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कैसे बचाओगे बेटियों को तुम!

रूपेश कुमार
सिवान(बिहार) 
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शिक्षा के मन्दिर में,बलात्कार करते हो तुम,
गुरु के पवित्र नाम पर,कलंकित होते हो तुम।

हे भारत के ज्ञानदाता,ज्ञान के मन्दिर में,
बेटियों की इज्जत से खेलते हो तुम।

गुरु के नाम को बदनामी के रंग से रगते हो तुम,
लड़कियों के शरीर को खिलौना समझ खेलते हो तुम।

तुम इंसानों! को कोई ना समझे,
हैवान हो इस मानवरुपी धरती पे तुम।

नाम गुरु का,ज्ञानदाता कहते हैं तुम्हें,
इज्जत से खिलवाड़ करने वाले नरभक्षी हो तुम ,

कौन तुम्हारी आँखों पे विश्वास करेगा,
शिक्षक के पवित्र रिश्ते को बदनाम करते हो तुम।

भारत के संविधान पे घिन आती है मुझे,
ऐसा कमजोर कानून बना गए हो तुम।

ना सुरक्षित है यहाँ लड़कियाँ,बहन हमारी,
कैसे नरभक्षियों मिटोगे तुम ?

भारत माँ की नन्हीं-सी बेटियों को कब तक दबोचोगे तुम !
तुम भी अपनी माँ-बेटियों की,वैसी ही जिन्दगी देखोगे तुम।

काश! तुम मर्द नहीं,नामर्द होते,
खुद उसी नर्क जिन्दगी से मरते तुम॥

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