आओ मन को शुद्ध बनाएँ

सुरेश चन्द्र ‘सर्वहारा’कोटा(राजस्थान)***************************************************************** पर्व पर्यूषण का आया हैआओ मन को शुद्ध बनाएँ,जो 'कषाय' कर्मों के आए-करें 'निर्जरा' उन्हें जलाएँ। भूल बाहरी भौतिक दुनियाअपने मन के अन्दर झाँकें,आत्म-जागरण का यह उत्सव-निज…

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राखी

सुरेश चन्द्र ‘सर्वहारा’कोटा(राजस्थान)***************************************************************** रक्षाबंधन पर्व विशेष……….. मन के निश्छल प्रेम का,राखी पावन पर्व।भारतीय संस्कार पर,करे विश्व भी गर्व॥ कहती हमसे राखियाँ,नहीं प्रेम सम द्रव्य।सम्बन्धों की झाँकियाँ,दिखती इनमें भव्य॥ राखी पर…

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भोर निराली

सुरेश चन्द्र ‘सर्वहारा’कोटा(राजस्थान)***************************************************************** पूर्व दिशा से फूट रही सूरज की लाली,निकल नीड़ से फुनगी पर आ चिड़िया चहकीलदी हुई फूलों से बेलें लह-लह महकी,बोल उठी झुरमुट में बैठी कोयल काली।लघु…

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दृश्य सुहाने

सुरेश चन्द्र ‘सर्वहारा’कोटा(राजस्थान)***************************************************************** लगी नीम के ऊपर फिर सेपीली हरी निबोली,आमों के पेड़ों के ऊपरआ कोयलिया बोली।रजनीगंधा ने महका दीफिर से सूनी रातें,हँस-हँसकर कचनार कर रहासोनजुही से बातें।रस से भीगे…

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एक बार तो लें हम झाँक

सुरेश चन्द्र ‘सर्वहारा’कोटा(राजस्थान)***************************************************************** घिरे हुए दुःख के सायों सेदुनिया के सारे इंसान,सहज भाव से जीवन जीनानहीं रहा है अब आसान।आज अकेले सब जीते हैंटूट रहे पग-पग विश्वास,वे ही धोखा दे…

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शर्मिन्दा हैं हम…

सुरेश चन्द्र ‘सर्वहारा’कोटा(राजस्थान)***************************************************************** शर्मिन्दा हैं हम…जार्ज फ्लाॅयडतुम्हारीअसामयिक मौत पर,कम हैअगर रोएँ भीतुम्हारी याद मेंबैठकर हम रातभर।जो प्रजातांत्रिकसभ्य समाज के लोग,सहिष्णु होने कादम भरते हैं,वे हीनस्लवादी-रंगभेदी,घिनौने कामों सेकब डरते हैं।बर्बर पुलिस…

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रात-दिन दौड़ती जिन्दगी

सुरेश चन्द्र ‘सर्वहारा’कोटा(राजस्थान)***************************************************************** मिलेकितने ही लोग,जिन्दगी के दोराहों परपर पता नहीं,किन गलियों मेंखो गए,सम्बन्ध थे पुरानेवे टूटते रहे,और इसी बीचजुड़ते रहेकुछ नए।जिन्दगीरुकी नहीं,चलती रहीविवश-सीइच्छा के आगे,बुनती रहीसपनों का जाल,ले हाथों…

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न दें हमें हारने

डॉ. सुरेश जी. पत्तार ‘सौरभबागलकोट (कर्नाटक) ********************************************************************** 'करोना' का कहर है,यह चीनी जहर है,संसार इसका घर,टूट रहे सपने। गाँव शहर हैं बंद,छीन लिया आनंद,पेट को न आटा-रोटी,हँसी भूले हम। सती पति…

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मजदूर

सुरेश चन्द्र ‘सर्वहारा’कोटा(राजस्थान)***************************************************************** निर्धन युवकों ने कभी,जो छोड़ा था गाँव।मजबूरी में चल पड़े,उसी ओर अब पाँव॥ शहरों में जीवन खपा,लगा न कुछ भी हाथ।सिर पर जब विपदा पड़ी,छोड़ा सबने साथ॥…

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बन्दर और मगर

सुरेश चन्द्र ‘सर्वहारा’ कोटा(राजस्थान) *********************************************************************************** एक घने जंगल के भीतर नदी एक थी गहरी, दृश्य देखने वह उस वन का जैसे आकर ठहरी। उसी नदी से कुछ दूरी पर था…

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