क्यों भार लगने लगती है जिन्दगी ?

ललित गर्ग दिल्ली ******************************************************************* जीवन से जुड़ा एक बड़ा सवाल है कि विषम परिस्थितियां क्यों आती है ? जिन्दगी क्यों भार स्वरूप लगने लगती है ? क्यों हम स्वयं से ही खफा से रहने लगते हैं ? इसका सबसे बड़ा कारण है हमने जीने के जो साफ-सुथरे तरीके थे या जो जीवनमूल्य थे,उन्हें भुला दिया … Read more

फूल की भूल

अवधेश कुमार ‘अवध’ मेघालय ******************************************************************** असल जीवन की यह कहानी ६ दिसम्बर १९५९ से सम्बद्ध है। सम्मान,अपमान और निष्कासन की एक ऐसी घटना घटी थी जिसने हर्ष-विषाद का समन्वित इतिहास रच दिया था,लेकिन दुर्भाग्यवश इतिहास ने उस यथार्थ को अपने आँचल में कोई विशेष स्थान नहीं दिया। आइए चलते हैं झारखंड (तत्कालीन बिहार) के धनबाद … Read more

इस कानून से हिंदू क्यों नाराज

डॉ.वेदप्रताप वैदिक गुड़गांव (दिल्ली)  ********************************************************************** कितने मजे की बात है कि गृहमंत्री अमित शाह ने जो नया नागरिकता विधेयक संसद से पारित करवाया है,उसका विरोध भारत के मुसलमान नहीं कर रहे हैं बल्कि हिंदू कर रहे हैं और ये हिंदू हैं पूर्वोत्तर राज्यों के। असम,त्रिपुरा, मणिपुर,मेघालय,मिजोरम,अरुणाचल के। इन राज्यों में रहने वाले मूल निवासियों को … Read more

महिला सशक्तिकरण और जागरूकता की आवश्यकता

इलाश्री जायसवाल नोएडा(उत्तरप्रदेश) ******************************************************* महिला सशक्तिकरण आजकल एक ज्वलंत मुद्दा है,ज्वलंत प्रश्न है। `बेटी बचाओ,बेटी बढ़ाओ’,’महिला आरक्षण’ जैसी अनेक बातें हमें लगभग प्रतिदिन ही सुनने को या देखने को मिल जाती हैं। इनका प्रचार करने वाले भी पुरुष ही ज़्यादा होते हैं। हालांकि,स्त्रियां भी इसमें बढ़-चढ़ के हिस्सा ले रहीं हैं,तब भी बात इतनी बन … Read more

भैया,जरा धीरे चलो…

सुनील चौरसिया ‘सावन’ काशी(उत्तरप्रदेश) *********************************************** ज़िंदगी अनमोल है,इसको सुरक्षित रखना हमारा मानवीय कर्तव्य है। जीवन और सड़क का आदिकाल से ही अटूट रिश्ता है। प्रतिदिन सड़कों से असंख्य जिंदगियाँ गुजरती हैं,अतः हमारी जिंदगी तभी सुरक्षित है जब सड़कें सुरक्षित हैं। आजकल तो सड़कों पर ऐसी-ऐसी दुर्घटनाएँ दिखती हैं कि रोम-रोम सिहर जाता है। गलती करता … Read more

नशा मुक्ति के लिए जागरूकता जरूरी

राजकुमार जैन ‘राजन’ आकोला (राजस्थान) ****************************************************** तम्बाकू और तंबाकूयुक्त नशीली वस्तुओं के साथ मादक पदार्थों का प्रयोग इन दिनों बहुत बढ़ गया है। बाजारों में जितनी दुकानें खाद्य पदार्थों की नहीं है,उससे अधिक नशे की वस्तुओं की हैं। एक बार नशे की गिरफ्त में आने के बाद संभलना बहुत मुश्किल हो जाता है,नशे की खुराक लगातार … Read more

रिश्तों की गरिमा क्यों खो रही है ?

राजकुमार जैन ‘राजन’ आकोला (राजस्थान) ****************************************************** रिश्ते या सम्बन्ध भारतीय जीवन के केन्द्र में रहे हैं,और लोग उन्हीं को जीने में अपना जीवन मानते रहे हैं। रिश्तों का बंधन बड़ा सुहावना लगता है,और हमारा इतिहास,संस्कृति और संस्कार इस बात के गवाह हैं कि,हम रिश्तों के ख़ातिर सब-कुछ दांव पर लगा देते थे। एक जमाना था जब … Read more

शिक्षा में रामायण और गीता जरुरी

सुशीला रोहिला सोनीपत(हरियाणा) ************************************************************** भौतिकवाद के युग में हम विकास की बुलंदियो को छू रहे हैं,और विश्व स्तर पर भौतिक विकास में चार चाँद लगा दिए हैं। तकनीकी के क्षेत्र में भी भारत विश्व स्तर पर अग्रणी है,लेकिन इतना होने पर भी मानव अशांत है। शांति का बीजारोपण कैसे हो, उसका साधन क्या है ? … Read more

सोशल मीडिया: उपयोगी है,पर नुकसानदायक भी

हेमेन्द्र क्षीरसागर बालाघाट(मध्यप्रदेश) *************************************************************** पहले रोटी,कपड़ा और मकान हमारी मूलभूत जरूरतें थी। फिर इसमें पढ़ाई, दवाई और कमाई जुड़ी। बाद में आर-पार,व्यापार, समाचार,संचार और दूरसंचार शामिल हुआ। सिलसिले में कम्प्यूटर,इंटरनेट और मोबाइल के मकड़जाल से ‘कर लो दुनिया मुट्ठी में’ नामक सोशल मीडिया का जन्म हुआ जो बड़े काम की और कमाल का तुंतुरा साबित … Read more

बच्चों को तराशने वाला जौहरी कौन ?

विनोद वर्मा आज़ाद देपालपुर (मध्य प्रदेश)  ************************************************ जिन पालकों के पास थोड़ा-बहुत पैसा आना शुरू होता है,वह अपने बच्चों को अशासकीय विद्यालयों में प्रवेश करा देते हैं। रेत छानने के चलने में से बारीक रेत छन जाती है,व अनुपयोगी बंडे अलग रख दिये जाते हैं,वैसे ही अत्यंत दयनीय आर्थिक स्थिति वाले पालकों के अधिकांश बच्चे शासकीय … Read more