मातृभाषा के बिना शिक्षा नीति अपंग

निर्मलकुमार पाटोदीइन्दौर(मध्यप्रदेश)************************************************** शिक्षा नीति-२०२० नई शिक्षा नीति पर प्रधानमंत्री के हस्तक्षेप के बाद केबिनेट की बैठक में अंतत: मंज़ूरी मिल जाने से एक बड़ी यह चिंता दूर हो गई है कि सरकार का कार्यकाल बीत जाता और और सारी मेहनत व्यर्थ रह जाती।कस्तूरीरंगन की अध्यक्षता वाली शिक्षा नीति समिति के मूल प्रस्तावों को सरकार ने … Read more

भाषा चिन्तन के सुझावों पर अमल नहीं हुआ

प्रो.अमरनाथ,कलकत्ता (पश्चिम बंगाल)**************************************** हिन्दी के योद्धा:प्रेमचंद……… सबसे ज्यादा पढ़े जाने वाले हिन्दी के लेखकों में हैं। बड़े-बड़े विद्वानों के निजी पुस्तकालयों से लेकर रेलवे स्टेशनों के बुक स्टाल तक प्रेमचंद की किताबें मिल जाती है। प्रेमचंद की इस लोकप्रियता का एक कारण उनकी सहज सरल भाषा भी है,किन्तु मुझे यह देखकर आश्चर्य होता है कि … Read more

‘कोरोना’ का इलाज ‘पापड़’ या ‘टीका’ ?

अजय बोकिलभोपाल(मध्यप्रदेश)  ***************************************************************** चाहे तो इसे ‘सदी का सबसे बड़ा भ्रम’ कह लें। ‘भ्रम’ ये कि जब देश में ‘कोरोना’ इलाज के इतने देसी नुस्खे तैयार हैं तो फिर मोदी सरकार कोरोना टीका तैयार करवाने में वक्त और पैसा क्यों ‘बर्बाद’ करने में लगी है ? हमारे वैज्ञानिक क्यों अपना पसीना बहा रहे हैं ? … Read more

बहुत जरूरत है दायित्वों से बंधी राखी के सम्मान की

ललित गर्गदिल्ली ******************************************************************* रक्षाबंधन पर्व विशेष……….. रक्षाबन्धन हिन्दू धर्म का प्रमुख सांस्कृतिक, सामाजिक और पारिवारिक पर्व है। यह आपसी संबंधों की एकबद्धता,प्रेम एवं एकसूत्रता का सांस्कृतिक उपक्रम है। प्यार के धागों का यह एक ऐसा पर्व है,जो घर-घर मानवीय रिश्तों में नवीन ऊर्जा का संचार करता है। यह जीवन की प्रगति और मैत्री की ओर … Read more

अंतर्मन में सामंजस्य और विपत्ति में रक्षा की प्रतिबद्धता है ‘रक्षाबंधन’

योगेन्द्र प्रसाद मिश्र (जे.पी. मिश्र)पटना (बिहार)********************************************************************* रक्षाबंधन पर्व विशेष……….. ‘रक्षाबंधन या रक्षा कवच!येन बद्धो बलिराजा, दानवेंद्रो महाबल:,तेन्त्वाम् प्रतिबध्नामि, रक्षे माचल!माचल!!’श्रावण-पूर्णिमा के दिन एक रक्षा कवच बाँधने का विधान है,जिसे बोलचाल की भाषा में राखी कहते हैं। यह पर्व एक-दूसरे के प्रति आस्था जगाने,एक-दूसरे की रक्षा करने के लिए वचनबद्ध होने का है। भले कोई किसी … Read more

मानव हृदय की स्वार्थ की सोच दु:ख का कारण

हीरा सिंह चाहिल ‘बिल्ले’बिलासपुर (छत्तीसगढ़) ********************************************************************** सृष्टि के निर्माणकर्ता हमारे देवता ब्रह्मा, विष्णु,महेश ने सृष्टि बनाने से पहले, इसके सुचारु रुप से संचालन के विषय में सोचा। इसी आशय से देवताओं ने बहुत से तत्व ऐसे बनाए जिन्हें सृष्टि का प्राणी महसूस तो करता है,परन्तु देख नही सकता। जैसे हवा,किरण, खुशबू,वक्त इत्यादि। ऐसे तत्व जीवन … Read more

जिजीविषा ने असंभव को संभव कर दिखाया

राकेश सैनजालंधर(पंजाब)***************************************************************** ५ अगस्त का दिन है सरयू के मुहाने पर बाबरी बेड़े के दरकने का,संदेश है ‘एकम् सद् विप्रबहुधा वदंति’ के सनातन सिद्धांत की विजय का। एक बार सत्य फिर स्थापित हो रहा है कि न तो तलवार के जोर पर व न ही किसी और तरह से पूरी दुनिया को एक ही मजहब … Read more

शांतिपूर्ण समाज के लिए बड़ा खतरा सोशल साइट्स

डॉ.सत्यवान सौरभहिसार (हरियाणा)************************************ फेसबुक,ट्विटर,गूगल और कई अन्य सोशल मीडिया मंच ने हमारे संवाद करने के तरीके में क्रांति ला दी है। ये मंच आज ज्यादातर बात करने के लिए उपयोग किए जाते हैं,यही नहीं ये सार्वजनिक तौर पर बहुत बड़ा प्रभाव डालते हैं,लेकिन सुरक्षा के उचित नियमों के अभाव में ये अतिसंवेदनशील हैं। तभी तो … Read more

दल-बदल का विषाणु

नवेन्दु उन्मेषराँची (झारखंड) ********************************************************************* ‘किफायती लाल’ मेरे शहर के नामी-गिरामी नेताओं में शुमार हैं। वे विधायक से लेकर सांसद तक के ओहदे तक पहुंच चुके हैं। सुबह की सैर के वक्त मुझे मिल गए। हालचाल पूछने के बाद उन्होंने मुझसे कहा कि इन दिनों राजनीति के क्षेत्र में दल-बदल विषाणु हावी है। मुझे लगता है … Read more

तुलसीदास और ‘राम राज्य’

अंशु प्रजापतिपौड़ी गढ़वाल(उत्तराखण्ड)**************************************************************** महाकवि गोस्वामी तुलसीदास (२४ जुलाई) जयंती स्पर्धा विशेष हमारी महान भारतीय संस्कृति का आधार दयालुता,समभाव,संतुलन, सहृदयता तथा समन्वय की भावना है। हम भारतीयों के आदर्श प्रभु श्री राम,भगवान श्री कृष्ण आदि हैं। इनके जीवन चरित्र की विभिन्न झांकियों में जहाँ हम जैसे साधारण मनुष्य जटिल से जटिल समस्याओं के हल ढूंढ लिया … Read more