शब्दों का खेल

डॉ.सरला सिंह`स्निग्धा`दिल्ली************************************** बाबू जी,माँ का हाथ पकड़ कर बच्चों की तरह रोये जा रहे थे,-'बीनू की माँ मुझको छोड़ कर मत जाना। देखो तुम्हारे बिना मैं जिंदा नहीं रह पाऊँगा।'माँ…

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‘पराकाष्ठा’

शिवनाथ सिंहलखनऊ(उत्तर प्रदेश)**************************************** मानवी और रमणीक को हवनकुंड के चारों ओर सात फेरे लिए हुए अभी कुछ ही दिन बीते थे कि,एक दिन रमणीक ने मानवी से कहा-'मानवी, आज रात…

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मधुमक्खी

डॉ. हंसा दीपटोरंटो (कैनेडा)************************** बेबी सीटर हेज़ल जब से आने लगी है,घर का माहौल ही बदल गया है। बेबी भी बहुत ख़ुश है। जितने प्यार से हेज़ल लोरी सुनाती है,…

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ठंड से वजनी

मीरा जैनउज्जैन(मध्यप्रदेश) ************************************************ शिक्षिका ने आवाज दी-'अरे मुन्नी! आज धूप भी नहीं है,इस कड़कड़ाती ठंड में वहां सिमट कर चुपचाप क्यों बैठी हो! देखो सारे बच्चे भागा-दौड़ी कर रहे हैं।…

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ठिठुरती सुबह

डॉ.शैल चन्द्राधमतरी(छत्तीसगढ़)**************************************** दिसम्बर का आखिरी सप्ताह था। कड़ाके की ठंड पड़ रही थी।शीत लहर के प्रकोप से पूरे शहरवासी कांप रहे थे,फिर भी कहीं क्रिसमस तो,कहीं नए वर्ष का उत्साह…

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खुदगर्जी

मेहविश खान, मुंबई(महाराष्ट्र) ***************** मकर सक्रांति स्पर्द्धा विशेष…. मैं एक गौरैया हूँ! आज मैं आपको अपनी कहानी सुनाना चाहती हूँ। वैसे तो मकर संक्रांति खुशियों का त्योहार होता है,लेकिन इसकी…

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मतभेद भुलाने का पर्व संक्रांति

सानिया आदिल पाशामुम्बई (महाराष्ट्र)********************************** मकर सक्रांति स्पर्द्धा विशेष…. सूर्य ने अपनी आँखें खोली,आकाश में उजाला छा गया। पक्षी अपने-अपने घरों से दाने की खोज में निकल पड़े। मुर्गे ने सबको…

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रिश्तों की डोर

डॉ.पूर्णिमा मंडलोईइंदौर(मध्यप्रदेश) ***************************************************** मकर सक्रांति स्पर्द्धा विशेष…. आज संक्रांति के त्योहार पर हमेशा की तरह छत पर पतंगबाजी का कार्यक्रम था। घर के सभी सदस्य तीनों बेटे,तीनों बहुएं,बच्चे,सास,ससुर सुबह से…

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कटी पतंग

रिंकू कुमावतमुम्बई (महाराष्ट्र)**************************** मकर सक्रांति स्पर्द्धा विशेष…. पंकज और पीयूष नाम के २ मित्र राजस्थान के छोटे से गाँव लालपुर में रहते थे। दोनों बचपन से ही दोस्त थे। यह…

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रूठी हँसी की खोज

योगेन्द्र प्रसाद मिश्र (जे.पी. मिश्र)पटना (बिहार)************************************************** तेरासी टपे तो कुछ बूढ़े लोगों से संगति हुई। समय-समय पर गोष्ठी होने लगी। अच्छा लगा। इस तरह कई मास बीते। संगतियों को मेरी…

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