पहला प्यार…एक परी

अख्तर अली शाह `अनन्त` नीमच (मध्यप्रदेश) **************************************************************** निकले हैं पंख कल्पना के, मैं उड़ता दूर गगन में हूँ। एक परी उतरकर नजरों में, दिल मेरा रोज चुराती है॥ इन दिनों समंदर में गहरे, इच्छाएं गोते खाती हैं। लाती हैं मोती माणक चुन, धनवान बनी इठलाती हैं॥ मैं लिपटा सजधज में रहता, दरबारे शाही में नृप-सा। … Read more

बाहर कदम तुम धरो ना…

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरे मंडला(मध्यप्रदेश) *********************************************************************** अब तो छोड़ो प्रिये सारा रोना, क्या करेगा हमारा ‘कोरोना।’ हममें हिम्मत रहे,हम में ताक़त रहे, कोई हमको नहीं फिर हरा पाएगा। हम रखें धैर्य नित,शांत हो घर रहें, कोई हमको नहीं फिर डरा पाएगा। अपनी खुशियों को ख़ुद तुम हरो ना, क्या करेगा हमारा कोरोना॥ आज की ये … Read more

‘कोरोना’ भगाना है

सुरेन्द्र सिंह राजपूत हमसफ़र देवास (मध्यप्रदेश) ******************************************************************************* सुनो भाईयों नारा ये, जन-जन तक पहुँचाना है। ‘कोरोना’ हराना हमको, कोरोना भगाना है। सुनो भाइयों नारा ये, जन-जन तक पहुँचाना है। कोरोना हराना हमको, कोरोना…॥ महामारी है बड़ी ये घातक, दुनियाभर में फैली है। बढ़ती जाती है संक्रमण से, नागिन बढ़ी विषैली है। इससे बचने के उपाय सब, … Read more

निष्प्राण करें हम ‘कोरोना’

ओम अग्रवाल ‘बबुआ’ मुंबई(महाराष्ट्र) ****************************************************************** मानवता पर जब जब कोई,ऐसी आफत आई, खुद ही खुद को डसती मानों,अपनी ही परछाई। भरी दुपहरी में सूरज को,मानो निगल गई रजनी, और भोर के हाथों से यूँ,गुपचुप फिसल गई रजनी। कोरोना के संकट को कुछ, सहज समझना ठीक नहीं। सही गलत की परिभाषा में, सहज उलझना ठीक नहीं।। … Read more

उजियारे को तरस रहा हूँ

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरे मंडला(मध्यप्रदेश) *********************************************************************** उजियारे को तरस रहा हूँ,अँधियारे हरसाते हैं, अधरों से मुस्कानें गायब,आँसू भर-भर आते हैं। अपने सब अब दूर हो रहे, हर इक पथ पर भटक रहा। कोई भी अब नहीं है यहां, स्वारथ में जन अटक रहा। सच है बहरा,छल-फरेब है,झूठे बढ़ते जाते हैं, अधरों से मुस्कानें गायब,आँसू भर-भर … Read more

दहशत में सारा शहर आ गया

दीपक शर्मा जौनपुर(उत्तर प्रदेश) ************************************************* देश में ये कैसा कहर आ गया, दहशत में सारा शहर आ गया। किसी के पास कोई जाता नहीं, लगे आग तो भी बुझाता नहीं। हवा में कैसा ये जहर आ गया, दहशत में सारा शहर आ गया॥ छोड़ के काम सब घर आ रहे, भूखे बच्चे हैं ये किधर … Read more

हम बिगाड़ें न पर्यावरण

अख्तर अली शाह `अनन्त` नीमच (मध्यप्रदेश) **************************************************************** प्रकृति और मानव स्पर्धा विशेष…….. आईये एक कदम हम चलें, दोस्तों स्वच्छता के लिए। गंदगी न बढ़ाये कोई, इस धरा पे खुदा के लिए॥ गंदगी से सना होगा घर, आग की होंगें हम सब नजर। भस्म अस्तित्व कर लेंगें हम, पाल बैठेगें मरने का डर॥ इसलिए राह हम … Read more

पर्यावरण बचाना है

सुरेन्द्र सिंह राजपूत हमसफ़र देवास (मध्यप्रदेश) ******************************************************************************* प्रकृति और मानव स्पर्धा विशेष…….. ‘पर्यावरण बचाना है’, सुनो भाइयों नारा ये जन-जन तक पहुँचाना है। पर्यावरण बचाना हमको, पर्यावरण बचाना हैll आओ लगायें पौधे हम,ख़ूब बढ़ायें हरियाली। करें वनों की पूर्ण सुरक्षा,वन उपजों की रखवाली। स्वच्छता का ध्यान रखें हम,बात ये सबको बताना है। पर्यावरण बचाना हमको… साफ़ … Read more

मेरे-सा संसार नहीं

विजयलक्ष्मी विभा  इलाहाबाद(उत्तरप्रदेश) ********************************************************* प्रकृति और मानव स्पर्धा विशेष…….. प्रकृति परी तू रच सकती है,मेरे-सा संसार नहीं, मिले तुझे हैं विधि से अनुपम,मेरे से उपहार नहीं। मेरी आँखों के बादल जब,बूंद-बूंद बरसाते हैं, तब तेरे मानस पर खारे,सप्त सिंधु भर जाते हैं… लेकिन आ सकते हैं उनमें,इन आँखों से ज्वार नहीं। मेरे उर से निकल-निकल … Read more

नमन करो उन चरणों को

डॉ.विजय कुमार ‘पुरी’ कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश)  *********************************************************** आज़ादी के परवानों को,याद हमेशा करना। स्वर्ग में बैठे उन वीरों को ठेस लगेगी वरना॥ लड़ी लड़ाई आज़ादी की,फूले नहीं समाए हैं। ज़र्ज़र कश्ती को साहिल तक लेकर वे ही आए हैं॥ लाठी गोली बम धमाके, रूखी-सूखी फाकम-फाके। जान की बाज़ी लगा गए वो, थे वीर पूत वे … Read more