पंछी कलरव में संगीत

रश्मि लता मिश्रा बिलासपुर (छत्तीसगढ़) ****************************************************************** झरनों में संगीत बहे, नदियों में है गीत बहे। फूलों से झांके सरगम, हर पत्ता एक ग़ज़ल कहे। पंछी कलरव में संगीत, अश्रु धारा…

Comments Off on पंछी कलरव में संगीत

प्रकृति का अनमोल उपहार नदी

डॉ. वंदना मिश्र ‘मोहिनी’ इन्दौर(मध्यप्रदेश) ***************************************************************** नदियाँ कभी रुकती नहीं हैं,एक बार कदम आगे बढ़ाती है तो वापस नहीं आती। जहाँ से शुरू होती है,वापस कभी वहाँ नहीं लौटती। नदियाँ,जिंदगी…

Comments Off on प्रकृति का अनमोल उपहार नदी

‘कोरोना’ चीन का जैविक विश्व युद्ध: कड़े सवाल

गोपाल मोहन मिश्र दरभंगा (बिहार) ******************************************************************************** जहाँ पूरी दुनिया 'कोरोना' से प्रभावित हो रही है,वहीं चीन में वुहान के अलावा यह क्यों कहीं नहीं फैला ? चीन की राजधानी आखिर…

Comments Off on ‘कोरोना’ चीन का जैविक विश्व युद्ध: कड़े सवाल

मृत्युदान

गोपाल मोहन मिश्र दरभंगा (बिहार) ******************************************************************************** जीवन किसने माँगा था, मगर जन्म पर किसका अधिकार है! करना पड़ता स्वीकार है, जैसा भी मिले। फिर भी इस बार मैं, मानता हूँ…

Comments Off on मृत्युदान

तू शक्ति का आधार

रश्मि लता मिश्रा बिलासपुर (छत्तीसगढ़) ****************************************************************** नारी जगत जननी तूने कितनों को, जीवन का वरदान दिया फिर क्यों वही पुरुष, तेरे ही जीवन का अपमान किया...। ऐ नारी तेरी परिभाषा…

Comments Off on तू शक्ति का आधार

दोनों एक हैं

रश्मि लता मिश्रा बिलासपुर (छत्तीसगढ़) ****************************************************************** प्रकृति और मानव स्पर्धा विशेष…….. सूर्य को तरसे चंद्र को तरसे, कौन ? प्रकृति और मानव। रहना चाहे प्रदूषण से बचके, कौन ? प्रकृति…

Comments Off on दोनों एक हैं

प्रकृति-एक सोच

गोपाल मोहन मिश्र दरभंगा (बिहार) ******************************************************************************** प्रकृति और मानव स्पर्धा विशेष…….. प्रकृति धरा पर कुछ भी अपने लिए नहीं करती, नदियाँ पहाड़ों से अपने लिए नहीं उतरती। चाँद सूरज भी…

Comments Off on प्रकृति-एक सोच

अब तक मनुज समझ न पाया

शशांक मिश्र ‘भारती’ शाहजहांपुर(उत्तरप्रदेश) *********************************************************************************** प्रकृति और मानव स्पर्धा विशेष…….. यदि धरा आज न होती, तब मानव कहां से होता रहता कहां घूमता कहां, और कहां घर बना सोता। रत्न…

Comments Off on अब तक मनुज समझ न पाया

प्रकृति जब नाराज हुई,संकट छाया

सम्पदा मिश्रा इलाहाबाद (उत्तर प्रदेश) ********************************************* प्रकृति जब नाराज हुई है, जीवन पर संकट छाया है जगती के इस विश्वपटल पर, इस बार `कोरोना` आया हैl जन की प्रतिरोधक क्षमता…

Comments Off on प्रकृति जब नाराज हुई,संकट छाया

एकांत प्रकृति की ओर…

डॉ. वंदना मिश्र ‘मोहिनी’ इन्दौर(मध्यप्रदेश) ***************************************************************** एकांत में आते हैं कितने ही विचार, अकेलेपन में अतीत कोलाहल बन जाता है। एकांत में उस काली चिड़िया की, चहचहाहट मधुर लगती है।…

Comments Off on एकांत प्रकृति की ओर…