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हमको भी अधिकार चाहिए

ओम अग्रवाल ‘बबुआ’
मुंबई(महाराष्ट्र)
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प्यार मुहब्बत भाईचारा,हमें आपका प्यार चाहिए,
सम्मान सहित जीवन जीने का,हमको भी अधिकार चाहिए।

घर के बड़े-बुजुर्गों ने तो,हम पर जीवन वारा है,
अपनी हर चाहत को जिसने,मेरी खातिर मारा है।
आज शिथिल काया है उनको,नेह भरा संसार चाहिए,
सम्मान सहित जीवन जीने का,हमको भी अधिकार चाहिए॥

दीन-दुखी निबलों-विकलों की,नित्य बिलखती भूख रही,
रोटी कपड़े कुटिया की क्यूँ,पौध नित्य ही सूख रही।
उनके जीवन-यापन का भी,सहज सुलभ आधार चाहिए,
सम्मान सहित जीवन जीने का,हमको भी अधिकार चाहिए॥

अस्पताल या विद्यालय भी,पैसों के मोहताज रहे,
कुटिल इरादों के सर पर क्यूँ,शोहरत के सरताज रहे।
मानवता ही बिक जाती हो क्या,ऐसा भी व्यापार चाहिए,
सम्मान सहित जीवन जीने का,हमको भी अधिकार चाहिए॥

जिस समाज में बेटी माँ की,कोख में मारी जाती हो,
गर दहेज की लपटों तक,बेटी की अर्थी जाती हो।
ऐसे जन को लाज-हया का,थोड़ा तो श्रृंगार चाहिए,
सम्मान सहित जीवन जीने का,हमको भी अधिकार चाहिए॥

जहाँ सड़क पर सहमी-सहमी,बहू-बेटियाँ चलती हों,
जिनकी साँसें हरपल हर दिन,घुट-घुट कर ही ढलती हों।
उनको भी तो अपनों की,अपनी-सी मनुहार चाहिए,
सम्मान सहित जीवन जीने का,हमको भी अधिकार चाहिए॥

अतिवृष्टि रही या सूखा हो तब,धैर्य किसानों का छूटा,
सत्य समर्पण मेहनतकश भी,किन्तु विधाता क्यूँ रूठा।
उस पीड़ा की इन आँखों में,सतत अश्रु की धार चाहिए,
सम्मान सहित जीवन जीने का,हमको भी अधिकार चाहिए॥

परिचय-ओमप्रकाश अग्रवाल का साहित्यिक उपनाम ‘बबुआ’ है।आप लगभग सभी विधाओं (गीत, ग़ज़ल, दोहा, चौपाई, छंद आदि) में लिखते हैं,परन्तु काव्य सृजन के साहित्यिक व्याकरण की न कभी औपचारिक शिक्षा ली,न ही मात्रा विधान आदि का तकनीकी ज्ञान है।आप वर्तमान में मुंबई में स्थाई रूप से सपरिवार निवासरत हैं ,पर बैंगलोर  में भी  निवास है। आप संस्कार,परम्परा और मानवीय मूल्यों के प्रति सजग व आस्थावान तथा देश-धरा से अपने प्राणों से ज्यादा प्यार है। आपका मूल तो राजस्थान का झूंझनू जिला और मारवाड़ी वैश्य है,परन्तु लगभग ७० वर्ष पूर्व परिवार उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ जिले में आकर बस गया था। आपका जन्म १ जुलाई को १९६२ में प्रतापगढ़ में और शिक्षा दीक्षा-बी.कॉम.भी वहीं हुई है। आप ४० वर्ष से सतत लिख रहे हैं।काव्य आपका शौक है,पेशा नहीं,इसलिए यदा-कदा ही कवि मित्रों के विशेष अनुरोध पर मंचों पर जाते हैं। लगभग २००० से अधिक रचनाएं आपने लिखी होंगी,जिसमें से लगभग ७०० का शीघ्र ही पाँच खण्डों मे प्रकाशन होगा। स्थानीय स्तर पर आप कई बार सम्मानित और पुरस्कृत होते रहे हैं। आप आजीविका की दृष्टि से बैंगलोर की निजी बड़ी कम्पनी में विपणन प्रबंधक (वरिष्ठ) के पद पर कार्यरत हैं। कर्नाटक राज्य के बैंगलोर निवासी श्री  अग्रवाल की रचनाएं प्रायः पत्र-पत्रिकाओं और काव्य पुस्तकों में  प्रकाशित होती रहती हैं। आपकी लेखनी का उद्देश्य-जन चेतना है।

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