विरहिणी का दर्द

श्रीमती देवंती देवीधनबाद (झारखंड)******************************************* सुन्दर रूप नैना कजरारे,चमके जैसे गगन के तारे,ऐसा रूप था विरहिणी का,आज बैठी है मन मारे। सावन आते देखकर भी,विरहिणी नहीं मुस्काती है,वह ताप झेलती रहती…

0 Comments

तभी सुखी,जब मिल के रहते हैं

श्रीमती देवंती देवीधनबाद (झारखंड)************************************ घर-परिवार स्पर्धा विशेष…… सुना रही हूँ आज मैं कहानी घर परिवार की,सुन्दर रीत है सभी जगह,हर घर संसार की। घर परिवार में भाई-भाई मिलजुल कर सभी…

0 Comments

माँ तुझे प्रणाम

श्रीमती देवंती देवीधनबाद (झारखंड)************************************ माँ तुझे प्रणाम,माँ तेरी चरण वन्दना,मेरी प्यारी माँ,तेरी महिमा का क्या कहना। हमारी जन्मदाता,हे माता तुम्हीं तो हो माता,मेरी प्यारी माँ तुम से बढ़कर नहीं है…

0 Comments

ना कर उपहास

श्रीमती देवंती देवीधनबाद (झारखंड)************************************ देख कर गरीबी तुम किसी का नहीं उपहास करना,हम सब भारत माँ के पुत्र हैं,धरती पर ही है रहना। सबका मालिक एक है,एक सबका पालनहारा है,जगत…

0 Comments

ज्ञान दें हर मानव को

श्रीमती देवंती देवीधनबाद (झारखंड)************************************ विश्व पुस्तक दिवस स्पर्धा विशेष…… सब मिलके खुशी मनाएँ,पुस्तक दिवस के सम्मान की,पुस्तक से जो ज्ञान मिला,पुस्तक के उस वरदान की। सादर नमन माता सरस्वती को,हंस…

0 Comments

जी ना सकूंगी तेरे बिन मनमीत

श्रीमती देवंती देवीधनबाद (झारखंड)************************************ मन मन्दिर में मनमीत मेरे मैं तुझे सजा कर रखी हूँ,सुन्दर सलोना रूप तुम्हारा,मूरत बना कर रखी हूँ। तेरे ही नाम को मैं,सुबह और शाम करती…

0 Comments

झूठी माया-काया

श्रीमती देवंती देवीधनबाद (झारखंड)************************************ आज हम सभी जी रहे हैं आसमान के तले,एकदिन ऐसा आएगा,रहना होगा मिट्टी के तले। मनुज कहता फिरता-यह संसार है हमारा,मत भूलो हे मानव,कि शमशान है…

0 Comments

ना मिले तो जिन्दगी चुपचाप है…

श्रीमती देवंती देवीधनबाद (झारखंड)************************************ ज से जल जीवन स्पर्धा विशेष… जल की प्यास सच मानो तो सभी को है,लेकिन गंगाजल जैसा कोई जल नहीं है। जीवन में जल की बहुत…

0 Comments

कब तेरा आना होगा…

श्रीमती देवंती देवीधनबाद (झारखंड)************************************ कब से तेरी राहों में बैठी इन्तजार करती हूँ,बैठे-बैठे तेरे दिए खत को ही पढ़ती रहती हूँ। प्रेम पत्र में लिखा है इन्तजार नहीं करना होगा,बीत…

0 Comments

प्यार की लकीर सिंदूर

श्रीमती देवंती देवीधनबाद (झारखंड)************************************ सिन्दूर की कहानी बहुत है पुरानी,देवलोक में निभाईं देवों की रानी। अमीर-गरीब मान रखा सिंदूर का,नित नियम से मांग भरी सिंदूर से। वो सिन्दूर नारी को…

0 Comments