प्रार्थना

डॉ.धारा बल्लभ पाण्डेय’आलोक’अल्मोड़ा(उत्तराखंड) ************************************************ रचना शिल्प:मापनी २१२२ २१२२ २१२ वंदना माँ भारती की कर सकूँ।वीर भारत को नमन मैं कर सकूँ।यह सदा विजयी हमारा देश हो।प्रार्थना कर कोटि शुभ परिवेश हो॥ विश्व विजयी बन जगत में शान हो।देश मेरे विश्व गुरु का मान हो।हो तिरंगा विश्व का परचम बड़ा।विजय का जयगान करता हो खड़ा॥ परिचय–डॉ.धाराबल्लभ … Read more

मातृभाषा आदमी के संस्कारों की संवाहक

डॉ.धारा बल्लभ पाण्डेय’आलोक’अल्मोड़ा(उत्तराखंड) ************************************************ अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस स्पर्धा विशेष…. मातृभाषा शब्द की पृष्ठभूमि-मातृ शब्द का अर्थ माँ और मातृभाषा का शाब्दिक अर्थ माता की भाषा होता है, परंतु मातृभाषा शब्द की पृष्ठभूमि पर जाएं तो ज्ञात होता है कि मातृभाषा शब्द बहुत पुराना नहीं है,मगर इसकी व्याख्या करते हुए लोग अक्सर इसे बहुत प्राचीन मान … Read more

सरस्वती महिमा

डॉ.धारा बल्लभ पाण्डेय’आलोक’अल्मोड़ा(उत्तराखंड) ************************************************ करूँ नमन कर जोड़,ज्ञान की देवी माता।सरस्वती का गान,मधुर विद्या माता का।दया करो हे मातु,विमल मन उज्जवल कर दो।सदा ज्ञान की धार बहे,माता यह वर दो॥उज्ज्वल ज्ञान प्रकाश दो,माता वीणावादिनी।अज्ञान तम मन से मिटा,हे माँ,शुभ वरदायिनी॥ परिचय–डॉ.धाराबल्लभ पांडेय का साहित्यिक उपनाम-आलोक है। १५ फरवरी १९५८ को जिला अल्मोड़ा के ग्राम करगीना … Read more

स्वागत बसंत ऋतु

डॉ. रचना पांडेभिलाई(छत्तीसगढ़)*********************************************** वसंत पंचमी स्पर्धा विशेष ….. शीत ऋतु का देखो यह,कैसा सुनहरा अंत हुआ।हरियाली फैली है चारों ओर,स्वागत ऋतु बसंत का हुआ॥ चमक रहा सूरज अब नभ में,उड़ रहा जैसे धुआं गगन में।मधुर पवन भी बहने लगी,हमसे बसंत ऋतु यह कहने लगी॥ आम नहीं है यह कोई ऋतु,यह तो ऋतुओं की रानी है।पूरे … Read more

एक तुम ही हो

डॉ. रचना पांडे,भिलाई(छत्तीसगढ़)*********************************************** एक तुम ही हो,मेरे वजूद के हर हिस्से मेंएक सुकून की तरह समाए हो,मेरी पलकों के हर रोम छिद्र मेंमेरे संग तुम आजन्म हो,बस एक तुम ही हो…बंद करूं निगाहें तू ही नजर आए,तेरी चंचल अदा पर दिल बहका जाए। हाथ थामकर सपनों को मेरे सजाते हो,जब मन गमगीन हो तो तुम … Read more

जिंदगी

डॉ. रचना पांडे,भिलाई(छत्तीसगढ़)*********************************************** जिंदगी हूॅं,जीना सिखा रही हूॅंइन दिनों जिंदगी से रुबरु होने का मौका मिलावो मेरे जीने के ढंग पर मुस्कुरा रही थी,थकान और चोटों को सहला कर मुझे सुला रही थी।पता नहीं,क्यों अलग हुए हम दोनों,मैं उसे और वो मुझे समझा रही थी,आखिरकार मैने अपना मौन तोड़ाउससे निडर होकर पूछ ही लिया,क्यों इतना … Read more

बस इतना सा था इलाज अपना

डॉ. प्रो. मीनू पाण्डेय ‘नयन’भोपाल (मध्यप्रदेश) ************************** काव्य संग्रह हम और तुम से उन सघन व्याकुल से क्षण में,तिमिर से लदे गहनतम वन मेंकुछ उन वीभत्स उन्मादी पल में,नयनों से बहते से जल में।सुन लेते तुम जो साज अपना,बस इतना सा तो था इलाज अपना। कभी रूठ कर तुमसे रोई,कभी चिंता में पूरी रात न … Read more

न जाने कितने सपने

डॉ. रचना पांडे,भिलाई(छत्तीसगढ़)*********************************************** काव्य संग्रह हम और तुम से ना जाने कितने सपने आँखों में लिए,हम तुम साथ-साथ चल दिए।तुमने मुझे अपनाया,अपने करीब लाया,अब जिंदगी से मुझे कुछ ना चाहिए,जीवनभर बस तेरा साथ चाहिए।कभी कुछ मैं कहूं कभी कुछ तुम कहो,इस अविरल सफर में।कुछ दूर मैं चलूं कुछ दूर तुम चलो,जाने क्यूँ थे एहसास हुआ।ढलती … Read more

प्रणय गीत

अनुराधा पाण्डेयनई दिल्ली***************************** काव्य संग्रह हम और तुम से….. नैन भर बस बोलते थे,पावनी थी प्रीत कितनी ?मौन हम भी,मौन तुम भी॥ एक-दूजे को बसाए,नित रहे द्वय धड़कनों में।कल कहेंगे,कल कहेंगे,रह गए हम उलझनों में।अंत तक पर बँध न पाई,देह परिणय बंधनों में।अन्य ने कर जब गहा था,थी घड़ी विपरीत कितनी ?मौन हम भी,मौन तुम … Read more

दिल ढूंढता है

डॉ. रचना पांडे,भिलाई(छत्तीसगढ़) *********************************************** दिल ढूंढता है फिर उस दौर को,सिमट गई घड़ियाँ यादों के पिंजरे मेंजैसे कैद कर ली हो रूह को मेरे,काश कोई लौटा दे,उस बीते पल को।दिल ढूंढता है फिर उस दौर को… वह बचपन की गलियां,और ढेर सारी शरारतें,गर्मियों की छुट्टियाँ और चहकती रातेंकितना सुकून था नंगे पाँव चलने में,बरसात की … Read more