कहना

बाबूलाल शर्मा सिकंदरा(राजस्थान) ************************************************* कहना- कहना बस मेरा यही,सुन नव कवि प्रिय मीत! शिल्प कथ्य भाषा सहित,रखें भाव सुपुनीत! रखें भाव सुपुनीत,छंद लिखना कुण्डलियाँ! सृजन धरोहर काव्य,उठे क्यों कभी अँगुलियाँ! शर्मा बाबू लाल,समीक्षा निज हित सहना! अनुपम लिखना छंद,प्रभावी बातें कहना! सहना- सहना सुख का भी कठिन,उपजे मान घमंड! गर्व किये सुख कब रहे,हो संतति … Read more

पानी है अनमोल

बाबूलाल शर्मा सिकंदरा(राजस्थान) ************************************************* क्षिति जल पावक नभ पवन,जीवन ‘विज्ञ’ सतोल। जीवन का आधार वर,पानी है अनमोल॥ मेघपुष्प,पानी,सलिल,आप: पाथ: तोय। ‘विज्ञ’ वन्दना वरुण की,निर्मल मति दे मोय॥ जनहित जलहित देशहित,जागरूक हो ‘विज्ञ।’ जीवन के आसार तब,जल रक्षार्थ प्रतिज्ञ॥ वारि अम्बु जल पुष्करं,अम्म: अर्ण: नीर। उदकं,घनरस शम्बरं, ‘विज्ञ’ रक्ष मतिधीर॥ सरिता तटिनी तरंगिणी,द्वीपवती सारंग। नद सरि … Read more

खेत में डेरा

बाबूलाल शर्मा सिकंदरा(राजस्थान) ************************************************* प्रथम शतक……….. खेत में डेरा हाथ में मोटी रोटी, दूध की डोली। तेल बिनौरी सिर पर छबड़ी, गीत गुंजन। होली के रंग चौपाल पर ताश, चंग पे भंग। नीम का पेड़ वानर अठखेली, दंत निंबोली। सम्राट यंत्र धूप घड़ी देखता, विद्यार्थी दल। संग्रहालय कांँच बॉक्स में ‘ममी’, उत्सुक छात्रा। गुलाब बाग … Read more

बोली

बाबूलाल शर्मा सिकंदरा(राजस्थान) ************************************************* बोली- बोली मीठी बोलना,कहते संत सुजान। यही करे अंतर मनुज,कोयल कागा मान। कोयल कागा मान,मनुज सच मीठा बोले। झूठ बोल परिवेश,हलाहल मत तू घोले। शर्मा बाबू लाल,दवा की बनकर गोली। करती भव उपचार,घाव भी देती बोली। पाना- पाना है निर्वाण मन,कर जीवन निर्वाह। सत्य शुभ्र कर्तव्य कर,छोड़ व्यर्थ परवाह। छोड़ व्यर्थ … Read more

पूजा

बाबूलाल शर्मा सिकंदरा(राजस्थान) ************************************************* पूजा- करना पूजा ज्ञान की,मानस मान सुजान। राष्ट्र गान से वन्दना,संसद वतन विधान। संसद वतन विधान,पूज निज भारत माता। सरिता सागर भानु,धरा शशि प्राकृत नाता। शर्मा बाबू लाल,शीश चंदन रज धरना। गुण मानवता सत्य,न्याय की पूजा करना। थाली- थाली जिसमें खा रहे,करे उसी में छेद। करे परिश्रम बावरे,वृथा बहाए स्वेद। वृथा … Read more

बदला

बाबूलाल शर्मा सिकंदरा(राजस्थान) ************************************************* बदला- बदला लिया कलिंग ने,किया मगध का ह्रास! दोनो तरफ विनाश बस,पढ़िए जन इतिहास! पढ़िये जन इतिहास,सत्य जो सीख सिखाए! भूत भावि संबंध,शोध नव पंथ दिखाए! शर्मा बाबू लाल,करो मत मानस गँदला! लेते देते हानि,सखे दु:ख दायक बदला! दुनिया- दुनिया मतलब की हुई,स्वार्थ भरा संसार! धर्म सनातन की सखे,बिकती सीख उधार! … Read more

यह श्रृंगार नहीं जाए

बाबूलाल शर्मा सिकंदरा(राजस्थान) ************************************************* प्रकृति और मानव स्पर्धा विशेष…….. प्यारी पृथ्वी जीवन दात्री, सब पिण्डों में,अनुपम है। जल,वायु का मिलन यहाँ पर, अनुकूलन भी उत्तम है। सब जीवों को जन्माती है, माँ के जैसे पालन भी। मौसम ऋतुएँ वर्षा,जल,का करती यह संचालन भी। सागर हित भी जगह बनाती, द्वीपों में यह बँटती है। पर्वत नदियाँ … Read more

बदला

बाबूलाल शर्मा सिकंदरा(राजस्थान) ************************************************* बदला- बदला लिया कलिंग ने,किया मगध का ह्रास! दोनो तरफ विनाश बस,पढ़िए जन इतिहास! पढ़िये जन इतिहास,सत्य जो सीख सिखाए! भूत भावि संबंध,शोध नव पंथ दिखाए! शर्मा बाबू लाल,करो मत मानस गँदला! लेते देते हानि,सखे दु:ख दायक बदला! दुनिया- दुनिया मतलब की हुई,स्वार्थ भरा संसार! धर्म सनातन की सखे,बिकती सीख उधार! … Read more

सरिता

बाबूलाल शर्मा सिकंदरा(राजस्थान) ************************************************* सरिता- सरिता ये धमनी शिरा,मान भारती शान! गंगा यमुना नर्मदा,चम्बल सोन समान! चम्बल सोन समान,सरित धरती सरसाती! बने नहर बहु बन्ध,फसल धानी लहराती! शर्मा बाबू लाल,सजी सँवरी सम बनिता! चली सिंधु प्रिय पंथ,उमड़ती बहती सरिता! गहरा- मानस मानुष प्रीत से,करे सृष्टि संचार! सागर से गहरा वही,ढाई अक्षर प्यार! ढाई अक्षर प्यार,युगों … Read more

नेह नीर मन चाहत

बाबूलाल शर्मा सिकंदरा(राजस्थान) ************************************************* (रचनाशिल्प:१६,१२ मात्राएँ,चरणांत में गुरु गुरु,२२,२११,११२,या ११११) ऋतु बसंत लाई पछुआई,बीत रही शीतलता। पतझड़ आए कुहुके,कोयल,विरहा मानस जलता। नव कोंपल नवकली खिली है,भृंगों का आकर्षण। तितली मधु मक्खी रस चूषक,करते पुष्प समर्पण। बिना देह के कामदेव जग,रति को ढूँढ रहा है। रति खोजे निर्मल मनपति को,मन व्यापार बहा है। वृक्ष बौर से … Read more