विश्व शांति की स्थापना में चरित्र निर्माण की महती भूमिका

विजयलक्ष्मी विभा इलाहाबाद(उत्तरप्रदेश)********************************************************* विश्व शांति दिवस स्पर्धा विशेष……        कोलकाता की पावन भूमि पर जन्मे बांग्ला भाषा के विश्वविख्यात कवि गुरुदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर ने एक ऐसे विश्व की कल्पना की थी,जहाँ मनुष्य का मस्तिष्क भयमुक्त हो और सर सदैव ऊँचा रहे। उनकी सुप्रसिद्ध पुस्तक `गीतांजलि` की यह प्रथम रचना है, वे लिखते हैं-`व्हेयर द माइंड इज … Read more

नई शिक्षा नीति के चक्रव्यूह में हिन्दी

प्रो. अमरनाथकलकत्ता (पश्चिम बंगाल)****************************************** चकित हूँ यह देखकर कि,राष्ट्रीय शिक्षा नीति-२०२० में संघ की राजभाषा या राष्ट्रभाषा का कहीं कोई जिक्र तक नहीं है। पिछली सरकारों द्वारा हिन्दी की लगातार की जा रही उपेक्षा के बावजूद २०११ की जनगणना रिपोर्ट के अनुसार आज भी देश की ५३ करोड़ आबादी हिन्दी भाषी है,दूसरी ओर अंग्रेजी बोलने … Read more

हिंदी दिवस:अंग्रेजी मिटाओ नहीं,सिर्फ हटाओ

डॉ.वेदप्रताप वैदिकगुड़गांव (दिल्ली) ********************************************************** भारत सरकार को हिंदी दिवस मनाते-मनाते ७० साल हो गए लेकिन कोई हमें बताए कि सरकारी काम-काज या जन-जीवन में हिंदी क्या एक कदम भी आगे बढ़ी ? इसका मूल कारण यह है कि हमारे नेता नौकरशाहों के नौकर हैं। वे दावा करते हैं कि वे जनता के नौकर हैं। चुनावों के … Read more

हिन्दी जन-जन की भाषा,पर राष्ट्रभाषा कब ?

राजकुमार अरोड़ा ‘गाइड’बहादुरगढ़(हरियाणा)********************************************************* हिंदी दिवस विशेष….. हम भारतवासी ‘हिंदी दिवस’ एक औपचारिकता के रूप में कब तक मनाते रहेंगे ? कब हिंदी इस आडम्बर से मुक्त होगी। कब राजभाषा से राष्ट्रभाषा बनेगी,जन-जन की भाषा घर-घर तक कब घर करेगी। हिंदी के प्रति आम लोगों में जनचेतना जागृत करने के लिए सरल सुबोध हिंदी में विशाल … Read more

उजला किरदार

अरशद रसूलबदायूं (उत्तरप्रदेश)**************************************************** डॉ. अमीन का नाम बस्ती में बेहद अदबो- एहतराम के साथ लिया जाता है। २ साल पहले ही तो डॉ. साहब ने कस्बे में आकर क्लीनिक खोला था। उनके यहां दिनभर अच्छी बातें होती रहती थीं। नौजवानों को भलाई की बातें भी बताया करते थे। कस्बे में गमी-खुशी,कुछ भी हो डॉ. साहब … Read more

धीरे-धीरे भारतीयता भी छीन रही अंग्रेजी

विजयलक्ष्मी विभा इलाहाबाद(उत्तरप्रदेश)********************************************************* हिंदी दिवस विशेष….. नई शिक्षा प्रणाली ने मातृभाषा की आशाएँ जगा दी हैं। उसे महसूस होने लगा है कि अच्छा समय आ रहा है। शताब्दियों से निराश और कुंठित मातृभाषा अपने बच्चों को दोराहे पर खड़ा देख कर प्रतीक्षा कर रही है कि वे सही रास्ते पर कदम रखें। उनके सामने दो रास्ते … Read more

हिन्दी का स्वरुप जनभाषा का हो

योगेन्द्र प्रसाद मिश्र (जे.पी. मिश्र)पटना (बिहार)******************************************************** हिंदी दिवस विशेष….. ‘हिन्दी दिवस’ १४ सितम्बर को हर साल मनाया जाता है। इस दिन बड़ी धूमधाम से हिन्दी की विरुदावली गायी जाती है। कहीं हिन्दी सप्ताह मनाया जाता है तो कहीं हिन्दी पखवाड़ा। विद्यालयों के छात्र-छात्राओं में लेख,श्रुतिलेखन, काव्यपाठ आदि की प्रतियोगिताएँ होती हैं और सफल होनेवालों को … Read more

हर दिन को ‘हिंदी दिवस’ बनाना होगा

संदीप सृजनउज्जैन (मध्यप्रदेश) *************************************************** हिंदी दिवस विशेष….. सितम्बर की हवाओं में न जाने कौन-सी मादकता है कि हिंदी के दिवाने झूमने लगते हैं। देश के कोने-कोने से समाचार आने लगते है कि हिंदी को बढ़ावा मिले इसके लिए महानगर,शहर,गाँव,गली, मुहल्लों में संगोष्ठी-कवि गोष्ठी की जा रही है। लोगों को हिंदी के प्रति आकर्षित करने के लिए … Read more

हमेशा अपनी भाषा की उन्नति के लिए कार्य करना होगा

सुरेन्द्र सिंह राजपूत हमसफ़रदेवास (मध्यप्रदेश)******************************************************* हिंदी दिवस विशेष….. १४ सितम्बर को हमारे देश में हिंदी दिवस मनाया जाता है। १९४७ में जब भारत अंग्रेजी हुकूमत से आज़ाद हुआ तो,देश के सामने एक बड़ा सवाल भाषा को लेकर था, क्योंकि भारत में सैकड़ों भाषाएँ और बोलियां बोली जाती थी। आज़ाद भारत का संविधान २६ जनवरी १९५० को … Read more

‘माथे की बिंदी’ बनाने में आम हिन्दी सुगम राह

कर्नल डॉ. गिरिजेश सक्सेना ‘गिरीश’भोपाल(मध्यप्रदेश)************************************************* हिंदी दिवस विशेष….. हिन्दी देश के माथे की बिंदी यह वाक्य या कहूँ तो यह कथ्य मैं अपने होश के साठ-पैसठ वर्षों से सुन रहा हूँ,गौरवान्वित भी रहा हूँ और आज भी हूँ। कभी-कभी परन्तु यह गौरव मुझे थोथा या ढकोसला सा लगता है। सोचा,बहुत सोचा,हिन्दी हमारी राष्ट्रभाषा है अतः … Read more