माँ…तुमने दीप जलाया है
डॉ.विद्यासागर कापड़ी ‘सागर’पिथौरागढ़(उत्तराखण्ड)********************************** मेरे अँधियारे पथ पर माँ,तुमने दीप जलाया है।गुणी नहीं हूँ फिर भी माते,तुमने कंठ लगाया है॥ ठोकर पथ पर लगी,पकड़कर,तुमने सदा उठाया माँ।निद्रा भगा नयन से मेरे,मुझको सदा जगाया मांँ॥ शूल छाँट कर पथ से मेरे,तुमने सदा सजाया है।मेरे अँधियारे पथ पर माँ,तुमने दीप जलाया है॥ तीर बहुत फेंके रिपुओं ने,तुमने फूल … Read more