संतुलन-संयम से ही जीवन सुखद

डॉ.अरविन्द जैनभोपाल(मध्यप्रदेश)********************************************* आजकल मानसिक संतुलन न होने के कारण लोग छोटी-छोटी बातों में बहुत बड़ी घटनाओं को अंजाम दे देते हैं,अब लोगों में सहनशीलता का अभाव होने से हत्या-आत्महत्या करना आम बात होती जा रही है। गत दिनों एक घटना सामने आई,जिसमें एक युवा ने प्रेम विवाह ३ माह पूर्व किया और अपने परिवार से … Read more

बच्चों में बढ़ती संस्कारहीनता,रोकना होगा

सुरेश चन्द्र ‘सर्वहारा’ कोटा(राजस्थान) *********************************************************************************** बच्चे हमारे देश का भविष्य हैं। हमारी इसी पीढ़ी पर देश का भविष्य टिका हुआ है। इस भावी पीढ़ी को संस्कारित करके ही अच्छा नागरिक बनाया जा सकता है,लेकिन आज के परिवेश में हम देखें तो माँ-बाप बच्चों को संस्कारित करने में जागरूक नहीं हैं। वर्तमान में संयुक्त परिवारों के … Read more

रिश्तों की गरिमा क्यों खो रही है ?

राजकुमार जैन ‘राजन’ आकोला (राजस्थान) ****************************************************** रिश्ते या सम्बन्ध भारतीय जीवन के केन्द्र में रहे हैं,और लोग उन्हीं को जीने में अपना जीवन मानते रहे हैं। रिश्तों का बंधन बड़ा सुहावना लगता है,और हमारा इतिहास,संस्कृति और संस्कार इस बात के गवाह हैं कि,हम रिश्तों के ख़ातिर सब-कुछ दांव पर लगा देते थे। एक जमाना था जब … Read more

शिक्षा में रामायण और गीता जरुरी

सुशीला रोहिला सोनीपत(हरियाणा) ************************************************************** भौतिकवाद के युग में हम विकास की बुलंदियो को छू रहे हैं,और विश्व स्तर पर भौतिक विकास में चार चाँद लगा दिए हैं। तकनीकी के क्षेत्र में भी भारत विश्व स्तर पर अग्रणी है,लेकिन इतना होने पर भी मानव अशांत है। शांति का बीजारोपण कैसे हो, उसका साधन क्या है ? … Read more

तुलसी देवे नमः नमः

गोपाल चन्द्र मुखर्जी बिलासपुर (छत्तीसगढ़) ************************************************************ “यत्र नार्य्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवता:” (मनुसंहिता) नारी ही आदि शक्ति,आधार स्वरूपा महाशक्ति,महालक्ष्मी, महासरस्वती। सृष्टि स्थिति विनाशानां शक्तिभुते सनातनी! सुधामृत सिंचित करते हुए सृष्टि तथा संतान पालनकर्ती। नारी ही जगत प्रसूता,जननी। आदि अंत काल से संसार का आपातकाल में विश्व त्रिभुवन को रक्षाकर्ती एकमात्र आदिशक्ति महामाया ही नारी!” अत्याश्चर्य … Read more

सोशल मीडिया: उपयोगी है,पर नुकसानदायक भी

हेमेन्द्र क्षीरसागर बालाघाट(मध्यप्रदेश) *************************************************************** पहले रोटी,कपड़ा और मकान हमारी मूलभूत जरूरतें थी। फिर इसमें पढ़ाई, दवाई और कमाई जुड़ी। बाद में आर-पार,व्यापार, समाचार,संचार और दूरसंचार शामिल हुआ। सिलसिले में कम्प्यूटर,इंटरनेट और मोबाइल के मकड़जाल से ‘कर लो दुनिया मुट्ठी में’ नामक सोशल मीडिया का जन्म हुआ जो बड़े काम की और कमाल का तुंतुरा साबित … Read more

पाप का बाप है लोभ

डॉ.अरविन्द जैन भोपाल(मध्यप्रदेश) ***************************************************** वर्तमान में अधिकांश लोग शिक्षित और चतुर हैं,और उनके साथ धोखा देने वाला उनसे अधिक होशियार और मूर्ख बनाने वाला होगा। आज जब यह समाचार पढ़ा,तब समझ में आया कि,हम सब लोग लोभ के वशीभूत उनके चंगुल में फंसते हैं। आज सरकारी बैंक आपके जमा पैसों को वापिस नहीं कर रहा … Read more

रावण ने `रक्ष संस्कृति` की स्थापना की

संदीप सृजन उज्जैन (मध्यप्रदेश)  ****************************************************** रावण को जन सामान्य में राक्षस माना जाता है,जबकि कुल,जाति और वंश से रावण राक्षस नहीं था। रावण केवल सुरों(देवताओं)के विरुद्ध और असुरों के पक्ष में था। रावण ने आर्यों की भोग-विलास वाली ‘यक्ष’ संस्कृति से अलग सभी की रक्षा करने के लिए ‘रक्ष’ संस्कृति की स्थापना की थी। इस … Read more

अध्यापक,शिक्षक और गुरु

निर्मल कुमार शर्मा  ‘निर्मल’ जयपुर (राजस्थान) ***************************************************** प्रायः अध्यापकों को यह शिकायत करते हुए सुनता हूँ कि छात्रों का उनके प्रति प्राचीन काल की भाँति सम्मान का भाव नहीं रहा। छात्र अब अनुशासित नहीं रहते,उनसे बहस करते हैं,उनके आदेशों की अनुपालना नहीं करते इत्यादि!! हाँ,यह सत्य है कि अध्यापक-छात्र के मध्य संबंधों में यह परिवर्तन अवश्य … Read more

भारतीय संस्कृति और भाषाओं के वैश्विक प्रचारक प्रो.रत्नाकर नराले

डॉ.राकेश कुमार दुबे टोरंटो(कनाडा) ************************************************************** टैग-साहित्य सेवा को समर्पित …….. भारत से बाहर भारतीय मूल के लोगों एवं अभारतीय लोगों में भारतीय संस्कृति और भारतीय भाषाओं के प्रचार में भारतीय मूल के कनाडा निवासी प्रो.रत्नाकर नराले का नाम आज सबसे प्रमुखता से लिया जाता है। लगभग ५० वर्षों से कनाडा में रहते हुए प्रो.नराले हजारों … Read more