गाँव की पाठशाला…

डॉ.विद्यासागर कापड़ी ‘सागर’पिथौरागढ़(उत्तराखण्ड)********************************** जिस पावनतम मंदिर में जा,पथ पर चलना सीखा हमने।जीवन में नव-नव साँचों में,अविरल ढलना सीखा हमने॥ तमस चीरकर जिसने पथ पर,आखर देकर किया उजाला।वंदनीय है,पूजनीय है,गाँव की…

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माँ…

डॉ.विद्यासागर कापड़ी ‘सागर’पिथौरागढ़(उत्तराखण्ड)********************************** माँ मुझे तू निज चरण की धूल दे दे।नेह का माँ तू सुवासित फूल दे दे॥माँ मुझे तू निज… लेखनी को नित नवल तू गान देना,मैं मनुज…

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प्रियतम आओ…

डॉ.विद्यासागर कापड़ी ‘सागर’पिथौरागढ़(उत्तराखण्ड)********************************** रचना शिल्प:मात्रा १६-१४.......... प्रिय परदेश छोड़ घर आओ,अब बसंत आने को है।सुमनों से मिलकर मधुकर अब,प्रणय गीत गाने को है॥ बहुत सही मैं विरह वेदना ,जागी कई…

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माँ…तुमने दीप जलाया है

डॉ.विद्यासागर कापड़ी ‘सागर’पिथौरागढ़(उत्तराखण्ड)********************************** मेरे अँधियारे पथ पर माँ,तुमने दीप जलाया है।गुणी नहीं हूँ फिर भी माते,तुमने कंठ लगाया है॥ ठोकर पथ पर लगी,पकड़कर,तुमने सदा उठाया माँ।निद्रा भगा नयन से मेरे,मुझको…

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फूल सुहाना…

डॉ.विद्यासागर कापड़ी ‘सागर’पिथौरागढ़(उत्तराखण्ड)********************************** देखो मैं हूँ फूल सुहाना,सीखा मैंने बस मुस्काना। जब-जब भी मैं मुस्काता हूँ,सबको कितना मैं भाता हूँ। पंडित सुबह-सुबह आते हैं,मुझे तोड़ कर ले जाते हैं। कभी…

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हिन्दी शशि

डॉ.विद्यासागर कापड़ी ‘सागर’पिथौरागढ़(उत्तराखण्ड)*********************************************** हिन्दी मेरी भारत माँ के माथ सजेगी,जग में तब हिन्द विजय की दुन्दुभी बजेगी। हिन्दी शशि है,हिन्दी रवि है,भारत माँ की,हिन्दी कविता,हिन्दी कवि है भारत माँ की।…

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…लेकिन जीत रखूँगा

डॉ.विद्यासागर कापड़ी ‘सागर’ पिथौरागढ़(उत्तराखण्ड) ****************************************************************************** मैं मधुरस को पीने वाला, रसना में नित गीत रखूँगा। चाहे कोई अनल मुझे दे, उर में अपने शीत रखूँगा॥ मैं सागर हूँ नहीं दिखाता,…

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रखना उर में आस

डॉ.विद्यासागर कापड़ी ‘सागर’ पिथौरागढ़(उत्तराखण्ड) ****************************************************************************** हँसकर मेरे गाँव का, ‌कहता फूल बुराँस। आयेगी रे लालिमा, रखना उर में आस॥ बूढ़े,बालक साथ में, करते भोजन यार। बड़े दिनों के बाद ये,…

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दादाजी

डॉ.विद्यासागर कापड़ी ‘सागर’ पिथौरागढ़(उत्तराखण्ड) ****************************************************************************** कोरोना फैला है दादा, बाहर नहीं निकलते। लाठी ले जाते छत पर ही, छत पर घूम टहलते॥ पानी पीते गरम सदा ही, हाथ सदा हैं…

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जीव

डॉ.विद्यासागर कापड़ी ‘सागर’ पिथौरागढ़(उत्तराखण्ड) ****************************************************************************** हरि को जो भजता नहीं, जग में है नादान। जैसे लाखों जीव हैं, उसका वैसा मान॥ सब जीवों पर नेह हो, सभी जीव अनमोल। ऐक…

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