कुल पृष्ठ दर्शन : 157

बेसबब ग़ुस्ताख़ियां

प्रदीपमणि तिवारी ध्रुव भोपाली
भोपाल(मध्यप्रदेश)
****************************************************************************

(रचना शिल्प: वज़्न-२१२२ २१२२ २१२२ २१२,अर्कान-फाइलातुन×३-फाइलुन)
बेसबब है की नहीं ग़ुस्ताख़ियां अक्सर सुनो।
जाम बिन आई नहीं मदहोशियां अक्सर सुनो।

ज़िल्लतों के बाद हासिल ना ज़मीं औ ना फलक़,
ना मिलें क़िस्मत बिना ऊंचाइयां अक्सर सुनो।

हर बसर तनहा कलंदर हो सके मुमकिन नहीं,
जो बने उसको मिलें तनहाइयां अक्सर सुनोl

कुछ गली कूचे मुहल्ले आशिक़ों के नाम हैं,
तो भी क्यों बजती नहीं शहनाइयां अक्सर सुनोl

तीरगी में चाँद बिन जुगनुओं के आसरे,
ना दिखेंगी खांमखां परछाइयां अक्सर सुनोl

ज़ीस्त के हर मोड़ पे हो इम्तहां का दौर भी,
यार मिलते और कभी रुसवाइयां अक्सर सुनोl

पैरहन से जो फ़कीरी में मगर बेनूर जो,
ध्रुव फ़रेबी में न होंं गहराइयांं अक्सर सुनोll

परिचय–प्रदीपमणि तिवारी का लेखन में उपनाम `ध्रुव भोपाली` हैl आपका कर्मस्थल और निवास भोपाल (मध्यप्रदेश)हैl आजीविका के लिए आप भोपाल स्थित मंत्रालय में सहायक के रुप में कार्यरत हैंl लेखन में सब रस के कवि-शायर-लेखक होकर हास्य व व्यंग्य पर कलम अधिक चलाते हैंl इनकी ४ पुस्तक प्रकाशित हो चुकी हैंl गत वर्षों में आपने अनेक अंतर्राज्यीय साहित्यिक यात्राएँ की हैं। म.प्र.व अन्य राज्य की संस्थाओं द्वारा आपको अनेक मानद सम्मान दिए जा चुके हैं। बाल साहित्यकार एवं साहित्य के क्षेत्र में चर्चित तथा आकाशवाणी व दूरदर्शन केन्द्र भोपाल से अनुबंधित कलाकार श्री तिवारी गत १२ वर्ष से एक साहित्यिक संस्था का संचालन कर रहे हैं। आप पत्र-पत्रिका के संपादन में रत होकर प्रखर मंच संचालक भी हैं।

Leave a Reply