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महँगाई

सुबोध कुमार शर्मा 
शेरकोट(उत्तराखण्ड)

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अब तो सुन लो ओ कन्हाई,
खूब बढ़ी है अब महंगाई
धनवान अति धनी हुए हैं-
निर्धन की है आफत आई।

बूढ़ी माँ क्यों कराह रही है,
भूखे बच्चे सुला रही है
महँगाई दम तोड़ रही है-
झूठी लोरी सुना रही है।

कब तक यह परीक्षा लोगे,
कब तक दारुण दुःख दोगे
बहुत बिसरा हमको तुमने-
कब हमारी सुध तुम लोगे।

परिचय – सुबोध कुमार शर्मा का साहित्यिक उपनाम-सुबोध है। शेरकोट बिजनौर में १ जनवरी १९५४ में जन्मे हैं। वर्तमान और स्थाई निवास शेरकोटी गदरपुर ऊधमसिंह नगर उत्तराखण्ड है। आपकी शिक्षा एम.ए.(हिंदी-अँग्रेजी)है।  महाविद्यालय में बतौर अँग्रेजी प्रवक्ता आपका कार्यक्षेत्र है। आप साहित्यिक गतिविधि के अन्तर्गत कुछ साहित्यिक संस्थाओं के संरक्षक हैं,साथ ही काव्य गोष्ठी व कवि सम्मेलन कराते हैं। इनकी  लेखन विधा गीत एवं ग़ज़ल है। आपको काव्य प्रतिभा सम्मान व अन्य मिले हैं। श्री शर्मा के लेखन का उद्देश्य-साहित्यिक अभिरुचि है। आपके लिए प्रेरणा पुंज पूज्य पिताश्री हैं।

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