कहना
बाबूलाल शर्मा सिकंदरा(राजस्थान) ************************************************* कहना- कहना बस मेरा यही,सुन नव कवि प्रिय मीत! शिल्प कथ्य भाषा सहित,रखें भाव सुपुनीत! रखें भाव सुपुनीत,छंद लिखना कुण्डलियाँ! सृजन धरोहर काव्य,उठे क्यों कभी अँगुलियाँ! शर्मा बाबू लाल,समीक्षा निज हित सहना! अनुपम लिखना छंद,प्रभावी बातें कहना! सहना- सहना सुख का भी कठिन,उपजे मान घमंड! गर्व किये सुख कब रहे,हो संतति … Read more