वीणा

बाबूलाल शर्मा सिकंदरा(राजस्थान) ************************************************* वीणा- वीणा में स्वर है नहीं,होती निश्चल मौन! होता वादक मौन है,स्वर देता है कौन! स्वर देता है कौन,कहाँ से ध्वनि आ जय भारत जय भारत…

Comments Off on वीणा

कुनबा

बाबूलाल शर्मा सिकंदरा(राजस्थान) ************************************************* कुुनबा- बातें बीती वक्त भी,प्रेम प्रीत प्राचीन। था कुनबा सब साथ थे,एकल अर्वाचीन। एकल अर्वाचीन,हुए परिवारी सारे। कुनबे अब इतिहास,पराये पितर हमारे। शर्मा बाबू लाल,घात प्रतिघात…

Comments Off on कुनबा

आतंकवाद एक खतरा

बाबूलाल शर्मा सिकंदरा(राजस्थान) ************************************************* खतरा बना आज यह भारी,विश्व प्रताड़ित है सारा। देखो कर लो गौर मानवी,मनु विकास इससे हारा। देश-देश में उन्मादी नर,आतंकी बन जाते हैं। धर्म वाद आधार…

Comments Off on आतंकवाद एक खतरा

आँचल

बाबूलाल शर्मा सिकंदरा(राजस्थान) ************************************************* आँचल- धानी चूनर भारती,आँचल भरा ममत्व। परिपाटी बलिदान की,विविध वर्ग भ्रातृत्व। विविध वर्ग भ्रातत्व,एकता अपनी थाती। आँचल भरे दुलार,हवा जब लोरी गाती। शर्मा बाबू लाल,करें हम…

Comments Off on आँचल

चंद्रशेखर आजाद

बाबूलाल शर्मा सिकंदरा(राजस्थान) ************************************************* चंद्रशेखर आजाद शहीद दिवस स्पर्धा विशेष……….. तिवारी कुल का दीपक था,सुभागी मात जगरानी! व सीताराम जी पितु थे,निवासी भाँवरा मानी! जुलाई जन्म का महिना,सदी थी बीसवीं…

Comments Off on चंद्रशेखर आजाद

वेणी

बाबूलाल शर्मा सिकंदरा(राजस्थान) ************************************************* वेणी- मिलती संगम में सरित,कहें त्रिवेणी धाम! तीन भाग कर गूँथ लें,कुंतल वेणी बाम! कुंतल वेणी बाम,सजाए नारि सयानी! नागिन-सी लहराय,देख मन चले जवानी! कहे लाल…

Comments Off on वेणी

स्वदेश महान

बाबूलाल शर्मा सिकंदरा(राजस्थान) ************************************************* (रचनाशिल्प:जगण,जगण १२१,१२१-६ वर्ण,८ मात्रा,दो-दो चरण सम तुकांत,चार चरण का एक छंद) करें जय गान! शहादत शान! सुवीर जवान! स्वदेश महान! करें गुण गान! सुधीर किसान! पढ़े…

Comments Off on स्वदेश महान

चितवन

बाबूलाल शर्मा सिकंदरा(राजस्थान) ************************************************* चंचल चर चपला चषक,चण्डी चूषक चाप्! चितवन चीता चोर चित,चाह चुभन चुपचाप! चाह चुभन चुपचाप,चाल चल चल चतुराई! चमन चहकते चंद,चतुर्दिश चष चमचाई! चाबुक चण्ड चरित्र,चतुर…

Comments Off on चितवन

कल

बाबूलाल शर्मा सिकंदरा(राजस्थान) ************************************************* (रचनाशिल्प:मापनी-२१२२ २१२२,४ चरण का छंद है-दो दो चरण सम तुकांत हो चरणांत में,२२,या २११ हो,चरणारंभ गुरु से अनिवार्य है,३,१०वीं मात्रा लघु अनिवार्य) काल से संग्राम ठानो!…

Comments Off on कल

ऊँचा रहे तिरंगा अपना

बाबूलाल शर्मा सिकंदरा(राजस्थान) ************************************************* गणतंत्र दिवस स्पर्धा विशेष……… पुरा कहानी,याद सभी को, मेरे देश जहाँन की। कहें सुने गणतंत्र सु गाथा, अपने देश महान की। सन सत्तावन की गाथाएँ, आजादी…

Comments Off on ऊँचा रहे तिरंगा अपना