औरत
आशा जाकड़ ‘ मंजरी’ इन्दौर(मध्यप्रदेश) *********************************************************** औरत... पराधीनता का है नाम न उसकी कोई पहचान, न अपना कोई काम उसका कुछ अपना नहीं, सोचा हुआ सपना नहीं जन्म से मृत्यु…
आशा जाकड़ ‘ मंजरी’ इन्दौर(मध्यप्रदेश) *********************************************************** औरत... पराधीनता का है नाम न उसकी कोई पहचान, न अपना कोई काम उसका कुछ अपना नहीं, सोचा हुआ सपना नहीं जन्म से मृत्यु…
डॉ. आशा गुप्ता ‘श्रेया’ जमशेदपुर (झारखण्ड) ******************************************* जाड़े की गुनगुनाती, धूप की एक किरण, कैद करना हूँ चाहती अपनी मुट्ठी में। बंद दरवाजे खिड़कियों से झांकती, धीमे से छेड़ जाती…
डॉ. आशा गुप्ता ‘श्रेया’ जमशेदपुर (झारखण्ड) ******************************************* लिए चमक हीरे मोती गौरव, देखिए इठलाती ओस की बूंदें भोर किरण की इन पर गिरती, हृदय आनंदित देख कर बूंदेंl शीत ठंड…
डॉ. आशा गुप्ता ‘श्रेया’ जमशेदपुर (झारखण्ड) ******************************************* ‘बड़े दिन की छुट्टी’ स्पर्धा विशेष……… आया शीत बडे़ दिन की छुट्टी, समृति में जागे बचपन के दिन उत्साह भरा होता था मन…
डॉ. आशा गुप्ता ‘श्रेया’ जमशेदपुर (झारखण्ड) ******************************************* युगों-युगों से तुम कहते, देवी मान कभी हो पूजते माता सखी बहन प्रेयसी, कितने रुपों में मैं जीती। गर्भ में तुम्हें धारण कर,…
oooooooo सुनो पुरूषों, अब मैं तुम्हें नहीं दूंगी जन्म जो तुम भोग सको मुझे। बलात्कार, फिर हत्या बर्बरता के विरुद्ध, मैं लडूंगी खुद से ही। जब प्रेम का बीज फूटेगा,…
डॉ. आशा गुप्ता ‘श्रेया’ जमशेदपुर (झारखण्ड) ******************************************* हैदराबाद घटना-विशेष रचना................. कितनी निर्भया कितनी बालिकाएं, कितनी प्रियंका कितनी नन्हीं जान। न्याय माँगे बेटियाँ माताओं की आन, सुधार तत्परता सजा की है…
डॉ. आशा गुप्ता ‘श्रेया’ जमशेदपुर (झारखण्ड) ******************************************* हृदय पीड़, बेबस बचपन... कैसे सुलझे ? श्रम करते, बेबस बचपन... सोचिए आपl कारण कई, बेबस बचपन... गरीबी भारीl पोषण करे, बेबस बचपन...…
डाॅ.आशा सिंह सिकरवार अहमदाबाद (गुजरात ) **************************************************************** वह आदिवासी लड़का, दिन-दिन भर चढ़ता पहाड़ों पर, चींटियों के साथl उनकी भूख को अपनी हथेली पर सजाता, फिर उतरता पेड़ों से छाँव…
डॉ. आशा गुप्ता ‘श्रेया’ जमशेदपुर (झारखण्ड) ******************************************* छायी धुंध की चादर, शहरों में घुटन ऐसी जन-जीवन का अभिशाप, उफ्फ कर रहा हर जंतु-जीवl प्रगति कहे मानव दोषी, मानव कहे प्रगति…