मानव मूल्य कहाँ बच पाए…

ओम अग्रवाल ‘बबुआ’ मुंबई(महाराष्ट्र) ****************************************************************** स्वार्थ परस्ती में बोलो अब, ‘मानव मूल्य कहाँ बच पाए’, मानव तो कहलाते हैं पर,मानवता हम कब रच पाए। नारी के शोषण पर बोलो,क्या आँखें नम होती हैं ? भूखे-नंगे बच्चों पर क्या,अपनी आँखें रोती हैं ? घर के बड़े-बुजुर्गों पर भी,हमको तरस नहीं आता, अग्रज और अनुज का भी … Read more

झिझक

निर्मल कुमार शर्मा  ‘निर्मल’ जयपुर (राजस्थान) ***************************************************** झिझक मेरी,झिझक उसकी, सिले लब,ना हुई बातें, तसव्वुर में,फिर इक-दूजे से, बतियाते कटी रातेंl किया वादा ये खुद से खुद ही, कि मैं अब न झिझकूँगा, मिलूँगा जब,बयाँ उसको, हाले-दिल सब मैं कर दूँगा मगर जब फिर मिले,तो यूँ मिली नजरें,हुआ फिर ये, अदब से मेरी और उसकी हया … Read more

ऐसा मुझे वर दे

कृष्ण कुमार कश्यप गरियाबंद (छत्तीसगढ़) ************************************************************************** हँसता हुआ मनभावन चेहरा। तू जग पाला तू ही सहारा। दुखियों के दुःख हरने वाली तू, अम्बे माँ…अम्बे माँ, ग़ौरी माँ…गौरी माँ। पहले मेरे दिल का तू अरमान सुन ले, काम क्रोध लोभ मोह,हटा दो सब झमेले। हे कालरात्रि…हे कालरात्रि,सिद्धीदात्री…सिद्धीदात्री, कर दे खुशहाल दुनिया। हँसता हुआ… आज़ मेरी रग-रग … Read more

बनाओ सबको अपना मीत

सुबोध कुमार शर्मा  शेरकोट(उत्तराखण्ड) ********************************************************* जीवन है सबका संगीत, बनाओ सबको अपना मीत। बचपन कितना सुंदर होता, कल्मष कभी न मन में बोता। हर क्रीड़ा लगती है मानो, बन रहा कोई नया संगीत॥ जीवन है… जीवन को परमार्थ लगाओ, नैराश्य न मन में कभी लाओ। ईश चरण में ध्यान लगाकर, गाओ जीवन में मधुरिम गीत॥ … Read more

व्यर्थ न बहाओ पानी,ओ रे सजन….

गीतांजली वार्ष्णेय ‘ गीतू’ बरेली(उत्तर प्रदेश) ************************************************************************* जल शक्ति,जन शक्ति, व्यर्थ न बहाओ पानी,ओ रे सजनl पानी से ही जीवन बने सुंदर वन, जन्म हुआ पृथ्वी का ताप ही ताप था बरसों बरसाया पानी,मिटी हृदय की जलन, व्यर्थ न बहाओ पानी ओ रे सजन…। ताप और जल का ही रूप है इंसा, जल न बरसता,जीवन … Read more

मेरी माँ आ रही है

सौदामिनी खरे दामिनी रायसेन(मध्यप्रदेश) ****************************************************** छम-छम की धुन देखो कानों में आ रही है, बजती देखो पायल,मेरी माँ आ रही है। भक्तों आई टोली जयकारे लगा रही है, गीतों में मधुर वाणी नव साज दे रही है। छम-छम की…॥ कष्टों को दूर करने दीनों का दु:ख हरने, हमको सुखी बनाने देखो मेरी माँ आ रही है। … Read more

उजाले- अंधेरे

डॉ.धारा बल्लभ पाण्डेय’आलोक’ अल्मोड़ा(उत्तराखंड) ****************************************************************************** उजाले-अंधेरे संग चलते हैं, मगर दोनों विपरीत ही पलते हैं। उजाला नहीं ऐसे आता है जग में, नहीं उजाला खुद होता है मन में। प्रयत्न से ही मिलता उजाला, जीवन अंधेरा मिटाता उजालाll ज्ञान का दीप ही अज्ञान मिटाए, नफरत को जग से प्रेम हटाए। जब तक बना ही रहेगा … Read more

हिंदीभाषा माला

मधुसूदन गौतम ‘कलम घिसाई’ कोटा(राजस्थान) *****************************************************************************  (तर्ज:चांदी की दीवार न तोड़ी, प्यार भरा दिल…,रचना विधान-१६,१४ पर यति वाला,ताटक छंद पर आधारित) हे हिंदी तू उर में सजती,सुमन सुगन्धित माला है, तुझसे ही यह भारत विकसित,तैने इसे सँभाला है। तेरे ही आँचल ने पाला,तुझसे सब बहना-भाई, तेरे शब्दों से खेल-खेल,दुनिया में ताकत पाई। तेरे रस-छंद-अलंकारों,ने अपनी … Read more

बेटी दो कुल का मान होती है

डॉ.नीलिमा मिश्रा ‘नीलम’  इलाहाबाद (उत्तर प्रदेश) ************************************************************** परी जैसी सलोनी-सी बड़ी नादान होती है, चले आँगन में जब बेटी वो घर की शान होती है। विधाता की अलौकिक शक्ति का वरदान है बेटी, जनम लेती है जिस घर में वहाँ मेहमान होती है॥ कभी गुड़िया से गुड्डा की जो ख़ुद शादी रचाती थी, कभी जो … Read more

मुल्क और मीत

पंकज भूषण पाठक ‘प्रियम’ बसखारो(झारखंड) *************************************************************************** मितवा मुझे तो जाना होगा, दिल को तो समझाना होगा। वतन का साथ निभाने को, अपनों का हाथ बंटाने को… मुझे सरहद पे जाना होगा। मितवा…। मितवा अभी तुम आए हो, आँखों में ख़्वाब बसाए हो। थे आतुर तुम तो आने को, क्यूँ आतुर फिर जाने को ? ये … Read more