बदलता समय और दिनचर्या

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’बेंगलुरु (कर्नाटक) ************************************** ‘कोरोना’ महामारी का कहर चीन के काले कारनामों से फलित हो धीरे-धीरे समस्त विश्व को अपने आगोश में करीब डेढ़ बर्ष से समेटे आ रहा है। भारत भी इससे अछूता नहीं है। कोरोना का धीरे-धीरे पर फैलाना भारत के बड़े शहरों में शुरू हो गया था। भारत सरकार ने … Read more

घर-परिवार:ज़रूरत बदले हुए नज़रिए की

शशि दीपक कपूरमुंबई (महाराष्ट्र)************************************* घर-परिवार स्पर्धा विशेष…… ‘ज़िंदगी मेरे घर आना,आना ज़िंदगी,मेरे घर का सीधा-सा इतना पता है,मेरे घर के आगे मुहब्बत लिखा है,न दस्तक ज़रूरी,ना आवाज देना,मैं साँसों की रफ़्तार से जान लूँगी,हवाओं की खुशबू से पहचान लूँगी।…’कहने का तात्पर्य है-‘जो सुख छज्जू के चौबारे, ओ बल्ख न बुखारे’ इस उक्ति का अर्थ है … Read more

समय की आवश्यकता है संयुक्त परिवार

गोवर्धन दास बिन्नाणी ‘राजा बाबू’बीकानेर(राजस्थान)*********************************************** घर-परिवार स्पर्धा विशेष…… हमारे कृषि प्रधान देश में संयुक्त परिवार रामायण व महाभारत काल से चली आ रही प्राचीन परम्पराओं व स्थापित आदर्शों के हिसाब से चल रहे हैं,लेकिन पिछले कुछ सालों में संयुक्त परिवार से निकल लोग एकल परिवार की तरफ आकृष्ट हो रहे हैं।आज कोरोना के संक्रमण काल में … Read more

मानवीय संवेदनाओं पर भारी स्वार्थ

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’बेंगलुरु (कर्नाटक) *************************************** आज समाज,शहर,नगर,प्रदेश,देश या यूँ कहें सम्पूर्ण मानव जगत ‘कोरोना’ महामारी की विकराल मौत के तांडव में फँसा त्राहि माम्-त्राहि माम् शिव कर रहा है। श्वांसों की डोर प्राणवायु (ऑक्सीजन) के मकड़जाल में फँसी कराह रही है। एक ओर प्राणवायु की किल्लत तो दूसरी ओर संवेदनाविहीन शैतानी प्राणवायु चोरी,सौदेबाजी, जमाखो़री,गबन … Read more

जीवन है अनमोल

रोहित मिश्रप्रयागराज(उत्तरप्रदेश)*********************************** हमारा जन्म इस जगत में एक विशेष प्रयोजन के तहत हुआ है। इस जगत में हम अपने निर्धारित कार्य को संपादित करने के लिए आते हैं। ये दुनिया एक रंगमंच है,और हम इस रंगमंच के सिर्फ एक पात्र है। अर्थात हमारा जन्म किसी न किसी कार्य को संपादित करने के लिए हुआ है,और … Read more

संकट:भारत का सिकुड़ता मध्यम वर्ग

डॉ.वेदप्रताप वैदिकगुड़गांव (दिल्ली) ******************************* ‘कोरोना’ की महामारी के दूसरे हमले का असर इतना तेज है कि लाखों मजदूर अपने गाँवों की तरफ दुबारा भागने को मजबूर हो रहे हैं। खाने-पीने के सामान और दवा-विक्रेताओं के अलावा सभी व्यापारी भी परेशान हैं। उनके काम-धंधे चौपट हो रहे हैं। इस दौर में नेता और चिकित्सक लोग ही ज़रा … Read more

असफलता से सफलता का मार्ग प्रशस्त कीजिए

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरेमंडला(मध्यप्रदेश) ************************************* असफलता जीवन की एक वास्तविकता है,जिसका सामना सभी मनुष्यों को अपने जीवन में कभी न कभी,किसी न किसी रूप में करना ही पड़ता है। इससे कोई भाग नहीं सकता।अलबर्ट आइंस्टीन ने कहा था कि,-‘यदि कोई व्यक्ति कभी असफल नहीं हुआ,इसका मतलब उसने अपने जीवन में कभी कुछ नया करने की … Read more

बुजुर्ग हमारे वजूद,बोझ नहीं

डॉ.सत्यवान सौरभहिसार (हरियाणा)************************************ हमारे देश में बुजुर्ग तेजी से बढ़ते जा रहे हैं,लेकिन उनके लिए उपलब्ध संसाधन कम होते जा रहे हैं। ऐसे में हम सबकी जिम्मेवारी बनती है कि उन्हें एक तरफ रखने के बजाय उनकी शारीरिक और मानसिक देखभाल करने के लिए समुदायों के जीवन में एकीकृत किया जाना चाहिए,जहां वे सामाजिक परिस्थितियों … Read more

आत्महत्या:निर्बलता को बनाएं शक्ति

अल्पा मेहता ‘एक एहसास’राजकोट (गुजरात)*************************************** ‘सुख में न विवेक खो,दु:ख में न सहनशीलता।सुख में हम अगर विवेक खो देते हैं, और दु:ख में सहनशीलता,तो हम कभी मानसिकता से स्थिर नहीं हो पाएंगे…और तब हम असंतोष,राग,द्वेष.. जैसे भावों में उलझते रहेंगे..।बहुत पुण्य हासिल करने के बाद हमें मनुष्य भव हासिल होता है,और ये हमें अनुशासन के … Read more

कर्म कर पाओ हर्ष

योगेन्द्र प्रसाद मिश्र (जे.पी. मिश्र)पटना (बिहार)************************************************** कर्म के वश में ही यह जीवन है। जिसका जैसा कर्म रहता है,फल भी उसे वैसा ही मिलता है। यजुर्वेद का यह मंत्र एक सूत्र निर्धारित करता है-‘कूर्वन्नेह कर्माणि जिजीविशेच्छतं समा:।एवं त्वयि नान्यथेतोऽस्ति न कर्म लिप्यते नरेll ‘(४०/२) `यदि जीना चाहो सौ वर्ष,कर्मकर पाओ हर्ष।इसके सिवा न कोई विमर्श,कर्म … Read more