चैन,करार गया रे अपना

रश्मि लता मिश्रा बिलासपुर (छत्तीसगढ़) ****************************************************************** ऋतु आई वासन्ती देखो, मदमाती अलबेली हो। रंग भरी पिचकारी लेकर, लगती बड़ी रसीली हो॥ नैन कटार मीठे हैं बोल, छीन लिए दिल अनमोल। चैन,करार गया रे अपना, नैन निसदिन देखें सपना। आओ अंगन,हवेली हो, बनो काहे पहेली हो। रंग भरी पिचकारी लेकर, लगती बड़ी रसीली हो॥ साजों में … Read more

अपना शीश झुकाता हूँ

ओम अग्रवाल ‘बबुआ’ मुंबई(महाराष्ट्र) ****************************************************************** जिसने अपनी कोख में मेरी,काया का निर्माण किया, जिसने अपनी साँसों को ही,मेरे तन का प्राण किया। उस जननी के पदपंकज पर,इतना नेह जताता हूँ, अन्तर्मन से मनभावों के,श्रृद्धा सुमन चढ़ाता हूँ॥ और तात के उपकारों का,कितना मैं गुणगान करूँ, संस्कार के पाठ पढ़ाए,उन पर मैं अभिमान करूँ। जिन गुरुवर … Read more

ज़िन्दगी में कहाँँ किनारे

प्रदीपमणि तिवारी ध्रुव भोपाली भोपाल(मध्यप्रदेश) **************************************************************************** ज़िन्दगी में कहाँँ किनारे हैं, हम सरीख़े भी बेसहारे हैं। मिले मुक़म्मल जहाँ तलाश ये, है आरज़ू कि फिरते मारे हैं। न आब है तलाश दाने की, ये आदमी तो बेसहारा है। ज़ख्म सिले न ख़रोंच देता जो, कहें भी कैसे वो हमारा है। ज़ुनून ले कर चला है,नज़र फ़लक … Read more

होली आयी है

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’ बेंगलुरु (कर्नाटक) **************************************************************************** होली आयी है आयी है होली आयी है, सब खुशियों रंगों की थाल सजायी है। शान्ति प्रेम सौहार्द्र आपसी भेंट सजाकर लायी है, अपनापन मानवता का संदेश सुनाने आयी है। होली आयी है…॥ जाति-पाति और ऊँच-नीच का भेद मिटाने आयी है, घृणा-द्वेष,छल-कपट होलिका आग जलाने आयी है। अंधापन … Read more

आँसू बह कर क्या कर लेंगे!

विजयलक्ष्मी विभा  इलाहाबाद(उत्तरप्रदेश) ********************************************************* आँखों में जो रहे न सुख से, आँसू बह कर क्या कर लेंगे। आवारा से निकल दृगों से, मुख पर आकर मुरझाएंगेl जब न मिलेगा कहीं ठिकाना, किए कृत्य पर पछताएंगेl मन की करें शिकायत मन से, तन से कह कर क्या कर लेंगेll किसके दृग इतने विशाल हैं, जो अनचाहे … Read more

आराधना माँ भारती

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’ बेंगलुरु (कर्नाटक) **************************************************************************** आराधना नित साधना सुंदर सुभग माँ भारती, स्वप्राण दे सम्मान व रक्षण करें बन सारथी। समरथ बने चहुंओर से जयगान गुंजित यह धरा, हो श्यामला कुसमित फलित नित अन्नदा भू उर्वरा। आराधना नित साधना…॥ जीवन वतन बन शान हम अरमान हैं नित राष्ट्र के, उत्थान हो विज्ञान का … Read more

अंतस दियरा बार

रेखा बोरा लखनऊ (उत्तर प्रदेश) ************************************************************* अंतस दियरा बार रे मानुष, अंतस दियरा बार। तेरा-मेरा क्यों सोचे है, जाना है हाथ पसार। रे मानुष…॥ जग है ये काजल की कोठी, मन को कर उजियार। रे मानुष…॥ दो दिन का ये नीड़ पंछी का, उड़ना है पंख पसार। रे मानुष…॥ नदी उफनती नाव न कोई, कैसे … Read more

अनजानी ये रहगुजर

हीरा सिंह चाहिल ‘बिल्ले’ बिलासपुर (छत्तीसगढ़) ********************************************************************** जिन्दगी ये मिली जिस्म भी मिला है सुहाना, बन जाए कब मिट्टी,इसका न ठिकाना। बनना ही है जब मिट्टी तो फिर क्यों न, खुश होकर जीना,प्रेम-प्यार से बिताना। जिन्दगी ये मिली… मंजिल तय है हर एक सफर की मगर, हर एक मुसाफिर,बेखबर है डगर से। कुदरत ने सबको … Read more

अनुराग का तराना

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरे मंडला(मध्यप्रदेश) *********************************************************************** मिला कोय तो जीवन बदला,नेह-मेघ घिर आये हैं, फूलों में खुशबू फिर लौटी,नव संदेशे आये हैं। मन गाता है परभाती अब, भजन-आरती भाते हैं संध्या वंदन से नाता अब, पंछी ख़ूब सुहाते हैंl दिल है उपवन,महके हर पल,आकर्षण घिर आये हैं, फूलों में खुशबू फिर लौटी,नव संदेशे आये हैंll … Read more

मेरे देश की मिट्टी

हीरा सिंह चाहिल ‘बिल्ले’ बिलासपुर (छत्तीसगढ़) ********************************************************************** भारतवर्ष की मिट्टी में है सौंधी प्यारी-सी खुशबू, मेरे देश की मिट्टी… इसके वीर शहीदों के बलिदानी लहू की खुशबू, मेरे देश की मिट्टी…l इसके शीश हिमालय पर्वत जैसा ताज है सुन्दर, गंगा,यमुना-सी नदियों से धुन जल-तरंग की सुनकर। मन मस्त मगन हो जाता है,मन मस्त मगन हो … Read more