कुल पृष्ठ दर्शन : 260

You are currently viewing विधि का विधान

विधि का विधान

डॉ. रामबली मिश्र ‘हरिहरपुरी’
वाराणसी(उत्तरप्रदेश)
******************************************

विधि का चलता यहाँ विधाना।
दृश्य अदृश्य विधान महाना॥

कण-कण जग का विधि संचालित।
सारा जग विधि पर आधारित॥

सब निमित्त हैं विधि कर्त्ता हैं।
विधि सारे जग के भर्त्ता हैं॥

विधि ही ब्रह्मा विष्णु महेशा।
कार्तिकेय अरु बुद्धि गणेशा॥

एकमात्र हैं विधि अविनाशी।
क्षिति जल पावक गगन निवासी॥

देख उन्हीं को वही सकल हैं।
सर्वगुणी सम्पन्न सरल हैं॥

ज्ञान निधान सुजान स्वयंभू।
गुणातीत सर्वज्ञ विधि प्रभु॥

देखो उनका रूप निराला।
भजो उन्हीं को पी मधु प्याला॥

परम वर्णनातीत अनंता।
सर्व भाव सक्रिय भगवंता॥

एक तत्व ही घुमड़ रहा है।
जग में चक्कर लगा रहा है॥

सकल क्रियाओं का वह स्वामी।
है विधानमय दिव्य नियामी॥

परम सिद्ध सिद्धांत रचयिता।
सकल लोकमय सिद्ध स्वयं पिता॥

अति अद्वैत एक रस गंगा।
गंगा सागर परम अभंगा॥

सभी पंथ उनके अपने हैं।
चलते जिन पर सभी जने हैं॥

परम अथाह अमर्त्य उदासी।
अमर बेलि वेदमय न्यासी॥

विधि-विधान को सदा मानना।
विधि-विधान को ही अपनाना॥

Leave a Reply