मत बाँटो इंसान को

वकील कुशवाहा आकाश महेशपुरी कुशीनगर(उत्तर प्रदेश) *************************************************************** जाति-धर्म की बातें कर यूँ मत बाँटो इंसान को, मिल-जुल कर तुम रहो बचा लो अपने देश महान को। कुछ नेता बस घात करेंगे, झगड़े वाली बात करेंगे। जेठ महीने के दिन को भी, काली आधी रात करेंगे। इन दुष्टों की नज़र लगी है प्यारे हिंदुस्तान को- मिल-जुल कर … Read more

गीत को जीते रहे

प्रदीपमणि तिवारी ध्रुव भोपाली भोपाल(मध्यप्रदेश) **************************************************************************** आचमन की तरह जो पीते रहे हम,ज़िन्दगी भर गीत को जीते रहे हम। पालने से गीत का संग,मातु के वात्सल्य में,माँ क्षीर संग पीते रहे हम। शब्द पहला गुनगुनाया,माँ को माँ कह कर सुनाया, माँ ने अतिशय प्रीति से पुचकार सीने से लगाया। मेरे होने से मिला था मान माँ … Read more

भारत माता की पुकार

वकील कुशवाहा आकाश महेशपुरी कुशीनगर(उत्तर प्रदेश) *************************************************************** ऐ मेरे बच्चों जरा मिल-जुल के रहना सीख लो, भाई-भाई हो सभी, तुम प्यार करना सीख लो। तेरी इस माँ भारती को रौंदने आ जायेगा, बैर आपस में रखोगे तीसरा धमकायेगा। हो जरा मतभेद तो आपस में कहना सीख लो- भाई-भाई हो सभी,तुम प्यार करना सीख लो। आग के … Read more

अब और नहीं…

प्रदीपमणि तिवारी ध्रुव भोपाली भोपाल(मध्यप्रदेश) **************************************************************************** अब और नहीं अब और नहीं, ये देश नहीं सह पायेगा। हो दुष्टों काे फाँसी सरेआम जनमानस ये लटकायेगा। अब और निर्भया काण्ड नहीं, बेटियों को अब इंसाफ़ मिले। जनमानस को सौंपें इनको,हो सज़ा न इनको माफ मिले। गद्दार दरिंदों को फाँसी, झट दो परचम लहराएगा। जब सजा मिलेगी ऐसी … Read more

किसने तुम्हें दिया हक़ इतना…

डॉ.नीलिमा मिश्रा ‘नीलम’  इलाहाबाद (उत्तर प्रदेश) तुम शरीर से खेलो मेरे  और जला कर राख करो, तार-तार दामन तुम कर दो  मुझ पर रोज बलात करो। किसने तुम्हें दिया हक़ इसका, ये कैसी आज़ादी है ? भारत की ललनाएँ कहतीं, बंद सभी उत्पात करो॥   ख़ूब पढ़े सब ख़ूब बढ़े सब नारा ये लगवाते हो, … Read more

असुरक्षित बेटियाँ

गीतांजली वार्ष्णेय ‘ गीतू’ बरेली(उत्तर प्रदेश) ************************************************************************* हैदराबाद घटना-विशेष रचना………….. क्यों सो रहे हो कृष्णा,कलयुग के इस आँगन में, पनप रहे क्यों दुर्योधन,भारत माँ के आँचल में। कहाँ गया सुदर्शन चक्र तुम्हारा,कहाँ गयी वो धार, गीता के छंदों में क्या रहा नहीं चमत्कारll क्या कोई बेटी खड़ी न हो सकेगी समाज में, क्या गलती की … Read more

जंग-ए-हयात

हीरा सिंह चाहिल ‘बिल्ले’ बिलासपुर (छत्तीसगढ़) ********************************************************************** कोई न मुकाबिल तुम्हारे,मगर तुम कम न कभी आँकना, सबके जुदा फन हैं,फनकार हो तुम,खुद को तभी आँकना। कोई न मुकाबिल… सबकी जुदा होती है रहगुजर ये,सबके अलग रास्ते, करता मशक्कत है हर कोई इसमें,जीने के वास्ते। उठाया हो जिसने भी जज्बों का बीड़ा,उसे वज्न से जांचना, सबके … Read more

रिश्ते-नाते

राजेश पड़िहार प्रतापगढ़(राजस्थान) *********************************************************** संबंधों के इस आँगन में,क्या तेरा क्या मेरा है, रिश्तों के पावन दामन में,छाया द्वेष घनेरा हैl जिसको हमने हमदम माना,भाई अरि सम बैठ गया, देख मांग सिन्दुर वधू का,पोंछ वही तो जेठ गयाl दो कौड़ी में बिकती दुनिया,नाते सब बेकार हुए, सिर्फ दिखाऊ मेजबान हम,रिश्ते सब व्यापार हुएl भरे पेटियां … Read more

ज़िन्दगी गुनगुनाने लगी

प्रदीपमणि तिवारी ध्रुव भोपाली भोपाल(मध्यप्रदेश) **************************************************************************** नाम खुद की हथेली पर उनका लिखा,तब से बेचैन वो नींद जाने लगी। उनसे पूछा नहीं पर पता चल गया,ज़िन्दगी नेह में गुनगुनाने लगी। ज़ादुई रंग शायद है दिल में चढ़ा, अड़ गये हाथ उनका वो कल थामने। बात ऐसी हुई खाइयाँ थी बहुत, साथ में ऐसा कुछ था कुँआ … Read more

साहित्य क्या है ?

ओम अग्रवाल ‘बबुआ’ मुंबई(महाराष्ट्र) ****************************************************************** जिसमें मानव के दर्शन हो, जो पावन पुण्य समर्पण हो। जो संस्कार की बोली हो, जो ताप निकंदन होली हो॥ जो वाहक हो परिपाटी का, जो पूजन भारत माटी का। जो मात-पिता का वंदन हो, जो मलयागिरि-सा चंदन हो॥ जो गुरुओं का सम्मान करे, जो परमपिता का ध्यान धरे। जो … Read more