प्रहलाद का लाग राम रटना

डॉ.अर्चना मिश्रा शुक्लाकानपुर (उत्तरप्रदेश)*************************************** फागुन संग-जीवन रंग (होली) स्पर्धा विशेष… विष्णु पुराण की गाथा ले,संक्षिप्त कथा मैं कहती हूँ।अत्याचारी हिरण्यकश्यप,वरदान प्राप्त ब्रम्हा से करसंसार नहीं जीवों पर,हर अस्त्र-शस्त्र नभचर में वहजलचर में वह थलचर में वह,दिन-रात सभी पर भारी था।वरदान प्राप्त वह बेलगाम,उच्छश्रृंखल,तानाशाही थास्वच्छन्द,निरंकुश राज्य करे,वह बाप बना ऐसे सुत काजो विष्णु का परम उपासक … Read more

नारी के बिना कुछ मूल्य नहीं

डॉ.अर्चना मिश्रा शुक्लाकानपुर (उत्तरप्रदेश)*************************************** वैदिक युग में वह विदुषी थी,औ आदिकाल की वीरमतीकभी वीरमती-कभी कामिनी बन,बस यही रुप दिखलाती थी।फिर भक्तिकाल आते-आते,उसको फिर भक्ति के भाव दिएसूर की भक्ति में वत्सलता,औ तुलसी की भक्ति में त्यागमयी।फिर रीतिकाल आने पर वह,मदमस्त विलास की वस्तु बनीउसमें बस रति का रुप दिखा,अभिसारिका रुप दिखाते थे।स्वातन्त्र्यकाल आते-आते,सबला बन रुप … Read more

राष्ट्रप्रेम और साहित्यकारों की महती भूमिका

डॉ.अर्चना मिश्रा शुक्लाकानपुर (उत्तरप्रदेश)************************* हम सब यह तो जानते ही हैं कि हमारे देश में अनेकानेक वीरों ने अपना बलिदान देकर अपने देश को अंगेजों से देश को मुक्त कराया। स्वतंत्रता आन्दोलन में कुछ रचनाकार चिरपरिचित हैं,जिन्हें हम लोग जानते हैं,पर उसमें हजारों ऐसे भी हैं, जिनका नाम भी हम नहीं जानते। जो इस देश … Read more

समूची संस्कृति की आग का ही नाम है हिंदी

डॉ.अर्चना मिश्रा शुक्लाकानपुर (उत्तरप्रदेश)************************* साहित्य और अनुसंधान के शिखर पुरुष, भारत के ३ विश्‍वविद्यालयों से डी.लिट. की सर्वोच्च उपाधि से सम्मानित कवि, साहित्यकार,समालोचक तथा महापण्डित राहुल सांकृत्यायन की प्रेरणा से काल के गर्भ में खोई दुर्लभ पाण्डुलिपियों को श्रमसाध्य यात्राओं द्वारा खोजकर अनुसंधान एवं अन्वेषण के मनीषी,कविता को गाँवों की चौपालों तक पहुँचाने के लिए … Read more

हमारा अन्नदाता

डॉ.अर्चना मिश्रा शुक्लाकानपुर (उत्तरप्रदेश)************************* अन्नदाता अपना ही परिवार,नहीं पाल पातादेखा है क्या नजदीक से,मैंने देखा है करीब सेlसुबह जब आँख खुलती है,क्षितिज के चहुँ ओर निहारता हैएक आस और विश्वास लिए,ऋतुएं आती हैं चली जाती हैंlहर बार बड़ी उम्मीद से,उमंग लिए फसल बोता हैकभी धान लगाता है,कभी गेहूँ उगाता हैlकभी सब्जियों की क्यारी बनाकर,नई उम्मीद … Read more

भूल पाती नहीं

श्रीमती अर्चना जैनदिल्ली(भारत)**************************** काव्य संग्रह-हम और तुम से… तुमसे मिलने की सदियों से मन में लगन,मैं धरा,तू गगन…कैसे होगा मिलन ? देख आकुल तुझे जब भी रोए नयन,लोग कहते हैं बरखा,हुए हैं मगन। इस कदर मेरे दिल में है घर कर गया,भूल पाती नहीं,कितने कर लूँ जतन। तू न जायेगा अब प्राण जायें भले,मिल के … Read more

उत्तम ब्रह्मचर्य:महत्व और अर्थ समझाना होगा

श्रीमती अर्चना जैनदिल्ली(भारत)**************************** ब्रह्म का अर्थ आत्मा है जो शुद्ध है,बुद्ध है, शाश्वत आनंद स्वरूप है। स्वयं की आत्मा में रमण करना ब्रह्मचर्य धर्म है, संयम की जड़ सदाचार है और यह दोनों ब्रह्मचर्य पर आधारित हैं। जो लोग ब्रह्मचर्य की महिमा को समझते हैं,वे संयम और सदाचार के महत्व को भली-भांति जान लेते हैं। … Read more

सभी जीवों पर दया करें

श्रीमती अर्चना जैनदिल्ली(भारत)**************************** आजकल हर मनुष्य भौतिकता के युग में जी रहा है,और अपनी हर इच्छा को पूर्ण करना वह अपना कर्तव्य समझता हैl इस इच्छा को पूर्ण करने के चक्कर में वह ये भी भूल जाता है कि हम जो खा रहे हैं,पी रहे हैं,अथवा प्रयोग कर रहे हैं,कहीं वो सामान किसी जीव को … Read more

महाराणा प्रताप सच्चे श्रावक

श्रीमती अर्चना जैन दिल्ली(भारत) *************************************************************** ‘महाराणा प्रताप और शौर्य’ स्पर्धा विशेष………. महाराणा प्रताप मेवाड़ के महान हिंदू शासक थे। सोलहवीं शताब्दी के राजपूत शासकों में महाराणा प्रताप ऐसे शासक थे,जो अकबर को लगातार मात देते रहे । महाराणा प्रताप का जन्म राजस्थान के कुंभलगढ़ में ९ मई १५४० ईसवीं को हुआ था। महाराणा प्रताप की … Read more

सामाजिक सम्बन्धों की प्रगाढ़ता से मिटेगी दूरी

श्रीमती अर्चना जैन दिल्ली(भारत) *************************************************************** सामाजिक सम्बन्ध और दूरी स्पर्धा विशेष……….. मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है। रिश्ते सामाजिक संबंधों का आधार है। रिश्ता चाहे माता-पिता का हो, भाई-बहन का हो,या आस-पड़ोस एवं दोस्ती का हो,प्रत्येक रिश्ते में विश्वास,प्रेम और अपनापन होना बहुत जरूरी है। प्रेम से रहित रिश्ते सिर्फ एक बोझ बन कर रह जाते हैं,और … Read more