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अनुगूँज

डॉ.हेमलता तिवारी
भोपाल(मध्य प्रदेश)
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एक बीते हुऐ अतीत का समापन,

कहीं गुदगुदाता है मन

तो कहीं टीसता-सा लगता है,

वो उमंग वो चाहत…

न जाने क्यों उधर से ही

फिसल गयी।

और हम आज भी अपने

अरमानों का हार लिए,

वैसे ही खड़े हैं

उनकी प्रतीक्षा में।

हमने बहुत चाहा कि,

सब हरियाली ही रहे

कही पीलापन न आए,

मगर हरी-सी बगिया

अनचाहे काँटों से,

पीली पड़ती गयी-पड़ती गयी।

उसके हाथों ने हमारे बोए

फूलों पर काँटे ही बोए,

और हमारे आँसूओं को पोंछते

हुए कहा-‘सहती जाओ’

मगर कैसे मानूं ?

तुम्हारी आप्लावित व्यर्थ

इच्छाओं को,

कैसे स्वीकारूं तुम्हारी

अनुगूंजित अभीप्साओं को!

अभी बोध है मुझे तुम्हारे प्यार का,

अभी जानती हूँ मैं तुम्हारा स्पर्श

इसलिए आज तक अभी भी,

वैसी ही निराकार खड़ी हूँ।

तुम्हारे कदमों की आहट की

अनुगूँज सुनती हुई….

तुम आओगे तो ?

परिचय-डॉ.हेमलता तिवारी का जन्म १४ नवम्बर १९६५ को सागर में हुआ हैl वर्तमान में छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में निवास है,जबकि स्थायी पता भोपाल(मध्य प्रदेश) हैl बी.एस-सी,(जीवविज्ञान)बी.ए.(संगीत), एम.ए (संगीत, इतिहास, दर्शन,लोक प्रशासन,एजूकेशनल सायकोलॉजी, क्लीनिकल साय.,आर्गेनाइजेशनल साय.)एल.एल.बी.,पी.जी.डी.(लेबर लॉ एंड इण्डस्ट्रियल रिलेशन)सहित पी.एच-डी.(इन क्लीनिकल साय.), एम.बी.ए.(वित्त और मानव संसाधन) की शिक्षा प्राप्त डॉ.तिवारी का कार्य क्षेत्र-नौकरी हैl सामाजिक गतिविधि के तहत आप व्यक्तित्व विकास प्रशिक्षक,परामर्शी सहित ज्योतिष लेखन में सक्रिय हैंl इनकी लेखन विधा-कविता,कहानी एवं आलेख हैl हिन्दी सहित अंग्रेजी का भाषा ज्ञान रखती हैं।

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