आज स्वागत में तुम्हारे
डॉ. गायत्री शर्मा’प्रीत’कोरबा(छत्तीसगढ़)******************************************* आज स्वागत में तुम्हारे, द्वार तोरण सज रहे।ढोल बाजे झांझ वीणा, आज देखो बज रहे॥द्वार पर घर आँगने में, सज रही है अल्पना।बस गया मनमीत मन में,…
डॉ. गायत्री शर्मा’प्रीत’कोरबा(छत्तीसगढ़)******************************************* आज स्वागत में तुम्हारे, द्वार तोरण सज रहे।ढोल बाजे झांझ वीणा, आज देखो बज रहे॥द्वार पर घर आँगने में, सज रही है अल्पना।बस गया मनमीत मन में,…
संजय सिंह ‘चन्दन’धनबाद (झारखंड )******************************** मुहब्बत नशा है संभलना जरा,ये नशा बेवफा है ताउम्र गहरान उम्र ठहरती, न बंदिश-पहरा,नशा हो जिसे भी, हो जाए बहरा। जगी जब जवानी या हो…
प्रो.डॉ. शरद नारायण खरेमंडला(मध्यप्रदेश)******************************************* मन को तन को, नव जीवन दे, बरसात बहार सुहावन है।जब नीर हमें सबको सुख दे, तब गीत जगे मनभावन है।बरसे बदरा हम भीग गए, पर…
बबीता प्रजापति ‘वाणी’झाँसी (उत्तरप्रदेश)****************************************** साँझ में सुर मिलाने लगी है,चिड़िया भी गीत गाने लगी हैनील अम्बर में छिटकी छटाएं अब,सिंदूरी रेखाएं बनाने लगी हैं। दिव्य रथ पे सवार हो समीर,हृदय…
डॉ.अशोकपटना(बिहार)********************************** इस नश्वर शरीर में,कुछ भी स्थाई नहीं हैकालांतर में यह कभी,दिखता भी नहीं है। यहाँ कुछ-कुछ खुशियां रंग भर देती है,ग़म से छुटकारा फिर भी नहीं मिलता हैसब-कुछ खोकर…
इंदौर (मप्र)। सरोकार साझा मंच की ओर से 'प्रकृति और हम' विषय पर गोष्ठी आयोजित की गई। अध्यक्ष महिमा शुक्ला ने विषय के विभिन्न पक्ष को स्पष्ट करते हुए हुए…
डॉ.अरविन्द जैनभोपाल(मध्यप्रदेश)******************************************* अशुद्ध पानी हमारे लिए बीमारियों का सुगम स्त्रोत है, तो शुद्ध पानी सर्वोत्तम औषधि है। पानी प्राप्त करने के कई स्त्रोत हैं, पर वर्षा का जल सर्वोत्तम होता…
सुश्री अंजुमन मंसूरी ‘आरज़ू’छिंदवाड़ा (मध्य प्रदेश)****************************************** सँभल कर कभी लड़खड़ा कर चले।हम अपनी थकन को हरा कर चले। चराग़ों-सा ख़ुद को जला कर चले।अँधेरों में हम जगमगा कर चले। न…
सच्चिदानंद किरणभागलपुर (बिहार)**************************************** आत्म स्नेह से,प्रभु के प्रभुत्व मेंमिलते हैं,आत्म बल कोआत्म सम्मान से,अपनी पहचान। हर्षित तन-मन,के चेहरे कोसुकून मिलते हैं,आर्द होती सारीमनोबल की,परछाईयाँ आत्म स्नेह। कुंठित मन व्यथा,को खुशी…
डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’बेंगलुरु (कर्नाटक) ************************************************* मनचाही वस्तु मिले, हो अपार आनंद।खुशियाँ महकाए हृदय, खिले सुयश मकरंद॥ मनचाहा पौरुष सदा, पाए नित संघर्ष।पग-पग बाधा राह में, तब होता उत्कर्ष॥ तन-मन…