अंजुरी भर
प्रदीपमणि तिवारी ध्रुव भोपाली भोपाल(मध्यप्रदेश) **************************************************************************** भावनाओं ने कहा तो अंजुरी भर गीत ले कर आ रहे हम। विघ्न भी हैं सघन राह में निशिचर खड़े आघात को तम। संगठित निशिचर हुए और भद्रजन में द्वेष है, बुद्धि का अभिमान अतिशय नेह न अब शेष है। भावनाएँ शून्य हैं अब वो स्वयंभू बन गये खुद, बुद्धि … Read more