क्या तुम…?

डॉ. रामबली मिश्र ‘हरिहरपुरी’वाराणसी(उत्तरप्रदेश)****************************************** क्या तुम सच में प्यार करोगे ?या मारोगे और मरोगे ?? सच बतलाओ झूठ न बोलो,क्या मुझको स्वीकार करोगे ?? सोच-समझकर बतलाओ प्रिय,क्या मुझ पर एतबार करोगे ?? यही चाह है प्यारा घर हो,क्या सचमुच में धार धरोगे ?? कसम खुदा की तुम सर्वोत्तम,कभी नहीं इंकार करोगे ?? दिल में केवल … Read more

रूठी हँसी की खोज

योगेन्द्र प्रसाद मिश्र (जे.पी. मिश्र)पटना (बिहार)************************************************** तेरासी टपे तो कुछ बूढ़े लोगों से संगति हुई। समय-समय पर गोष्ठी होने लगी। अच्छा लगा। इस तरह कई मास बीते। संगतियों को मेरी उपस्थिति भाने लगी। लोग मेरी हँसी न देखने की भी चर्चा करने लगे। सहसा एक दिन मैं उस गोष्ठी से अनुपस्थित हो गया। फिर से … Read more

चहकें और चहकाएं

शशांक मिश्र ‘भारती’शाहजहांपुर(उत्तरप्रदेश) ********************************************* एक बार फिर आहट, होने लगी है अगले साल की कलैण्डर बदलने बधाईयां देने का समय, देश-विदेश को सन्देशों से जोड़ने- पर आकांक्षा यही है, कि २०२० सा ‘कोरोना’ वाला न हो। घर में कैद ‘लाकडाउन’ सा नहीं, खेलता-कूदता बचपन शिक्षा के मन्दिरों का, मुस्कराना-दौड़ना-भागना न रोके हाँ,बीस से इक्कीस नाम … Read more

वर्ष विदाई-स्वागत

योगेन्द्र प्रसाद मिश्र (जे.पी. मिश्र)पटना (बिहार)************************************************** हे बीसवाँ वर्ष करते हैं,देते हैं तुझे अब विदाई;तुमने कितने क्षण दिए-संघर्षों के,कुछ सुखदाई। मेघाच्छन्न था तेरा भी प्रभात,विश्व दहल गया कर कोराना बात;कहाँ मिले थे,गले से गले या हाथ,प्रकंपित थे,जो सहज जज्बात। कुछ द्वन्द्व बढ़े,मकरन्द छूटे,कोरोना-संघर्ष तान थी सुनाई;उनकी गूँज से भारत क्या विश्व-झेला कितनी-कितनी कठिनाई। जब सत्य … Read more

विदा होता दिसम्बर

डॉ. वंदना मिश्र ‘मोहिनी’इन्दौर(मध्यप्रदेश)********************************************* चलो सखियां ,ओढ़ लेंएक-दूसरे के दर्द को,लिहाफ की तरह।बाँट लें एक-दूजे की पीड़ा को,प्रसाद की तरह।कुछ देकर,कुछ लेकर जा रहा है,यह दिसम्बर एक अनुभव की तरह।जीने का हुनर,अपनों का साथ,आत्मा का साक्षात्कार,करके चला यह साल।कुछ दर्द दिए,कहीं बिछड़ने का दु:ख,कोई साथी मिला,कुछ अपने मिले।कुछ नया सीखा,कुछ पुराना जाना,आओ इस जाते हुए … Read more

क्या तुम…?

डॉ. रामबली मिश्र ‘हरिहरपुरी’वाराणसी(उत्तरप्रदेश)****************************************** क्या तुम सच में प्यार करोगे ?या मारोगे और मरोगे ?? सच बतलाओ झूठ न बोलो,क्या मुझको स्वीकार करोगे ?? सोच-समझकर बतलाओ प्रिय,क्या मुझ पर एतबार करोगे?? यही चाह है प्यारा घर हो,क्या सचमुच में धार धरोगे ?? कसम खुदा की तुम सर्वोत्तम,कभी नहीं इंकार करोगे ?? दिल में केवल तुम्हीं … Read more

आदमी

योगेन्द्र प्रसाद मिश्र (जे.पी. मिश्र)पटना (बिहार)************************************************** भीड़ बनता हुआ आदमी-भीड़ में खोता हुआ आदमी;भीड़ की नीड़ में बैठा हुआ-भीड़ कोसता हुआ आदमी। आदमी बनता चिंगारी कभी-राख की ढेर की सवारी कभी;अपने अहम् को पूजने में यह-बनता तलवार दुधारी कभी। मानता बनने में अभिमान जो-दूसरे के जलने में शान जो;पालता खुद के अरमान जो-आदमी जीता इसी … Read more

माँ

डॉ. वंदना मिश्र ‘मोहिनी’इन्दौर(मध्यप्रदेश)********************************************* नहीं लिख पाई बहुत बेहतर,आपके व्यक्तित्व पर कोई कविता लेख,कहानीपर हर पल मेरी यादों में रखी है मैंने,आपकी चिर-परिचित मुस्कान।वो मेरे बचपन के दिन,काला टीका,वो फ्रॉक जो पहनाती थीतुम मुझे बड़े लाड़ सेवो घाम में बैठ कर मेरे।बालों में तेल डालना,रखे हैं आज भी सम्भालकर मैंनेवो रंग-बिरंगे फीते,जो कस कर बांध … Read more

बहुत बोझ रहा हूँ

गोपाल मोहन मिश्रदरभंगा (बिहार)***************************************************** पपड़ी जमी़ जो जख्म़ पे वो नोंच रहा हूँ।तन्हा हूँ आज फिर से तुम्हें सोच रहा हूँl कैसे ख़याल हैं कि सिसकने लगे भीतर,खुद को ही खुद की बाँह में दबोच रहा हूँ। पत्थर की छाल रूह को ढक करके सो गई,कब से मैं अपनी साँस को खरोंच रहा हूँ। नजरें … Read more

यह क्या हो गया है ?

योगेन्द्र प्रसाद मिश्र (जे.पी. मिश्र)पटना (बिहार)************************************************** जीना आज इस जहाँ में-दूभर कितना हो गया है ?निज हित जहाँ टकराता है-वही निशाना हो गया है। पूछो क्या नीति-अनीति की-नीति बस पाना हो गया है;जैसा कदम मिलाना हो-वैसा पैमाना हो गया है। झंडा लिए जो गर्व से चले थे-झंडा वह पुराना हो गया है;नये झंडे के साथ … Read more