कोरोना:आम आदमी और करूणा…

तारकेश कुमार ओझा खड़गपुर(प. बंगाल ) ********************************************************** भयावह रोग `कोरोना` से मैं भी बुरी तरह डरा हुआ हूँ,लेकिन भला कर भी क्या सकता हूँ! क्या घर से निकले बगैर मेरा काम चल सकता है! क्या मैं बवंडर थमने तक घर पर आराम कर सकता हूँ…,जैसा समाज के स्रभांत लोग कर रहे हैं। जीविकोपार्जन की कश्मकश … Read more

रूठो मत इतना सज़न

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’ बेंगलुरु (कर्नाटक) **************************************************************************** यौवन सरित उफ़ान पर,मादकता भर नैन। तन्हाई के दर्द से,सजनी दिल बेचैन॥ अश्क नैन से हैं भीगे,पीन पयोधर गाल। रूठो मत इतना सज़न,है चितवन बेहाल॥ बाट जोहती श्रावणी,बीता अब मधुमास। चित्त चकोरी आस में,बरस बुझाओ प्यास॥ तन मन धन अर्पण किया,सजन तुम्हारे नाम। रनिवासर खोयी सनम,समझ तुझे घनश्याम॥ … Read more

दिल्ली क्यों दहली!

विजय कुमार मणिकपुर(बिहार) ****************************************************************** ये दिल्ली थी दिलवालों की अब क्यों है दंगाई की, क्या कसूर उन मजदूरों का… बलि चढ़ी उन वीरों की। क्यों न पूछें ये जनमानस कानून के रखवाले से, एक तरफ हजारों सेना… पर दिल्ली क्यों ख़ाली थी ? झूठ-फरेब की अफवाह फैलाने वाले कायर थे, खौफ का मंजर पैदा करके… … Read more

प्रदूषण

रूपेश कुमार सिवान(बिहार)  ******************************************************** भारत को स्वच्छ बनाना है, प्रदूषण को दूर भगाना है स्वच्छ भारत स्वच्छ समाज, स्वच्छ है घर,स्वच्छ संसार। स्वच्छ जल स्वच्छ ऊर्जा, स्वच्छता हमारी सोच हमारी प्रदूषण मुक्त बनाना है, भारत को स्वच्छ बनाना है। सोच अपनी बदलनी है, प्रदूषण से हमें अवगत समाज को कराना है, स्वच्छता अभियान चलाना है। … Read more

अन्वेषक महानायक राजा भोज और उनकी ज्ञान साधना

प्रो. शैलेन्द्रकुमार शर्मा उज्जैन (मध्यप्रदेश) **************************************************************** भारत में ज्ञान साधना की अटूट परम्परा रही है। सदियों से अनेक मनीषियों ने अन्वेषण के सिलसिले को बनाए रखा है। इस परम्परा में ऐसे अनेक शासक भी आए,जो विद्वानों को राज्याश्रय देने के साथ स्वयं भी सारस्वत साधना में लीन रहे। इस श्रृंखला के विलक्षण मनीषियों में सम्राट … Read more

होली आयी है

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’ बेंगलुरु (कर्नाटक) **************************************************************************** होली आयी है आयी है होली आयी है, सब खुशियों रंगों की थाल सजायी है। शान्ति प्रेम सौहार्द्र आपसी भेंट सजाकर लायी है, अपनापन मानवता का संदेश सुनाने आयी है। होली आयी है…॥ जाति-पाति और ऊँच-नीच का भेद मिटाने आयी है, घृणा-द्वेष,छल-कपट होलिका आग जलाने आयी है। अंधापन … Read more

वृन्दावन की होली

विजय कुमार मणिकपुर(बिहार) ****************************************************************** कृष्ण के संग होली खेले राधा क्यों मुस्काई रे, वृन्दावन में होड़ मची है हुड़दंग होली आयो रे। ढोल-नगाड़े लाल गुलाब मटका फोड़ बजायो रे, होली आई रे, अवध में होली आई रे। कोई पियें भाँग धतूरा कोई होली गाये रे, नंद बाबा के आँगन में गोपी नाच नचाए रे। कोई … Read more

`बंबई` के `मुंबई` बनने तक बहुत कुछ बदला…..

तारकेश कुमार ओझा खड़गपुर(प. बंगाल ) ********************************************************** `बंबई` के `मुंबई` बनने के रास्ते शायद इतने जटिल और घुमावदार नहीं होंगे,जितनी मुश्किल मेरी दूसरी मुंबई यात्रा रही…l महज ११ साल का था,जब पिताजी की अंगुली पकड़ कर एक दिन अचानक बंबई पहुंच गया…l विशाल बंबई की गोद में पहुंच कर हैरान था,क्योंकि तब बंबई किंवदंती की … Read more

मेरी तमन्ना

डॉ.विजय कुमार ‘पुरी’ कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश)  *********************************************************** लड़की वह गोरी होय,भरी हुई तिजोरी होए, पढ़ी भरपूर होए भई,हो जैसे कोई नायिका। रहे मुझको निहारती,पपीहे-सी पुकारती, हो जाऊं मैं शरारती,बन भँवरा कली काl तिरछे से नैन हों,मीठे-मीठे बैन हों, दिन हो कि रैन हो,मेरी बने वही राधिकाll रूप-रंग खरा हो,यौवन अंग भरा हो, मिलावट न जरा … Read more

मौत से लड़ना क्या

रूपेश कुमार सिवान(बिहार)  ******************************************************** मौत से लड़ना क्या, मौत तो एक बहाना है जिन्दगी के पन्नों में, कब क्या हो जाए… ये न तो मैं जानता,न तुम…। उल्फत न मिलती, जीवन की रुसवाईयों में हर जहाँ हमें पता होता, जीवन की रहनुमाईयों में मौत से मुड़ना क्या…। आरजू,जुस्तजू से, अनुभूतियाँ नहीं होती हर रास्ते में … Read more