आँचल
बाबूलाल शर्मा सिकंदरा(राजस्थान) ************************************************* आँचल- धानी चूनर भारती,आँचल भरा ममत्व। परिपाटी बलिदान की,विविध वर्ग भ्रातृत्व। विविध वर्ग भ्रातत्व,एकता अपनी थाती। आँचल भरे दुलार,हवा जब लोरी गाती। शर्मा बाबू लाल,करें हम क्यों नादानी। माँ का आँचल स्वच्छ,रहे यह चूनर धानी। कजरा- कजरा से सजते नयन,रहे सुरक्षित दृष्टि। बुरी नजर को टालता,अनुपम कजरा सृष्टि। अनुपम कजरा सृष्टि,साँवरे … Read more