राष्ट्र की शुभता को आहत करने का षड़यंत्र,सख्ती जरुरी

ललित गर्ग दिल्ली ******************************************************************* मुद्दा नागरिकता संशोधन कानून………… `नागरिकता संशोधन कानून` का जैसा हिंसक विरोध असम एवं पश्चिम बंगाल के बाद अब दिल्ली में हो रहा है,उससे यही पता चल रहा कि अराजक तत्व उत्पात पर आमादा हैं,वे देश को जोड़ना नहीं तोड़ना चाहते हैं। सरकारी एवं निजी संपत्ति को आग के हवाले करने,सड़क एवं … Read more

राहुल गाँधी:दिवाली पर होली के गीत गाने का क्या मतलब?

अजय बोकिल भोपाल(मध्यप्रदेश)  ***************************************************************** मोदी २.० कार्यकाल में दिल्ली में आयोजित कांग्रेस की पहली प्रभावी विरोध रैली ‘भारत बचाओ’ से ‘सावरकर हटाओ बनाम सावरकर बचाओ’ में कैसे और क्यों तब्दील हो गई,यह राजनीतिशास्त्र के विद्यार्थियों के लिए रोचक विश्लेषण का विषय है। यह रैली देश में बढ़ती महंगाई,दम तोड़ती अर्थव्यवस्था,भारी बेरोजगारी जैसे जमीनी मुद्दों को … Read more

दिशाहीन हो रहा हमारा लोकतंत्र

प्रो. कृष्ण कुमार गोस्वामी दिल्ली *************************************************************************** लोकतंत्र को विश्व में मानव और मानवता की सुरक्षा का एक सशक्त माध्यम माना जाता है। देश की प्रगति के लिए यह एक मानवीय,सुसंस्कृत और गरिमामय प्रणाली है। विचार और निर्णय पर इसका अंकुश तो नहीं होता,लेकिन यह किसी की विचारधारा को स्वतंत्र और सुरक्षित रूप में प्रस्तुत करने … Read more

छत्तीसगढ़ के असली जननायक रहे वीर नारायण सिंह

लक्ष्मीनारायण लहरे ‘साहिल’ सारंगढ़(छत्तीसगढ़) ************************************************************** छत्तीसगढ़ के इतिहास पर नजर डालें तो अलग-अलग समय में अलग अलग देशभक्त-सपूतों का जन्म हुआ,जो समाज और अपनी जन्मभूमि के लिए जिएl जिनके इतिहास को पढ़ कर-सुन कर बाँहें फूल जाती हैंl उनके कार्यों के प्रति मन-हृदय में श्रद्धा के भाव जाग जाते हैं। छत्तीसगढ़ के वर्तमान जिला बलौदाबाजार … Read more

लोकतंत्र तो आहत हुआ

ललित गर्ग दिल्ली ******************************************************************* अपनी अनूठी एवं विस्मयकारी राजनीतिक ताकत से शरद पवार ने महाराष्ट्र में सरकार बनाने की असमंजस्य एवं घनघोर धुंधलकों के बीच जिस तरह का आश्चर्यकारी वातावरण निर्मित किया,वह उनके राजनीतिक कौशल का अदभुत उदाहरण है। महाराष्ट्र में राजनीतिक नाटक का जिस तरह पटाक्षेप हुआ है,उससे यही सिद्ध हुआ है कि इस … Read more

महाराष्ट्र:सत्ता के लिए ‘अनैतिक सौदेबाजी’ और शर्मिंदा घोड़े…!

अजय बोकिल भोपाल(मध्यप्रदेश)  ***************************************************************** महाराष्ट्र में घोड़ों की कोई स्थानीय नस्ल नहीं पाई जाती,लेकिन राज्य में घोड़ा बाजार के नाम पर सत्ता की छीना-झपटी का जो खेल खेला जा रहा है,उससे सबसे ज्यादा शर्मिंदा अगर कोई है तो वो घोड़े हैं। घोड़े हजारों साल से मनुष्य की सेवा करते आ रहे हैं,लेकिन मानवीय दुर्गुणों और … Read more

सामाजिक क्रांति का शंखनाद करती योगी सरकार

ललित गर्ग दिल्ली ******************************************************************* राष्ट्रीय जीवन में घुन की तरह लगे सामाजिक रीति-रिवाजों,प्रदर्शन,फैशन,दहेज,बड़े भोज, प्री-वेड शूटिंग,भव्य एवं खर्चीली शादियों, साप्रदायिकता के कोढ़ को समाप्त करने की दिशा में उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना एक रचनात्मक भूमिका का निर्माण करती है,जिसका व्यापक स्तर पर स्वागत किया जाना चाहिए। अन्य प्रांतों को भी इस प्रेरक … Read more

‘चुनावी गुप्तदान’ में छिपे पारदर्शी सवाल….

अजय बोकिल भोपाल(मध्यप्रदेश)  ***************************************************************** राजनीतिक दलों की चंदा उगाही में पारदर्शिता लाने के नाम पर मोदी सरकार द्वारा पिछले साल जारी चुनावी (इलेक्टोरल बांड)अनुबंध को लेकर संसद के दोनों सदनों में सियासी बवाल मचा है। कारण पारदर्शिता के नाम पर इसकी अपारदर्शिता,चंदा कौन दे रहा है,कैसे दे रहा है,यह बताने की जरूरत नहीं। बैंकों से … Read more

जगन रेड्डी की उल्टी पट्टी

डॉ.वेदप्रताप वैदिक गुड़गांव (दिल्ली)  ********************************************************************** आंध्रप्रदेश के मुख्यमंत्री जगनमोहन रेड्डी ने सांप की बाॅबी में हाथ डाल दिया है। उन्होंने उप-राष्ट्रपति वेंकय्या नायडू,आंध्र के पूर्व मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू और आंध्र के अन्य नेताओं को अपने एक ऐसे तर्क में लपेट लिया है, जो मूलतः गलत है लेकिन जिसने सभी नेताओं की बोलती बंद कर दी … Read more

राजनीतिक गुस्से का प्रतिशोध प्रतिमाओं से क्यों ?

अजय बोकिल भोपाल(मध्यप्रदेश)  ***************************************************************** राजनीतिक आक्रोश या हताशा का प्रतिशोध महापुरूषों की प्रतिमाओं से लेना नई बात नहीं है,लेकिन देश की राजधानी नई दिल्ली में प्रतिष्ठित जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी (जेएनयू) में स्थापित स्वामी विवेकानंद की प्रतिमा को तोड़े जाने का कोई औचित्य समझ नहीं आता,क्योंकि विवेकानंद न तो किसी दल के संस्थापक या प्रचारक थे,न … Read more