औरत
तारा प्रजापत ‘प्रीत’ रातानाड़ा(राजस्थान) ************************************************* औरत का दर्द न औरत समझे, पुरुष भला क्या समझेगा ? औरत ने औरत को सताया, ताने मारे दिल को दुखाया, बन कर सास बहू को जलाया, कन्या भ्रूण गर्भ में मिटाया। सम्मान सास को बहू न देती, जूठन अपना उसे खिलाती, सेवा-भाव का अभाव है देखा, वृद्धाश्रम का द्वार … Read more