बढ़ना ही होगा

अवधेश कुमार ‘अवध’ मेघालय ******************************************************************** कहाँ भागते हो नज़र यूँ बचाकर समय की तुला पर तो चढ़ना ही होगा, लगे हों जो हर ओर शीशे ही शीशे हकीकत को अपने…

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स्वाधीन भारत बनाम रक्ष्य वचन पर्व

अवधेश कुमार ‘अवध’ मेघालय ******************************************************************** थाल सजाकर बहन कह रही,आज बँधा लो राखी। इस राखी में छुपी हुई है,अरमानों की साखी॥ चंदन रोरी अक्षत मिसरी,आकुल कच्चे-धागे। अगर नहीं आए तो…

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कश्मीर कली अब मुक्त हुई

अवधेश कुमार ‘अवध’ मेघालय ******************************************************************** कश्मीर कली अब मुक्त हुई,मनवांछित निज-वर चुनने को, निज तोड़ गुलामी की कारा,उन्मुक्त गगन में उड़ने को। केसर की क्यारी गुलबर्गा,डल झील शिवालय शोभित हैं-…

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चलो करें वादा

अवधेश कुमार ‘अवध’ मेघालय ******************************************************************** तड़पकर उम्र गुज़री है,ज़ुदाई अब न दो ज्यादा। रहा जीवन बहुत नीरस,बहुत बोझिल बहुत सादा। ज़ुदा होकर के जीना और मरना दोनों है मुश्किल- नहीं…

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आलोचना की प्रासंगिकता

अवधेश कुमार ‘अवध’ मेघालय ******************************************************************** आलोचना,समीक्षा या समालोचना का एक ही आशय है,समुचित तरीके से देखना जिसके लिए अंग्रेजी में 'क्रिटिसिज़्म' शब्द का प्रयोग होता है। साहित्य में इसकी शुरुआत…

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हमें चाहिए भाईचारा

अवधेश कुमार ‘अवध’ मेघालय ******************************************************************** दान दहेज कुप्रथा तजकर,ही बच्चों की शादी हो। हम दो और हमारे दो हों,छोटी-सी आबादी हो। राह कठिन हो और हौंसला पत्थर-सा फौलादी हो- हमें…

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बलात्कार की व्यापकता…विचारने की जरूरत

अवधेश कुमार ‘अवध’ मेघालय ******************************************************************** जब से मूलभूत आवश्यकताओं के अभाव में लोगों के मरने की समस्या खत्म हुई है,मानव जनित एक नई समस्या ने आकर समाज को घेर लिया…

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नींद को वह उड़ाती रही

अवधेश कुमार ‘आशुतोष’ खगड़िया (बिहार) **************************************************************************** याद मीठी सताती रही, नींद को वह उड़ाती रहीl माघ लेकर सुमन आ गया, गंध खुद को लुटाती रहीl सो गए बाँह में मीत…

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बलात्कारी भी हो सकता है मानव बम

अवधेश कुमार ‘अवध’ मेघालय ******************************************************************** मानव बम की खोज,किए मानव के दुश्मन, हत्या करते रोज,लूटकर मानवता धन। निर्दोषों को मार,स्वयं भी हैं मर जाते, मानवता का अन्त,खुदा के नाम लिखाते॥…

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सीमा का तिलक करती गाँव की माटी

अवधेश कुमार ‘अवध’ मेघालय ******************************************************************** शिवजी के धनुष पर विराजमान है काशी,और गंगा मैया काशी की अधिकांश सीमा को समेट लेने के लिए धनुषाकार हो गई है। दूरियों को मिटाती…

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