प्रकृति प्रेम
संदीप धीमान चमोली (उत्तराखंड)********************************** सौंधी-सौधी सी मिट्टी मेंसौंधा-सौंधा सा कल है,अंकुरित होती डालियों पे-आने वाला मीठा-सा फल है। हर्षित,उपवन-सा देख इन्हेंआज बहारों-सा मेरा मन है,बच्चों के जैसे थे कभी जो-आज यौवन में इनका तन है। पतझड़,सावन-भादो साउदास निराश बीती यादों-सा,अपने जैसा ही जरा देखो ना-बहारों-सा आज खिला यौवन है। प्रकृति की अपनी रीत प्रीत कीदेती शीतल … Read more