नारी…भुजा ही भुजा

नमिता घोषबिलासपुर (छत्तीसगढ़)**************************************** वह अष्ट भुजा है-एक से सम्हालती है,दफ्तर की कमान,दूसरे से गृहस्थी का रथ थामती हैपति के कंधे से कंधा मिला,अर्थभार बाँटती है।वह बच्चों की बाँह थामे,उन्हें जिंदगी…

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माँ जैसा प्यार किसी भी रिश्ते में नहीं

नमिता घोषबिलासपुर (छत्तीसगढ़)**************************************** 'विश्व मातृ दिवस' सारे विश्व में मनाया जाता है। यूँ तो जिंदगी का कोई एक दिन या तारीख माँ को विशेष सम्मानार्थ के लिए 'मातृ दिवस' के…

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एक विरल व्यक्तित्व रविन्द्रनाथ टैगोर

नमिता घोषबिलासपुर (छत्तीसगढ़)**************************************** गुरुदेव जयंती विशेष........ 'यदि तुम्हारी पुकार सुनकर तुम्हारा साथ निभाने कोई ना आए तो तुम अकेले चलो।'ऐसी युगांतकारी पुकार अधिक देर तक अनसुनी नहीं रहती। धीरे-धीरे लोग…

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स्मृति

नमिता घोषबिलासपुर (छत्तीसगढ़)**************************************** हम भूल जाएंगे उस जगह कोजहाँ की धूल,हमारे पैरों के तहों में बसी है,एक दिन हम गरम तपती हुई रेत पर चल करनदी के ठंडे पानी में…

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मुझे एक मशाल दे दो

नमिता घोषबिलासपुर (छत्तीसगढ़)**************************************** जब-जब भी मैं देखती हूँ,निर्वासित करती हुई सती नारियाँबलात बिस्तर बनाई जाती है लड़कियाँ,पौरुष के पहाड़ों से जूझती हुई कोमलांगी वादियाँपति के प्रबंधन में पदार्थ बनती बेटियाँ।मेरे…

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अवकाश में रहना चाहती हूँ

नमिता घोषबिलासपुर (छत्तीसगढ़)**************************************** अब मैं देख सकती हूँ आकाश का रंग बदलना- खानाबदोश लड़कियों के घाघरे का रंगकतार में उड़ती चिड़ियों का कतार में घर लौटना,ऊँटों का सिर उठा कर…

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उत्सव मकर संक्रांति

नमिता घोषबिलासपुर (छत्तीसगढ़)**************************************** मकर सक्रांति स्पर्द्धा विशेष…. फर-फर उड़े रंगीली पतंगउल्टी हवा की दिशा से,बदले सूरज अपना मार्गआज मकर संक्रांति की सुबह से। इंसानों में आई है उत्सव की उमंगप्रेम,श्रद्धा-भक्ति…

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कभी प्यार

सुश्री नमिता दुबेइंदौर(मध्यप्रदेश)******************************************** काव्य संग्रह हम और तुम से.... प्रिये,तुम उस दिन अपने में डूबी,शीतल बयार की सिहरन में सिकुड़ी बैठीकिसी ख्वाब की तरह स्वेटर बुन रही थी।मेरे आने से,तुम…

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दोस्त

नमिता घोषबिलासपुर (छत्तीसगढ़)**************************************** मैंने अपने हाथों में लालटेन उठा रखी है,इसलिए कि दिन के डूबने के बादउजाला तो चाहिए होता है,अंधेरा कितना डरावना और,भयभीत करने वाला होता है।और मैं अंधेरे…

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खुशी

सुश्री नमिता दुबेइंदौर(मध्यप्रदेश)******************************************************** खुशी को खुशी से मिलने की, तमन्ना अधूरी ही रह गई… पता ही ना चला मुझे, मैं कब बड़ी हो गई…। ढूंढती रही खुशियां, रिश्तों में दरख्तों…

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