दारी, तुम करना छोड़ो रेll ये कब…

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