आए जब ऋतुराज बसंत

मदन गोपाल शाक्य ‘प्रकाश’फर्रुखाबाद (उत्तर प्रदेश)************************************** आए जब ऋतुराज बसंत,सुंदर सजग भूमि अत्यंत। हरी-भरी फसलें लहरातीं,चिड़िया मीठे गीत सुनातीं। महक धरा पर सुंदर मोहत,बड़ी अनोखी सुषमा सोहत। पुष्पों की जो लहराती पंक्ति,आए जब ऋतुराज बसंत। धरती करे श्रंगार अनोखा,हरित क्रांति रूप अनोखा। बालक बूढ़े सुखी हैं संत,आए जब ऋतुराज बसंत। पुष्प कली खिलें अति सुंदर,शोभा … Read more

मुस्कान ढूँढता हूँ…

गोपाल मोहन मिश्रदरभंगा (बिहार)***************************************************** आँसूओं के ढेर में एक मीठी मुस्कान ढूँढता हूँ,या फिर आँसूओं की धार में कुछ अंगार ढूँढता हूँ।कोई तो जाने कि इस अनजाने से शहर में,मैं घने सायों के बीच मुठ्ठीभर आसमान ढूँढता हूँ॥ बहुत कुछ खोया मैंने अपना सब कुछ लुटा कर,खुशियाँ भी खोयीं,उसे बस एक बार अपना करअपनों को … Read more

नम्रता

मदन गोपाल शाक्य ‘प्रकाश’फर्रुखाबाद (उत्तर प्रदेश)************************************** नम्रता मानवी जो गुण है,ग्रहण करो,ये सदगुण है। प्रेम भाव मन में जो रखते,नम्रता से सबको परखते।सदाचार से जीतते मन को,सदा मोहते सबके मन को।सदाचार मानता गुण है,ग्रहण करो,ये सदगुण है॥ परहित में कुछ कर लो काम,हो जाएगा जग में तेरा नाम।धीरज धर्म-कर्म और पूजा,सत्य अहिंसा सदगुण दूजा।सत्य कर्म … Read more

सत्यान्वेषी ध्यानप्रेमी स्वामी जी

गोपाल चन्द्र मुखर्जीबिलासपुर (छत्तीसगढ़)********************************* स्वामी विवेकानन्द जी जैसे निराले व्यक्तित्व को प्रणाम एवं श्रद्धाजंली अर्पण। स्वामी जी के जीवनादर्श एवं चरित्र पर विभिन्न तथ्यादि से पता लगता है कि,गम्भीर ध्यान से ही समझदार मन तैयार होता है। अटल,शुद्ध,स्वाधीन विचार युक्त मन के अधिकारी स्वामीजी तो जन्मजात ‘ध्यानप्रेमी’ थे। उनके जीवन की कहानी को विश्लेषण करने … Read more

व्यवहार का ज्ञान-आचरण है हिन्दी

मदन गोपाल शाक्य ‘प्रकाश’फर्रुखाबाद (उत्तर प्रदेश)************************************** हिंदी भाषा हमें ज्ञान विवेक और भावपूर्ण आचरण व्यवहार का ज्ञान कराती है। हिंदी भाषा के ग्रंथों में ज्ञान की शिरोमणि अगणित लुकी-छुपी सी स्पष्ट नजर आती है,जो हिंदी भाषा को पढ़ता है,वही इन तथ्यों का अर्थ समझ सकता है।हिंदी भाषा हमेशा सभी भाषाओं से अलग पहचान बनाने वाली … Read more

सरहद पर लहराए तिरंगा

मदन गोपाल शाक्य ‘प्रकाश’फर्रुखाबाद (उत्तर प्रदेश)********************************************** गणतंत्र दिवस स्पर्धा विशेष………. भारत माँ के प्यारे वीर,भारत की हैं जो तकदीर। देश भक्त कहलाने वाले।वतन पे जो मर जाने वाले॥हिंद की शान कहाने वाले।अपना फर्ज निभाने वाले॥ वतन के बेटे जो रणधीर।मातृभूमि मतवारे वीर।भारत माँ के प्यारे वीर।भारत की हैं जो तकदीर॥ अपना झंडा वीर तिरंगा।सरहद पर … Read more

सम्राट अशोक

मदन गोपाल शाक्य ‘प्रकाश’फर्रुखाबाद (उत्तर प्रदेश)********************************************** चला सूर प्रचंड रूप धर,वीर भूमि रणी तोक भर। प्रलय रूप डंका बजवाते,शाही खान का वंश मिटाते। रण में पौरस गजब दिखाते,रणभूमि में रक्त बहाते। एक भयंकर खुन्नस निभाते,शाही गौरव तोड़ते जाते। चला वीर जब गुस्सा कर,चला वीर प्रचंड रूप धर। कलिंग युद्ध का देख नजारा,फिर गया माथा हा … Read more

मैं जो सबकी माँ हूँ…

गोपाल चन्द्र मुखर्जीबिलासपुर (छत्तीसगढ़)********************************************* माँ सारदा देवी जी को प्रणाम एवं श्रद्धाञ्जली अर्पण।मैं माँ जो हूँ! माँ अगर सन्तान की देखभाल नहीं करेगी तो कौन करेगी! कोई अगर माँ कहकर आ खड़ा हो तो मैं उसे लौटा नहीं सकती। पृथ्वी के समान सहनशीलता होनी चाहिए। पृथ्वी पर कितने प्रकार के अत्याचार हो रहे हैं,लेकिन वह … Read more

समझ ना पाता हूँ…

आचार्य गोपाल जी ‘आजाद अकेला बरबीघा वाले’शेखपुरा(बिहार)********************************************* हे कृष्ण लिखूं मैं क्या तुम पर,मैं कुछ भी समझ ना पाता हूँजीत लिखूं या हार लिखूं,मैं संशय में रह जाता हूँकंस का वध किया तुमने,पर जरासंघ से भाग गएरणछोड़ कहूं या रण बांका,इस उलझन में पड़ जाता हूँ।हे कृष्ण लिखूं मैं क्या तुम पर,मैं कुछ भी समझ … Read more

हे! राम रमो फिर हर हिय में

आचार्य गोपाल जी ‘आजाद अकेला बरबीघा वाले’शेखपुरा(बिहार)********************************************* हे! राम रमो फिर हर हिय में,समरसता का ज्ञान बढ़ाओ।चहुँओर है फैला भेद-भाव,तुम स्नेह सरिता शीघ्र बहाओ।रन रावण नित्य निर्माण करें,बिन तेरे कौन लड़े,समझाओ॥ हे! पुरुषोत्तम पावन प्रभु मेरे,रावण रब सा पुनः पूजित है,असत्य सत्य को करे पराजित,अन्याय आज आनंद मनाता है,अब तो प्रभु दया दृग खोलो,फिर से … Read more