आया राखी का त्यौहार

राजबाला शर्मा ‘दीप’अजमेर(राजस्थान)******************************************* रक्षाबंधन विशेष……… सखी! आया राखी का त्यौहार,मन में छाई खुशी अपार। सावन मास लगे है पावन,पीहर की यादें मनभावनभैया-भाभी,बहिन,सहेली,मात-पिता,दादी अलबेलीसबसे मिलना,गले से लगना,न कोई बंधन,रूठना-मननासाल में आता दिन एक बार।सखी! आया राखी का त्यौहार… चेहरे पर अनुपम खुशी झलकती,भाई के हाथ जब राखी सजतीथाली में रोली,मोली,चावल,मिठाई,राखी,दीप,नारियलउल्लासित तन,हजारों खुशियां,मन में फूट रहीं फुलझड़ियाँभैया … Read more

शान्ति की खोज

राजबाला शर्मा ‘दीप’अजमेर(राजस्थान)******************************************* खुशी यहां मिलेगी…यह सोचकर उन्होंने फूंक दी दौलत,क्लब,महफ़िल,होटल,दोस्तों मेंकहकहे भी मिले उन्हें हँसी भी मिली,मगर अफसोस! उन्हें खुशी ना मिली। शांति यहां मिलेगी…यह समझ उन्होंने भगवा वस्त्र धारण किए,योगाश्रमों के खूब चक्कर भी लगा लिएयज्ञ,हवन और रामायण पाठ भी कराए,फिर भी शांति ना मिली,लाख उपाय कराए। तृप्ति यहां मिलेगी…सोच कर उन्होंने पूजा-पाठ … Read more

गीत सृष्टि पा लेती हूँ मैं

राजबाला शर्मा ‘दीप’अजमेर(राजस्थान)*************************************************** काव्य संग्रह हम और तुम से जब तेरे मृदु-वचनों से,थोड़ा रस पी लेती हूँ मैं।तुम मानो ना मानो प्रियतम,गीत सृष्टि पा लेती हूँ मैं। बरखा की छम-छम बूंदों में,लगता कर-स्पर्श तुम्हारा।सच बोला तो झूठ लगेगा,रोम-पुलक पा लेती हूँ मैं।गीत-सृष्टि पा लेती हूँ मैं… जब पुरवा ने छेड़ी सरगम,याद आया तेरा आलिंगन।नव-किसलय के … Read more

रूह से रूह तक

राजबाला शर्मा ‘दीप’अजमेर(राजस्थान)*************************************************** रूह से निकलती हैजब ‘आह’,शब्दों को मिल जाते हैं अर्थ-बन जाती है कविता। शब्दों की ध्वनि सेकविता में ढलता है गीत,आत्मा में मिलकर-बन जाता संगीत। संगीत में जब लयआरोह-अवरोह में मिल,बनती है सृजन-लय में आ जाता कम्पन। कम्पन से हिल उठतेमन-वीणा के तार,वीणा के तार करते सम्मोहित-मन से मन के तार। मंत्र-मुग्ध … Read more

समय निकलता जाए

राजबाला शर्मा ‘दीप’अजमेर(राजस्थान)*************************************************** क्या तुझको देंगे यह संबल ?नयन कोर से अश्रु झर-झरजीवन डोर नहीं है लंबी,समय निकलता जाए सर-सर। सबकी अपनी-अपनी उलझन,सबके अपने-अपने द्वंदलक्ष्य से जूझ रहा है कोई,जी रहा कोई निर्द्वन्दशीश झुकाए चल रे राही,बन के दिखलाना है तरुवर।जीवन डोर नहीं है लंबी,समय निकलता जाए सर-सर…। जग हँसता है तू भी हँस ले,हँसते-हँसते … Read more

कलयुग के रावण

राजबाला शर्मा ‘दीप’अजमेर(राजस्थान)*************************************************** हम हर दशहरे पररावण का पुतला,जोर-शोर से जलाते हैंपटाखे फोड़ते हैं,खुशियां मनाते हैं।रावण ने सीता का हरण किया,पर चीर-हरण नहीं कियाउसने सिया को अशोक वाटिका में रखा,जोर-जबरदस्ती का व्यवहार न किया।उसने सीता की ‘हाँ’ का इंतजार किया,लेकिन ये कलयुगी सफेदपोश रावण…चाहे सात साल की मासूम हो,या तेरह साल की नाबालिगया बीस-पच्चीस साल … Read more

हिंदी भाषा है हिंदुस्तान की

राजबाला शर्मा ‘दीप’अजमेर(राजस्थान)********************************************************* हिंदी दिवस विशेष….. हिंदी भाषा है हिंदुस्तान की,भाषा में सिरमौर है जहान की। हिंदी अपनी,हिंदी पर अभिमान है,बड़ी निराली है ये हिंद की शान है। संस्कृत की बेटी है,बड़ी महान है,कस्तूरी,चंदन है रस-खान है। मधुर,सरस,मनमोहक हिंदी बोली है,देवनागरी-लिपि में अमृत घोली है। अखंड अपना हिंद एकता का दर्पण है,अपना सब-कुछ हिंदी तुझे … Read more

राजस्थान के स्वर्णिम हस्ताक्षर महाराणा प्रताप

राजबाला शर्मा ‘दीप’ अजमेर(राजस्थान) ************************************************************************* ‘महाराणा प्रताप और शौर्य’ स्पर्धा विशेष………. राजस्थान के कण-कण में, वीरों ने इतिहास रचा है। सांगा,रावल,पृथ्वी,प्रताप ने, इसी धरा पर जन्म लिया है। राणा प्रताप हैं अजर-अमर, मेवाड़ राज्य के हस्ताक्षर अकबर के आगे झुके नहीं, जंगल-जंगल भटके दर-दर। आदर्शों की कठिन राह पर, प्राणों का उत्सर्ग किया है। सांगा,रावल,पृथ्वी,प्रताप … Read more

ज़िन्दगी:एक सड़क

राजबाला शर्मा ‘दीप’ अजमेर(राजस्थान) ************************************************************************* ज़िन्दगी,एक सड़क जिस पर चल कर मिलते हैं, सैंकड़ों लोग। कुछ अपने बन जाते हैं, कुछ अपने पराए बन कर खो जाते हैं। सड़क जिसके कई मोड़ हैं, वह दोराहा भी है तिराहा भी, चौराहा भी यह तुम्हारे ऊपर है, तुम अपना लक्ष्य चुनो भ्रमित न हो,और मंजिल तक पहुंचो। … Read more

माँ का आँचल

राजबाला शर्मा ‘दीप’ अजमेर(राजस्थान) ************************************************************************* ‘अन्तर्राष्ट्रीय मातृत्व दिवस’ १० मई विशेष………. r हर आँचल लगता है,ममता का आँचल, याद बहुत आता मुझको माँ का आँचल। कभी ओढ़ना,कभी बिछौना, फूलों की चादर-सा कोमल कोमल। याद बहुत आता मुझको माँ का आँचल… धरा सा शांत,गगन-सा विस्तृत, लगता है ठंडी बयार-सा शीतल शीतल। याद बहुत आता मुझको माँ … Read more