प्रकृति प्रेम

संदीप धीमान चमोली (उत्तराखंड)********************************** सौंधी-सौधी सी मिट्टी मेंसौंधा-सौंधा सा कल है,अंकुरित होती डालियों पे-आने वाला मीठा-सा फल है। हर्षित,उपवन-सा देख इन्हेंआज बहारों-सा मेरा मन है,बच्चों के जैसे थे कभी जो-आज यौवन में इनका तन है। पतझड़,सावन-भादो साउदास निराश बीती यादों-सा,अपने जैसा ही जरा देखो ना-बहारों-सा आज खिला यौवन है। प्रकृति की अपनी रीत प्रीत कीदेती शीतल … Read more

नमन मातृभूमि

श्रीमती देवंती देवीधनबाद (झारखंड)******************************************* नमन करती हूँ सभी जगत,हे मातृभूमि आपको,पुण्य भूमि में यज्ञ करने से मिटाती हो दु:ख-श्राप को। आओ मिल के करें गुणगान,अपनी भारत माता का,अपने आँचल में बाँध रखा,परम पूज्य विधाता का। इसी पुण्य भारत भूमि में,प्रकट हुए भगवान श्रीराम,इसी पुण्य भारत भूमि में,अनेक लीला किए श्रीश्याम। माँ तेरी पुण्य धरा में,हम … Read more

अमृत था या राग

डाॅ. पूनम अरोराऊधम सिंह नगर(उत्तराखण्ड)************************************* धुला आकाश,तारामण्डल से सुशोभितशरद की ठंडी रात,कभी आनन्द का झोंकाकभी प्रेम की हिलोर,कभी शांति का ठहराव।कभी चाह कभी चाव,कभी बहाव औ अनिद्रावैराग्य में बीतती रात…तभी तड़के ही,दूर से आती आवाज़।रस भरा स्वर,वैराग्य भरा रागमुग्ध-सी हुई मैं,जहाँ थी वहीं पररेत के टीले पर बैठ गई।प्राणों में रस भरता,रोम-रोम कंपातावैराग्य भरता,स्वाद भी … Read more

खुशियों की खूंटियाँ

अमृता सिंहइंदौर (मध्यप्रदेश)************************************************ क्यों ढूंढ रही हूँ खूंटियाँ अपनी खुशियाँ टांगने को ?क्यों ढूंढ रही हूँ कंधे सहानुभूतियाँ बटोरने को ?क्यों पाल रखा हैं वहम मैं कमज़ोर हूँ ?खुश रहो,के कालिख को तुम निखार लोगी। खुश रहो,के इन भीगी आँखों में…काजल को,तुम संवार लोगी,खुश रहो,के ये ना हुआ होता…तो तुम अपनी मददगार ना होती,खुश रहो,के … Read more

पृथ्वी हूँ मैं

असित वरण दास,बिलासपुर(छत्तीसगढ़)*********************************************** पृथ्वी हूँ मैं,मौन रहतीएक नीलेपन में,चंचल रहतीछलछल बहती शिशु नदी में।निःस्तब्ध देखती,पर्वत शिखर परसूर्यकिरणों का,निर्बाक उत्तरणअभिमानी वर्फ़ का,पिघलकर यूँ हीएक नदी में,अनायास रूपांतरण।देखती रहती,पर्वत शिखर से अग्नि उदगारअंतस सलिला में अहंकार का,विलय निरंतर।वृक्ष जितने हैं मेरे,बाहु बंधन मेंहै आश्रय,जीवन रक्षक,मेरे ही अचूक मूल मंत्र में।उठाया कुठार तुमने औरलहू बहाया वृक्ष वक्ष से।नदी,झील … Read more

सम्मान समारोह १० जून को

नागदा(मप्र) | वैश्विक महामारी कोविड की समयावधि में साहित्यिक विचार-विमर्श की आभासी संगोष्ठी के निरन्तर शिक्षा,साहित्य,संस्कृति के लिए संकल्पित संस्था ‘शिक्षक संचेतना‘ ने १०० आयोजन पूरे कर लिए हैं। महासचिव डॉ. प्रभु चौधरी ने बताया कि,इस अवसर पर अपने तकनीकी पदाधिकारी एवं समारोह संचालकों को १० जून शाम ५ बजे सम्मान पत्र दिए जाएंगे।

युग नया आएगा

मनोरमा जोशी ‘मनु’ इंदौर(मध्यप्रदेश)  ***************************************** प्रभाती कोई दूर पर,गा रहा हैबढ़ो सामने युग नया,आ रहा है।नयी रुपरेखा बनी,जिंदगी कीनयी चाँदनी अब,खिलेगी खुशी की।हृदय मानवों का भरेगा,नमन शत धरा कोगगन,अब करेगा।नया चन्द्रमा शान्ति,बरसा रहा हैनया ज्ञान का सूर्य,मुस्का रहा है।पगों में सभी के,अतुल शक्ति होगीमन में सभी के,नवल भक्ति होगी।सुधा धार में वेग,सा आ रहा हैतृषित-सा मनुज … Read more

उनकी नजर

आदर्श पाण्डेयमुम्बई (महाराष्ट्र)******************************** नजरें उनकी थीं,प्यार हमारा थातुमने यूँ ही नहीं,अपने बालों को संवारा था।तुमने हमें यूँ देखा तो,लगा किसी ने टोका था।पर हमें क्या पता,वो मोहब्बत नहीं,दिल्लगी का इशारा था॥

बता क्या

विनोद सोनगीर ‘कवि विनोद’इन्दौर(मध्यप्रदेश)************************************* जिंदगी बड़ी हसीं है तुझे पता क्या,न हो मरना तो जीने का मजा क्या। रेत-सा फिसलता है वक्त हाथों से,फिर भी घड़ी में तेरी बता बजा क्या। फिक्र में घुलता एक बेटी का बाप,उसके मर्ज की है कोई दवा क्या। सुबह-शाम चिंता है चंद निवालों की,मजदूर के हालातों का तुझे पता … Read more

तान गई डीजे बजे,बीन गई खो आज

पर्यावरण दिवस पर कवि सम्मेलन सरगुजा (छग)। कलम की सुगंध छंंदशाला के तत्वावधान में पर्यावरण दिवस के अवसर पर ऑनलाइन कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। भारत के अनेक राज्यों से रचनाकारों ने इसमें प्रतिभागिता की। रचना ‘तान गई डीजे बजे,बीन गई खो आज’ को खूब पसंद किया गया।मंच संचालिका अनिता मंदिलवार ‘सपना’ ने बताया … Read more