अबकी बार होली में

कवि योगेन्द्र पांडेयदेवरिया (उत्तरप्रदेश)***************************************** जीवन और रंग फिर सुख-समृद्धि आएगी, अबकी बार होली में,नई क्रान्ति भी लाएगी, अबकी बार होली में। आम्र मंजरी महक उठेंगे,पंछी सारे चहक उठेंगेपुरवैया की मंद…

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वामा की पहल:गीतों और पुस्तक वितरण से बेहतर यातायात

इंदौर (मप्र)। वामा साहित्य मंच ने यातायात विभाग की सहमति से इंदौर के यातायात को सुधारने के लिए अनूठा प्रयोग शुरू किया है। इस योजना में बच्चों को शिशु गीतों…

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होली अनुराग

ताराचन्द वर्मा ‘डाबला’अलवर(राजस्थान)*************************************** जीवन और रंग.. जन-जन में दिखा अनुराग,आसमान में छाया गुलालअंग-अंग मेरा रंग गया,हो गया मैं तो मालामाल। ले हृदय में भाव प्रिय के,हाथों से रंग दिया उछालउठने…

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रंगों की कोई जात नहीं

संजय वर्मा ‘दृष्टि’ मनावर(मध्यप्रदेश)**************************************** जीवन और रंग... रंगों की कोई जात नहीं होती,भाई-चारे के देश में दुश्मनी की बात नहीं होतीये खेल है प्रेम की होली का,मिलकर रहते इसलिए टकराव की…

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प्राकृतिक छटा

फिजी यात्रा:विश्व हिंदी सम्मेलन.. भाग-१० होटल शेरेटन एकदम समुद्र किनारे बना हुआ है। फिजी देश का सबसे श्रेष्ठ उत्तम होटल माना जाता है। पाँच सितारा सुविधाएं अपनी जगह हैं, लेकिन…

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आलोचक-कवि प्रो. ‘शीतांशु’ होंगे १९ मार्च को अधिवेशन में सम्मानित

अमृतसर (पंजाब)। इलाहाबाद की महत्वपूर्ण एवं प्रसिद्ध हिन्दी संस्था भारतीय हिन्दी परिषद् की कार्यकारिणी ने अपने ४६वें अधिवेशन के अवसर पर (१९-२० मार्च) हिंदी के प्रख्यात लेखक, आलोचक कवि, निबंधकार…

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संवेदना और संवाद

डॉ.अशोकपटना(बिहार)********************************** अतीत के दुस्वप्न को,नकारने का वक्त आ गयाजिंदगी की झलक में,सब-कुछ पाने का वक्त़ आ गया। संवेदना और संवाद,सबसे उत्तम व्यवहार हैउन्नति और प्रगति का,सर्वोत्तम आभार है। इतिहास और…

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आई याद ठिठोली

ममता तिवारी ‘ममता’जांजगीर-चाम्पा(छत्तीसगढ़)************************************** तेरी आयी याद ठिठोली,आ गयी फिर निगोड़ी होली…। कदम्ब हो गया नीम करोली,नींदें अपनी मैंने खो लीयमुना की यह नीर नहीं है,मेरी अँसुवन की है टोली।आ गयी…

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नारी के दायित्व

संदीप धीमान चमोली (उत्तराखंड)********************************** नारी के दायित्वों कावर्णन कर न पाया कोई,दुग्ध शिराओं के अमृतबिन फल न पाया कोई। पालनहार ईश्वर जग काराम कृष्ण प्रथम पथ का,बिन नारी, रुप ईश्वर कापग…

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सर्वत्र अनैतिकता, राष्ट्रीय चरित्र कैसे बने ?

ललित गर्गदिल्ली************************************** किसी वकील, चिकित्सक या राजनेता को ढूंढना कठिन नहीं, जो अपने विषय के विशेषज्ञ हों और ख्याति प्राप्त हों, पर ऐसे मनुष्य को खोज पाना कठिन है जो…

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