समझ ही लेती हो अनकही बातें

डॉ.हेमलता तिवारीभोपाल(मध्य प्रदेश)*********************************** माँतुम्हारे लिए,मेरे पास शब्दों से परे थी भाषाआज भी वैसी ही है भाषा,इतनी बातों के दरम्यानतुम समझ ही लेती हो,मेरी अनकही बातें। आज भी मैं ठिठक कर कहूँ कुछ भी,तुम्हारे पास मेरी बात का जवाबतैयार रहता है,मेरे साथ हुए धोखे-फरेब का समाधानभी तुम्हारे पास पहले से रहता है। घावों पर कौन सा … Read more

ग़ज़ल के चलते-फिरते विश्वविद्यालय थे डॉ. दरवेश भारती

संदीप सृजनउज्जैन (मध्यप्रदेश) *************************************** श्रद्धांजलि:स्मृति शेष…… ‘जितना भुलाना चाहें भुलाया न जायेगा,दिल से किसी की याद का साया न जायेगा।’इस संजीदा अशआर को कहने वाले डॉ. दरवेश भारती जी ३ मई २०२१ को दुनिया को अलविदा कह गए,लेकिन जो काम हिंदी, उर्दू साहित्य के लिए वे कर गए,वह आने वाले कई सालों तक उनको ज़मीन पर … Read more

बहुत मुमकिन

शंकरलाल जांगिड़ ‘शंकर दादाजी’रावतसर(राजस्थान) ****************************************** रचना शिल्प:क़ाफ़िया-अना,रदीफ़-मुमकिन मिरा,बहर २१२२,२१२२,२१२२,२१२ हो जुदा उनसे तड़पना है बहुत मुमकिन मिरा।याद में उनकी मचलना है बहुत मुमकिन मिरा। गर्म साँसों की चुभन आती है मुझको याद जब,उसकी यादों से गुजरना है बहुत मुमकिन मिरा। आलम-ए-तनहाई ने खामोश मुझको कर दिया,हो दिवानावार अब है बहकना मुमकिन मिरा। जिस तरह से जिक्र … Read more

रिश्ते बनाए रखें

संजय जैन मुम्बई(महाराष्ट्र) **************************************** रिश्तों का बंधन,कहीं छूट न जाएऔर डोर रिश्तों की,कहीं टूट न जाए।रिश्ते होते हैं बहुत,जीवन में अनमोलइसलिए रिश्तों को,हृदय में सजा के रखें। बदल जाए परस्थितियाँ,भले ही जिंदगी मेंथाम के रखना डोर,अपने रिश्तों कीपैसा तो आता-जाता है,सबके जीवन मेंपर काम आते हैं,विपत्तियों में रिश्ते ही। जीवन की डोर,बहुत नाजुक होती हैजो किसी … Read more

माँ…इतना धैर्य कहाँ से लाई…

राधा गोयलनई दिल्ली****************************************** मातृ दिवस विशेष…. इतने काम किस तरह करती,माँ अब तक मैं समझ न पाई। चेहरे पर कभी शिकन ना देखी,हरदम बस ममता ही देखी।इतनी ममता लाई कहाँ से ?इतना धीरज लाई कहाँ से ? एक टाँग पर फिरकी जैसी,सुबह-सुबह तू घूम रही है।कभी नाश्ता-कभी चाय,कपड़े धोने को भिगो रही है। कभी लगे … Read more

मानव सेवा से सुलभ हो पुण्य

सुजीत जायसवाल ‘जीत’कौशाम्बी-प्रयागराज (उत्तरप्रदेश)******************************************* मैं हूँ कपड़ों का व्यापारी,व्यापार ही मेरा अब कर्म,हर ग्राहक को समझूं देवतुल्य निज तेवर रखूं नर्मतब क्या खाएगा वो घोड़ा जिसे प्रेम हो घास के संग,पूज्य पिताजी के वचनों से समझा व्यापारिक धर्म। मृदु भाषा,व्यवहार कुशलता व्यापार का है मूलमंत्र,दाल में नमक-सा लाभ मिले तो उन्नत व्यवसाय तंत्रग्राहक को दूँ … Read more

तब ही माँ के दर्द को जाना

रेणू अग्रवालहैदराबाद(तेलंगाना)************************************ जब मैं ख़ुद माँ बनी,तब ही माँ के दर्द को जानासही मायने में मैंने जब,माँ के मर्म को था पहचाना। जान की बाज़ी लगाकर,जो शिशु को जन्म है देतीधन्य है वो सब माँएं,जो सृष्टि को क्रम है देती। माँ बिन घर,घर नहीं होता है,माँ बिन दर,दर नहीं होता हैमाँ वंदनवार चौखट की,माँ बिन … Read more

जग के स्वामी कष्ट हरौ

डॉ.धारा बल्लभ पाण्डेय’आलोक’अल्मोड़ा(उत्तराखंड) ************************************************ रचनाशिल्प:३२ मात्रा,१०,८,८,६ पर यति,चरणांत गुरु। हे जग के स्वामी,अंतर्यामी,तेरी अद्भुत,माया है।हे दीनदयाला,भक्त कृपाला,तेरी ही सब,छाया है॥सब जग हितकारी,कष्ट विदारी,नाथ दयानिधि,हे प्रभुजी।जग कष्ट हरो हरि,दीनन सुधि धरि,हे दुख भंजन,हे हरि जी॥ हे प्रियतम प्यारे,सखा हमारे,अब आओ जग,कष्ट हरौ।है आज दुखी जग,रोग रहा ठग,सब आतुर तव,चरण परौ॥तू अंतर्यामी,सबका स्वामी,बड़ा दयालू,तू प्यारा।तूने जग पाला,नयन … Read more

घर सुरक्षित तो ही देश स्वस्थ

मंजू भारद्वाजहैदराबाद(तेलंगाना)******************************************* सुबह की पहली डोर बेल बजते ही हम दौड़ पड़ते हैं अखवार के लिए। बचपन से यही तो देखा है कि सुबह की शुरुआत गर्मा-गर्म चाय और गर्मा-गर्म ख़बरों के साथ होती रही है,पर आज के इस दौर में अख़बार का हर पन्ना, टी.वी. का हर चैनल, मीडिया का हर श्रोता लहूलुहान है। … Read more

मजदूर

प्रिया देवांगन ‘प्रियू’ पंडरिया (छत्तीसगढ़) ************************************ मजदूरी का काम है,करते प्रतिदिन काम।बहे पसीना माथ से,मिले नहीं आराम॥मिले नहीं आराम,हाथ छाले पड़ जाते।सर्दी हो या ठंड,सभी श्रम करके खाते॥परिवारों को देख,रहे सबकी मजबूरी।कैसे हो हालात,करे फिर भी मजदूरी॥ कहते हैं मजदूर को,जग के वो भगवान।कर्म करें वो रात-दिन,बने नेक इंसान॥बने नेक इंसान,सभी के महल बनाते।करते श्रम … Read more