प्यासा पंछी,उड़ता मन

बाबूलाल शर्मा सिकंदरा(राजस्थान) ************************************************* यह,मन प्यासा,पंछी मेरा, नील गगन उड़ करे बसेरा। पल में देश विदेशों विचरण, कभी रुष्ट,पल में अभिनंदन। प्यासा पंछी,उड़ता मन॥ पल में अवध,परिक्रम करता, सरयू जल अंजुलि में भरता। पल में चित्रकूट जा पहुँचे, अनुसुइया के आश्रम पावन। प्यासा पंछी,उड़ता मन॥ पल में शबरी आश्रम जाए, बेर,गुठलियाँ ढूँ ढे खाए। किष्किन्धा … Read more

पूजा

बाबूलाल शर्मा सिकंदरा(राजस्थान) ************************************************* पूजा- करना पूजा ज्ञान की,मानस मान सुजान। राष्ट्र गान से वन्दना,संसद वतन विधान। संसद वतन विधान,पूज निज भारत माता। सरिता सागर भानु,धरा शशि प्राकृत नाता। शर्मा बाबू लाल,शीश चंदन रज धरना। गुण मानवता सत्य,न्याय की पूजा करना। थाली- थाली जिसमें खा रहे,करे उसी में छेद। करे परिश्रम बावरे,वृथा बहाए स्वेद। वृथा … Read more

बदला

बाबूलाल शर्मा सिकंदरा(राजस्थान) ************************************************* बदला- बदला लिया कलिंग ने,किया मगध का ह्रास! दोनो तरफ विनाश बस,पढ़िए जन इतिहास! पढ़िये जन इतिहास,सत्य जो सीख सिखाए! भूत भावि संबंध,शोध नव पंथ दिखाए! शर्मा बाबू लाल,करो मत मानस गँदला! लेते देते हानि,सखे दु:ख दायक बदला! दुनिया- दुनिया मतलब की हुई,स्वार्थ भरा संसार! धर्म सनातन की सखे,बिकती सीख उधार! … Read more

यह श्रृंगार नहीं जाए

बाबूलाल शर्मा सिकंदरा(राजस्थान) ************************************************* प्रकृति और मानव स्पर्धा विशेष…….. प्यारी पृथ्वी जीवन दात्री, सब पिण्डों में,अनुपम है। जल,वायु का मिलन यहाँ पर, अनुकूलन भी उत्तम है। सब जीवों को जन्माती है, माँ के जैसे पालन भी। मौसम ऋतुएँ वर्षा,जल,का करती यह संचालन भी। सागर हित भी जगह बनाती, द्वीपों में यह बँटती है। पर्वत नदियाँ … Read more

बदला

बाबूलाल शर्मा सिकंदरा(राजस्थान) ************************************************* बदला- बदला लिया कलिंग ने,किया मगध का ह्रास! दोनो तरफ विनाश बस,पढ़िए जन इतिहास! पढ़िये जन इतिहास,सत्य जो सीख सिखाए! भूत भावि संबंध,शोध नव पंथ दिखाए! शर्मा बाबू लाल,करो मत मानस गँदला! लेते देते हानि,सखे दु:ख दायक बदला! दुनिया- दुनिया मतलब की हुई,स्वार्थ भरा संसार! धर्म सनातन की सखे,बिकती सीख उधार! … Read more

नेह नीर मन चाहत

बाबूलाल शर्मा सिकंदरा(राजस्थान) ************************************************* (रचनाशिल्प:१६,१२ मात्राएँ,चरणांत में गुरु गुरु,२२,२११,११२,या ११११) ऋतु बसंत लाई पछुआई,बीत रही शीतलता। पतझड़ आए कुहुके,कोयल,विरहा मानस जलता। नव कोंपल नवकली खिली है,भृंगों का आकर्षण। तितली मधु मक्खी रस चूषक,करते पुष्प समर्पण। बिना देह के कामदेव जग,रति को ढूँढ रहा है। रति खोजे निर्मल मनपति को,मन व्यापार बहा है। वृक्ष बौर से … Read more

वीणा

बाबूलाल शर्मा सिकंदरा(राजस्थान) ************************************************* वीणा- वीणा में स्वर है नहीं,होती निश्चल मौन! होता वादक मौन है,स्वर देता है कौन! स्वर देता है कौन,कहाँ से ध्वनि आ जय भारत जय भारत धरती जाती! अहो शारदा मात, कंठ वीणा में आती! कहे लाल कविराय, सरे लय गीत अम्हीणा! कसें संतुलित तार, गीत लय बजती वीणा! (अम्हीणा~हमारा) नैतिक- … Read more

आतंकवाद एक खतरा

बाबूलाल शर्मा सिकंदरा(राजस्थान) ************************************************* खतरा बना आज यह भारी,विश्व प्रताड़ित है सारा। देखो कर लो गौर मानवी,मनु विकास इससे हारा। देश-देश में उन्मादी नर,आतंकी बन जाते हैं। धर्म वाद आधार बना कर,धन-दौलत पा जाते हैं। भाई-चारा तोड़ आपसी,सद्भावों को मिटा रहे। हो,अशांत परिवेश समाजी,अपनों को ये पिटा रहे। भय-आतंकवाद का खतरा,दुनिया में मँडराता है। पाक … Read more

स्वदेश महान

बाबूलाल शर्मा सिकंदरा(राजस्थान) ************************************************* (रचनाशिल्प:जगण,जगण १२१,१२१-६ वर्ण,८ मात्रा,दो-दो चरण सम तुकांत,चार चरण का एक छंद) करें जय गान! शहादत शान! सुवीर जवान! स्वदेश महान! करें गुण गान! सुधीर किसान! पढ़े इतिहास! बचे निज त्रास! धरा निज मात! प्रणाम प्रभात! पिता भगवान! सदा सत मान! रहे यश गान! स्वदेश महान! प्रवीर जवान! सुधीर किसान! परिचय : बाबूलाल … Read more

कल

बाबूलाल शर्मा सिकंदरा(राजस्थान) ************************************************* (रचनाशिल्प:मापनी-२१२२ २१२२,४ चरण का छंद है-दो दो चरण सम तुकांत हो चरणांत में,२२,या २११ हो,चरणारंभ गुरु से अनिवार्य है,३,१०वीं मात्रा लघु अनिवार्य) काल से संग्राम ठानो! साहसी की जीत मानो! आज आओ मीत सारे! काल-कल बातें विचारे! सोच ऊँची बात मानव! भाव होवें मान आनव! आज है तो कल रहेगा! सोच … Read more