शरद ऋतु अभिनन्दन

डॉ.शैल चन्द्रा धमतरी(छत्तीसगढ़) ******************************************************************** सरस शरद ऋतु मृदुल-मृदुल शीत ले आई, धवल चाँदनी संग खिलखिलाए ज्यों मीत ले आई। कुमुद खिले,खिले सुरभित कमल, शुभ्र चाँदनी खिले अम्बर पर निर्मल। वृक्षों…

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हिंदी दिवस

डॉ.शैल चन्द्रा धमतरी(छत्तीसगढ़) ******************************************************************** हिंदी  दिवस स्पर्धा विशेष……………….. "तुम्हें कितनी बार कहा है कि,घर पर कोई गेस्ट आते हैं तो तुम इंग्लिश में ही बोला करो,पर तुम हिंदी में ही…

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फ्रेंड रिक्वेस्ट

डॉ.शैल चन्द्रा धमतरी(छत्तीसगढ़) ******************************************************************** कुछ मित्र आपस में बैठ कर बातें कर रहे थे। बात मित्रता पर हो रही थी,पहले मित्र ने कहा,-"भई, मैं तो जब किसी से काम निकालना…

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खतरा

डॉ.शैल चन्द्रा धमतरी(छत्तीसगढ़) ******************************************************************** दोनों बहनें शहर में खिलौने बेचकर लौट रही थीं। दिसम्बर की साँझ ढलने वाली थी। दोनों बहन एक-दूसरे का हाथ पकड़े तेज गति से चल रही…

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उम्मीद

डॉ.शैल चन्द्रा धमतरी(छत्तीसगढ़) ******************************************************************** आज फिर सोमेश बाबूजी डाक घर के सामने उदास बैठे दिखे। डाक बाबू ने उन्हें अंदर बुलाया और कहा,-"बाबूजी,आप दो बरस से डाकघर बिना नागा किये…

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मैं स्त्री हूँ,पुरुष नहीं बनना

डॉ.शैल चन्द्रा धमतरी(छत्तीसगढ़) ******************************************************************** मैं स्त्री हूँ नदी की तरह बहती हूँ, मुझे सागर नहीं बनना। मैं महीन रेत की कण, जो करती नीड़ का निर्माण मुझे चट्टान नहीं बनना।…

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खो गया समय

डॉ.शैल चन्द्रा धमतरी(छत्तीसगढ़) ******************************************************************** "हैलो,हाँ यार अनिल,मैं शहर पहुँच चुका हूँ। तुम कहाँ हो ?" राजेश अपने मित्र को फोन पर पूछ रहा था। कई वर्षों बाद वह किसी काम…

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डॉगी का बिस्कुट

डॉ.शैल चन्द्रा धमतरी(छत्तीसगढ़) ******************************************************************** "अम्मा,हम लोगों की जात क्या है ?" नन्हा मोनू पूछ रहा था। "क्यों तुझे जात का क्या करना है ?" अम्मा ने झुंझलाते हुए कहा। "वो…

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तपती धरती

डॉ.शैल चन्द्रा धमतरी(छत्तीसगढ़) ******************************************************************** तपती धरती,जल रहा आसमान, घटता जल,सब हैं हैरान। लुप्त होती हरियाली, नहीं दिखती प्रकृति की लाली। नीम-पीपल की छाँव तले, अब न कोई झूला झूले। बाग-बगीचे…

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माँ अनमोल

डॉ.शैल चन्द्रा धमतरी(छत्तीसगढ़) ******************************************************************** माँ रोम-रोम में हर मानव के बसती है, उसके बिन नहीं मानव की कोई हस्ती है। जन्मदात्री जननी जग से न्यारी है, हर रूप में माँ…

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