निष्प्राण करें हम ‘कोरोना’

ओम अग्रवाल ‘बबुआ’ मुंबई(महाराष्ट्र) ****************************************************************** मानवता पर जब जब कोई,ऐसी आफत आई, खुद ही खुद को डसती मानों,अपनी ही परछाई। भरी दुपहरी में सूरज को,मानो निगल गई रजनी, और भोर…

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हम भी हाथ बटाएं

ओम अग्रवाल ‘बबुआ’ मुंबई(महाराष्ट्र) ****************************************************************** सरकारों की कोशिश में कुछ,हम भी हाथ बटाएं, और मिले निर्देश उन्हें हम,अंतस से अपनाएं। भेदभाव को भूल-भाल कर,मिलकर जतन करें- मिल-जुलकर इस 'कोरोना' को,आओ…

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खुशियों का संसार हमारे हाथों में

ओम अग्रवाल ‘बबुआ’ मुंबई(महाराष्ट्र) ****************************************************************** `कोरोना` का क्यूँ कर रोना,उपचार हमारे हाथों में, रक्षा और सुरक्षा का,अधिकार हमारे हाथों में। तन से तन की दूरी रक्खें,और स्वच्छता खूब रहे- हम…

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घबराना तो ठीक नहीं

ओम अग्रवाल ‘बबुआ’ मुंबई(महाराष्ट्र) ****************************************************************** कोरोना घातक है लेकिन,घबराना तो ठीक नहीं, लापरवाही से यहाँ वहाँ पर,आना-जाना ठीक नहीं। अगर बचोगे खुद ही खुद तो,गैर स्वयं बच जाएंगे- नासमझी में…

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अपना शीश झुकाता हूँ

ओम अग्रवाल ‘बबुआ’ मुंबई(महाराष्ट्र) ****************************************************************** जिसने अपनी कोख में मेरी,काया का निर्माण किया, जिसने अपनी साँसों को ही,मेरे तन का प्राण किया। उस जननी के पदपंकज पर,इतना नेह जताता हूँ,…

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हमको भी अधिकार चाहिए

ओम अग्रवाल ‘बबुआ’ मुंबई(महाराष्ट्र) ****************************************************************** प्यार मुहब्बत भाईचारा,हमें आपका प्यार चाहिए, सम्मान सहित जीवन जीने का,हमको भी अधिकार चाहिए। घर के बड़े-बुजुर्गों ने तो,हम पर जीवन वारा है, अपनी हर…

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निवर्तमान वर्ष २०१९

ओम अग्रवाल ‘बबुआ’ मुंबई(महाराष्ट्र) ****************************************************************** हे वर्ष तुम्हारे विदा पर्व पर,कोटि-कोटि तुमको प्रणाम। नमन तुम्हारा त्याग समर्पण,नेह निबन्धन नित निष्कामll हे वर्ष तुम्हारी छाया में ही,जाने कितने मित्र मिले हैं।…

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भोर का नमन

ओम अग्रवाल ‘बबुआ’ मुंबई(महाराष्ट्र) ****************************************************************** पुस्तक `गीत गुंजन` से........... तर्ज:फूल तुम्हें भेजा... ऐ माँ तुम्हारे चरणों की ये,धूल भी कितनी पावन है। इस मिट्टी में जीवन का हर,पतझड़ भी तो…

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हिन्दी में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी:प्रसार की लकीरें

डॉ. ओम विकास *************************************************************** २०वीं सदी में आर्थिक विकास का आधार विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी रहा। नवाचार एवं आविष्कारोन्मुखी प्रवृत्ति से समाज विकसित और अविकसित वर्गों में बँटने लगे। २१वीं सदी…

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साहित्य क्या है ?

ओम अग्रवाल ‘बबुआ’ मुंबई(महाराष्ट्र) ****************************************************************** जिसमें मानव के दर्शन हो, जो पावन पुण्य समर्पण हो। जो संस्कार की बोली हो, जो ताप निकंदन होली हो॥ जो वाहक हो परिपाटी का,…

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